दिल्ली विश्वविद्यालय में अगले माह से शुरू हो सकती हैं,प्रिंसिपल पदों पर नियुक्तियां।



- भारती कॉलेज ने प्रिंसीपल पद की स्कूटनी व स्क्रीनिंग कर वेबसाइट पर डाला ।

- दो दर्जन से ज्यादा कॉलेजों में प्रिंसिपल पद खाली।,

- दिल्ली सरकार के लगभग 20 से अधिक कॉलेजों में नहीं है प्रिंसिपल।

हिन्दुस्तान वार्ता।दिल्ली

दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कॉलेजों में स्थायी प्रिंसिपलों की नियुक्ति संबंधी स्क्रीनिंग व स्कूटनी का काम आजकल जोरों पर चल रहा है । इस कड़ी में दिल्ली सरकार के भारती कॉलेज ने प्रिंसिपल पद की स्क्रीनिंग व स्कूटनी करने के बाद स्क्रीनिंग कमेटी ने प्रिंसिपल पद के जो आवेदन पत्र आए थे आवेदकों के एपीआई स्कोर के अंतर्गत जिन्होंने अपने डॉक्युमेंट उपलब्ध कराए उनके नामों को शॉर्टलिस्टिड कर उसे वेबसाइट पर डाल दिया है । वेबसाइट पर आवेदकों को शॉर्टलिस्टिड में किसी तरह की त्रुटि संबंधी सही करने के लिए 17 मार्च तक समय दिया गया है । आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ( डीटीए ) ने लंबे समय से कॉलेजों में खाली पड़े प्रिंसिपल पदों पर नियुक्ति किए जाने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि पिछले कई वर्षों से इन कॉलेजों में कार्यवाहक या ओएसडी प्रिंसिपल काम कर रहे है स्थायी प्रिंसिपल मिलने के बाद शैक्षिक व गैर-शैक्षिक स्थायी नियुक्ति की संभावना बढ़ जाएगी।

   दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ( डीटीए ) के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि भारती कॉलेज ने प्रिंसीपल की पोस्ट की स्क्रीनिंग व स्कूटनी करने के बाद कॉलेज ने अपनी वेबसाइट पर 17 उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्टिड किया है जिसमें 15 उम्मीदवारों को एपीआई स्कोर के अंतर्गत सही पाया गया है ,  01 उम्मीदवार टीचिंग एक्सपीरियंस के कारण व 01 रिसर्च आर्टिकल संबंधित जर्नल के कारण शामिल नहीं किया है , कॉलेज ने 17 मार्च तक किसी तरह की त्रुटि को सही करने का समय दिया है । डॉ. सुमन ने बताया है कि स्क्रीनिंग व स्कूटनी के बाद इन उम्मीदवारों के नाम वेबसाइट पर डाले है ,उनमें डॉ.अनुराधा गुप्ता , प्रोफेसर अनुपमा महाजन ,  प्रोफेसर संगीता मित्तल , डॉ.कामराज सिंधु , प्रोफेसर आशा रानी , डॉ.प्रशांत सिंह , प्रोफेसर सलोनी गुप्ता , प्रोफेसर रेखा सपरा , प्रोफेसर अजय कुमार झा , डॉ. नंदिनी चौधरी सेन , प्रोफेसर नमिता राजपूत , प्रोफेसर कुशा तिवारी , प्रोफेसर सरोज गुप्ता , डॉ. मोहम्मद रहीस , डॉ.राजीव सिंह आदि है । उन्होंने बताया है कि भारती कॉलेज के बाद मैत्रीय कॉलेज , सत्यवती कॉलेज , अरविंदो कॉलेज , भगतसिंह कॉलेज आदि कॉलेजों में प्रिंसिपल पद की स्क्रीनिंग व स्कूटनी का कार्य पूरा किया जा रहा है ।

- इन कॉलेजों में नहीं है स्थायी प्रिंसिपल :

