परिस्थितियों में ईपीएफओ का नवीन परिपत्र नहीं है व्यवहारिक।नेशनल चैम्बर






ईसीआर को जमा करने और अपलोड करने के लिए आधार संख्या की सीडिंग को अनिवार्य  रूप से पूर्व आवश्यकता को कुछ समय के लिए किया जाए स्थगित

माननीय केंद्रीय श्रम मंत्री श्री संतोष गंगवार जी से चैम्बर ने की मांग।

हि. वार्ता (धर्मेन्द्र कु.चौधरी )

आज दिनांक 10 जून 2021 को चैम्बर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा एक नवीन परिपत्र जारी किया गया है जिसके आधार पर 1 जून 2021 से ईसीआर जमा करने तथा ईसीआर को पोर्टल पर अपलोड करने के लिए कर्मचारियों की आधार संख्या को सीडिंग करना पूर्व आवश्यकता के रूप में अनिवार्य कर दिया है।  नियोक्ताओं के अनुसार यह परिपत्र अव्यावहारिक हैं।  इससे कर्मचारी और नियोक्ता  विशेष रूप से इस कोविड-19 महामारी से उत्पन्न विषम परिस्थितियों के कारण  दोनों को कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।   क्योंकि कर्मचारियों के भविष्य निधि खाते को उनके आधार संख्या से केवाईसी करने के लिए वर्तमान डेटाबेस में विभिन्न शुद्धीकरण करने की आवश्यकता होगी।  केवल यही नहीं कर्मचारियों के आधार में भी विवरण सही न होने के कारण उन्हें पहले अपना आधार में विवरण सही करना होगा।   कोविड-19 महामारी की दूसरी  लहर के चलते वर्तमान में न तो सभी आधार सेवा केंद्र संचालित हैं जिससे कि कर्मचारियों  अपने आधारों में विवरण को सही करा सके और समय भी इतना कम है कि ईसीआर जमा करने से पूर्व  नियोक्ता के यहाँ उपलब्ध एवं आधार में उपलब्ध दोनों के विवरण को मैच किया जा सके।  इसलिए इस परिपत्र से व्यवहारिक रूप से कर्मचारी एवं नियोक्ता दोनों को कठिनाई हो रही है। 

श्रम कल्याण प्रकोष्ठ के चेयरमैन श्रीकिशन गोयल ने बताया कि कर्मचारी अधिकांशतः  ग्रामीण अंचल से संबंधित है एवं अशिक्षित हैं। इस कारण उनके आधार में नाम पते जन्म तिथि सही नहीं भरे गए हैं तथा उनके द्वारा नियोक्ता को दी गए  विवरण से आधार में दिया गया विवरण मैच नहीं करती हैं।  इसलिए ईसीआर जमा करने से पूर्व इस विवरण को सही करने में कठिनाई ही नहीं आएगी  बल्कि यह विभिन्न कारणों से  से अव्यावहारिक है।    कर्मचारी भविष्य निधि संगठन योजना के तहत केवाईसी प्रक्रिया पूर्व से ही की जा रही है।  इस प्रक्रिया के अंतर्गत बहुत सारे कर्मचारियों द्वारा अपने आधारों में विवरण बदल दिए हैं किंतु नियोक्ताओं को सूचित नहीं किया गया है तथा कई नियोक्ताओं द्वारा ऑफलाइन डेटाबेस  में शुद्धिकरण कर दिया गया है जो कर्मचारियों के आधार कार्ड से मैच नहीं करता है।  कोविड-19 महामारी के कारण लगी संपूर्ण बंदी से यह विवरण अभी तक दोनों स्तरों पर सही नहीं हो सके है।  आधार कार्ड में विवरण सही कराने की प्रक्रिया के अंतर्गत बहुत से कर्मचारियों के  पंजीकृत मोबाइल बदल गए हैं जिन पर ओटीपी उपलब्ध न होने के कारण उनकी यह  प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो सकी है। 

 श्रम कानून सलाहकार अभिनव रस्तोगी ने बताया कि हाल ही में केंद्र सरकार ने नए रोजगार पैदा करने के लिए नियोक्ताओं  को प्रोत्साहित करने के लिए आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआर वाई)  शुरू की है। इस योजना के तहत सितंबर 2020 के वेतनमान को किसी भी प्रतिष्ठान की पात्रता निर्धारित करने के लिए कर्मचारियों के संदर्भ आधार के रूप में लिया गया है।  इस योजना का लाभ उठाने के लिए  नियोक्ता को संदर्भ आधार के अलावा  2 नए कर्मचारियों (यदि कर्मचारी का सन्दर्भ धार 50 से कम या उसके बराबर है) और सन्दर्भ आधार 50 से अधिक होने पर  न्यूनतम 5 नए कर्मचारियों  को नियोजित करना होगा।    ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां आधार डाटा यूएएन के साथ मेल नहीं खाने के कारण सभी कर्मचारियों के ईसीआर को एक बार में अपलोड नहीं किया जा सका और नियोक्ता को यूएएन के संबंध में ईसीआर अपलोड करने और आधार के साथ सत्यापित करने के लिए बाध्य है। नतीजतन प्रतिष्ठान एबीआर वाई के लिए अयोग्य हो जाते हैं और ए बी आर वाई योजना से बाहर हो जाते हैं और ए बी आर वाई की सब्सिडी कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के लिए समाप्त हो जाती है।  

श्रम कल्याण प्रकोष्ठ के चेयरमैन श्रीकिशन गोयल  ने बताया कि जो प्रवासी मजदूर अपने पैतृक गांव से कार्यस्थल पर वापस लौट रहे हैं उन्हें आधार डाटा और यह ईपीएफओ डाटा में परिवर्तन करने के लिए सहायक दस्तावेज एकत्र करने के लिए अपने मूल  स्थानों पर वापस जाना होगा जो अव्यवहारिक है। 

 चैम्बर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने ने कहा कि यदि किसी कर्मचारी का डाटा मिसमैच करता है जिसके कारण उसका अंश जमा नहीं हो पाता है तो ऐसे कर्मचारी के प्रति नियोक्ता पर  बिना किसी इरादे से अंशदान जमा करने में होने वाली देरी के लिए उसे जिम्मेदार मानते हुए उसे न केवल आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के प्रोत्साहन लाभ  को  लेने से वंचित रहना पड़ेगा बल्कि उसे अकारण ही  दंडित होना पड़ेगा। 

श्रम कानून सलाहकार  अभिनव रस्तोगी  बताया कि कानून के इतने कम समय में  लागू करने से पुरे ईपीएफ प्रणाली  के समक्ष ऐसे विभिन्न मुद्दे आ जाएंगे  जिनसे की बचा जा सकता है। जो कर्मचारी एवं नियोक्ता  दोनों  के  हित के विरुद्ध होंगे।   क्योंकि बहुत से  कर्मचारियों के विवरणों में शुद्धिकरण के लिए ऑफलाइन  केवाईसी होने के लिए ईपीएफ कार्यालयों के पास  काफी लंबे समय से प्रतीक्षारत हैं। 

 चैम्बर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने सरकार से निवेदन करते हुए कहा है कि  इस  आदेश को जल्दबाजी में  लागू ना करते हुए इसके प्रभाव को कर्मचारी एवं नियोक्ता दोनों के हित पर गहन विचार किया जाए तथा लागु करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाये।   श्रम कल्याण के लिए जरूरी प्रावधान को रखा जाए।  फिलहाल में जटिलताओं से बचने के लिए इस परिपत्र  को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया जाए।