कोरोना योद्धाओं को न वैक्सीन न मुआवजा, बढ़ रहा आक्रोष

 


प्रेम शर्मा,लखनऊ। 

कोरोना संक्रमण काल में योद्धा की तरह जनता को संक्रमण से मुक्त कराने वाले नगर निगम कार्मिकों को अब तक कोरोना वैक्सीन के लिए विशेष कैम्प या प्रयास किया गया। उधर कोरोना संक्रमण से मृत्यु का शिकार हुए कार्मिकों को अब तक मुआवजे की राशि न मिलने से नगर निगम कार्मिकों में आक्रोष बढ़ रहा है। नगर निगम कर्मचारी संयुक्त मंच के नेताओं ने संयुक्त रूप से तथा अलग अलग संगठनों के माध्यम से लगातार नगर निगम प्रशासन से इस सम्बंध में अपनी बाॅत रखी लेकिन अब तक निगम प्रशासन की तरफ से कोई बड़ा प्रयास नही किया गया। नगर निगम कर्मचारी संघ लखनऊ के अध्यक्ष आनंद वर्मा इस दूसरे कोरोना कार्यकाल में लगभग तीन पत्र प्रशासन को दे चुके है।  संगठन द्वारा प्रशासन को कोरोना से मृत हुए 45 नामों की सूची भी उपलब्ध करा दी गई है। वही मंच से जुड़े वयोवृद्ध कर्मचारी नेता चंद्र प्रकाश अग्निहोत्री संयोजक लखनऊ नगर निगम कर्मचारी संयुक्त मोर्चा,नगर निगम लखनऊ, अध्यक्ष स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ उत्तर प्रदेश और अध्यक्ष-भारतीय नागरिक परिषद ने इस सम्बंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उक्त मांगों पर त्वरित संज्ञान लेने की मांग की है।

ज्ञात हो कि पिछले एक वर्ष से संगठन,मोर्चा,मंच लगातार कर्मचारियों (कोरोना योद्धा)की कोरोना जांच,वाक्सिनेशन कैंप और बंद पड़ी नगर निगम की डिस्पेन्सरीध्अस्पताल को खोलने की माँग करता रहा मगर नतीजा शून्य रहा।नगर निगम कर्मचारी संघ लखनऊ आपसे अनुरोध के साथ कहना चाहता है कि नगर निगम लखनऊ के लगभग 45 कर्मचारीध् कोरोना योद्धा लगातार एक वर्ष से अपनी जान को जोखिम मे डालकर सेवाये देते हुए शहीद हो गये है। परन्तु सभी शहीद कोरोना योद्धाओं का नाम अनुग्रह सूची मे नगर निगम प्रशासन द्वारा न सम्मलित किये जाने के कारण सभी शहीद कोरोना योद्धाओं के परिवारजनो को अनुग्रह धनराशि नही मिल पायेगी। जिस कारण शहीद परिवारजनो मे आक्रोश होना स्वाभाविक है।तथा कोरोना योद्धाओं को न्याय भी नही मिल पायेगा। जिसके निदान की आवश्यकता है।संघ द्वारा लगातार मांग किये जाने पर भी नगर निगम लखनऊ द्वारा एक वर्ष मे सभी कर्मचारियो की कोरोना जांच कराई ही नही गई।और सभी कर्मचारियो से एक वर्ष से लगातार काम कराया गया। जो कर्मचारी बीमार हुए उन्हें अस्पताल मे उपचार भी नही मिल पाया। बीमारी के दौरान कर्मचारीध् कोरोना योद्धा शहीद हुए, शहीद योद्धाओं का पोस्टमार्टम भी नही किया गया। ऐसी स्थिति मे शहीद कोरोना योद्धाओं के परिवारजनो से प्रशासन द्वारा यह प्रमाण मांगा जाना कि उनकी मौत कोरोना से हुई है। यह अत्यंत ही दुखद एवं खेद का विषय होने के साथ ही मानवता से परे है। और उचित भी नही है।संघ कहना  है कि नगर निगम लखनऊ के सम्मस्त शहीद कर्मचारीध् कोरोना योद्धाओं का नाम अनुग्रह सूची मे सम्मलित करने के सम्बंध मे सम्बंधित को तत्काल निर्देशित करने का कष्ट करे।ताकि सभी शहीद कर्मचारीध्कोरोना योद्धाओं के परिवारजनो को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित अनुग्रह धनराशि का लाभ मिल सके। तथा शहीदो के परिवारजनो के आक्रोश को भी रोका जा सके, ताकि शहीद कर्मचारी,कोरोना योद्धाओं के साथ न्याय हो सके।



कई संवर्ग के लिए लग चुके वैक्सीन कैम्प

नगर निगम कार्मिको का कहना है कि प्रशासन लगातार दिन रात कर्मचारियों से काम लेता रहा उसी के उलट जवाहर भवन ने अपने कर्मचारियों ,सूचना विभाग में पत्रकारों और उच्च न्यायालय में जज,वकीलों वहा के कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिये अपने यहाँ वैक्सिनेशन कैंप लगवाये वा उच्च न्यायालय की बंद डिस्पेन्सरी को तत्काल शुरू कराया जा रहा है जो जरूरी भी है। मगर यह दुर्भाग्य जनक है कि नगर निगम संस्था के कर्मचारी को कोई सुविधा नहीं मिली और ना ही नगर निगम की बंद कोई डिस्पेन्सरी खोल पाया।  आज भी कर्मचारी अपनी और अपने परिवार की जान को जोखिम में डाल कर अपना दायित्व निभा रहा है चाहे गन्दगी साफ कर रहा सफाई कर्मचारी, सैनिटाइजेशन का मोर्चा संभाले निरीक्षक , कैश काउंटर और ना जाने कितने ही अनगिनत विभागीय और फील्ड के दायित्व निभा रहे । कर विभाग के लिपिक हों या बेलदार,अनुचर,गैंग मैन या माली सब अपना कार्य बिना अपने स्वास्थ्य की चिंता किये कर रहें हैं। जब वह संभावित संक्रमित बुखार,टायफायड ऑक्सीजन की कमी या कोरोना पॉजिटिव हो कर जान गवाँ रहें हैं। तो प्रशासन द्वारा पीड़ित परिवार से कोरोना पॉजिटिव जाँच व अन्य दस्तावेज के आधार पर मृतक अनुग्रह देय राशि के लिये उपयुक्त ना मानना घोर अन्याय है।