डॉ.हंसराज सुमन ने बताया है कि दो दर्जन से अधिक कॉलेजों में प्रिंसिपलों की पोस्ट खाली पड़ी है । इनमें सबसे ज्यादा दिल्ली सरकार के कॉलेज है जहाँ 5 या उससे अधिक से प्रिंसिपल कार्यवाहक चल रहे है । इन कॉलेजों में विवेकानंद कॉलेज , महाराजा अग्रसेन कॉलेज , महर्षि बाल्मीकि कॉलेज ऑफ एजुकेशन , भीमराव अम्बेडकर कॉलेज , शहीद भगतसिंह कॉलेज , शहीद भगतसिंह कॉलेज ( सांध्य )  श्री अरविंदो कॉलेज , श्री अरविंदो कॉलेज (सांध्य ) मोतीलाल नेहरू कॉलेज , मोतीलाल नेहरू कॉलेज ( सांध्य ) सत्यवती कॉलेज , सत्यवती कॉलेज (सांध्य ) राजधानी कॉलेज , शिवाजी कॉलेज , श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज , भगिनी निवेदिता कॉलेज , आचार्य नरेंद्रदेव कॉलेज , भारती कॉलेज , इंदिरा गांधी फिजिकल एंड स्पोर्ट्स कॉलेज , मैत्रीय कॉलेज , दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज , गार्गी कॉलेज , कमला नेहरू कॉलेज आदि है । इसके अलावा मिरांडा हाउस , दयालसिंह कॉलेज , पीजीडीएवी कॉलेज , शामलाल कॉलेज ( सांध्य ) भी बिना स्थायी प्रिंसिपल के चल रहे है ।

   डॉ. सुमन ने बताया है कि प्रिंसिपलों के पदों पर भी आरक्षण होते हुए भी दिल्ली यूनिवर्सिटी में 79 कॉलेज है मगर इनमें से एक पद पर भी एससी, एसटी, ओबीसी व दिव्यांग श्रेणियों से नहीं भरा है। डीयू में जब संसदीय समिति ने दौरा किया था तब रजिस्ट्रार, वाइस चांसलर व डीन ऑफ कॉलेजिज को कहा गया था कि प्रिंसिपल पदों पर आरक्षण दिया जाए ।समिति का कहना था कि कॉलेजों के इन पदों को एक जगह क्लब करके रोस्टर बनाया जाएं और यूजीसी व डीओपीटी गाइड लाइन के अनुसार आरक्षण देकर पदों का विज्ञापन निकाला जाना चाहिए । यदि प्रिंसिपलों पदों को क्लब करते हैं तो एससी--12 ,एसटी---06 ,ओबीसी--20 ,दिव्यांग श्रेणी--04 पद बनते हैं मगर अभी तक दिल्ली यूनिवर्सिटी ने प्रिंसिपलों के पदों को क्लब करके रोस्टर रजिस्टर नहीं बनाया है और न ही पदों का विज्ञापन ही निकाला ,जिससे सारे पद खाली पड़े हुए हैं ,और अब पदों के निकाले जाने के बाद भारती कॉलेज से प्रिंसिपल पद के इंटरव्यू का प्रोसेस अगले माह से शुरू होने की पूरी संभावना है । उनका कहना है कि ऐसी स्थिति में जब सारे पदों पर प्रिंसिपल पदों को भर लिया जाएगा तो उन्हें आरक्षण कब दिया जाएगा, सोचनीय विषय है ।

 डॉ. सुमन का कहना है कि किसी भी कॉलेज या संस्थान में प्रिंसिपल एक महत्वपूर्ण पदों में स्वीकार किया जाता है ।प्रिंसिपल ही सबसे अधिक समय कॉलेज/संस्थान को देते है ,प्रोफेसर व प्रिंसिपल बराबर रेंक के माने जाते हैं।

    उनका कहना है कि दिल्ली सरकार के अधिकांश कॉलेजों में लंबे समय से कुछ तो 5 साल या उससे अधिक से प्रिंसीपल के पद खाली पड़े हुए हैं । इसी तरह से प्रिंसिपलों के पदों पर भी नियुक्ति ना होने से टीचिंग व नॉन टीचिंग की परमानेंट वेकेंसी नहीं निकाली गई ,कुछ ने निकाली है तो पूरा आरक्षण नहीं दिया गया है। प्रिंसिपलों के कारण लायब्रेरी में नॉन टीचिंग की नियुक्तियां भी नहीं हो पा रही है । उन्होंने डीयू के वाइस चांसलर से जल्द से जल्द कॉलेजों में प्रिंसिपलों की नियुक्ति में आरक्षण देते हुए की जाए ताकि सामाजिक न्याय का सही से पालन हो सकें ।