लोगों के लिए,कई उत्कृष्ट सुविधाएं संभव हो सकती हैं पालीवाल पार्क में: सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा।

 


सिर्फ शिलान्यास पट्टिका: महापौर का कमाल।

हिन्दुस्तान वार्ता।आगरा

पालीवाल पार्क मे मेयर द्वारा टॉयलेट बनाने की शिलान्यास पट्टिका लगी हुई है। यह पट्टिका 29-5-21 को टूटे हुए पुराने फूड संरक्षण केंद्र, जो कि गीता भवन के पास है,पर लगी है। यह कार्य श्रीमान महापौर ने करीब 17.59 लाख रुपये से शौचालय बनवाने का अनुमोदन कार्यकारिणी से सर्वसम्मति से पारित कराकर, ठेका दिया गया था। अनुबंध के अनुसार उक्त कार्य 26-8-21 तक किया जाना था। आज तक नीव ही बनी है। निर्माण कार्य का सामान भी पड़ा है। शिलान्यास पट्टिका पूरे सम्मान के साथ लगी है। मजे वाली बात है कि ठेकेदार पर कोई पेनाल्टी नहीं लगाई गई है,जो कि अनुबंध का हिस्सा होता है। 

कार्य पूरा ना होने की वजह नगर निगम के अवर अभियंता श्री इंद्रजीत सिंह, सहायक अभियंता श्री सुरेन्द्र कुमार ओझा , अधिशासी अभियंता श्री रविन्द्र कुमार सिंह ,मुख्य अभियंता श्री बिंद्रा लाल गुप्ता, नगर आयुक्त या महापौर जानते है। पर मज़ाक जनता के साथ हो रहा है। ऐसी शिलान्यास पट्टिका पूरे शहर मे लगीं हैं, कितना काम हुआ कितना बाकी है, पेनल्टी लगी , भुगतान हुआ या नहीं यह विचारणीय विषय है। पार्षद श्री शिरोमणि सिंह ने बताया कि करोड़ों का भुगतान ठेकेदारों का अभी भी बाकी है। देखना यह है कि कार्य कब तक पूरा होता है। 

पालीवाल पार्क में होती बदहाली शहर के पर्यावरण से खिलवाड़।

पालीवाल पार्क महानगर का सहज जन पहुँच वाला प्रमुख बडा पार्क है। 1890 में कॉलोनियल शासन व्‍यवस्‍था के समय बने इस पार्क का स्‍वतंत्र भारत में जहां बेहतर रखरखाव होना चाहिए था,वहीं इसकी सुविधाओं में निरंतर गिरावट आती जा रही है।

पार्क को पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर  हेविट पार्क के नाम से भी जाना जाता है. पार्क लगभग 70 एकड़ घास के मैदान में फैला हुआ है। पालीवाल पार्क में एक छोटी सी झील है और जैविक विविधता की अनुकूलता वाले सघन वृक्षारोपण पार्क की शोभा वृद्धि करते हैं। हरियाली के कारण ही पार्क में पर्यावरण स्वास्थ्य अनुकूल है।

व्यक्तियों और परिवारों के लिए कई उत्कृष्ट सुविधाएं संभव हो सकती हैं। 

पार्क व्यक्तियों और परिवारों के लिए कई उत्कृष्ट सुविधाएं संभव हो सकती हैं लेकिन इसके लिये व्यापक बदलाव और कुशल प्रबंधन की जरूरत है। पार्क तमाम खर्च किये जाने के बावजूद आदर्श स्थिति में न से कहीं दूर है। खुले जिम क्षेत्र, योग कक्षाएं और नौका विहार हैं आदि की सुविधायें खर्च कर बना तो दी गयी हैं किन्तु केवल प्रचारात्मक बन कर ही रह गयी हैं।

फर्नीचर पार्क में आने वाले भ्रमणर्थियों के लिये उपयुक्‍त स्‍तरीय फर्नीचर तक नहीं है। भारी भरकम धन रखरखाव के नाम पर खर्च किये जाने के बावजूद सुविधा जनक बैंचे तक नहीं हैं।

विधायक और सांसद निधि की उदासीनता।

पार्क प्रदेश के उद्यान विभाग के अधीन आता है, लेकिन वह छोटे से छोटे कार्य के लिये आगरा विकास प्राधिकरण पर निर्भर करता है। शायद ही कभी विधायक या सांसद निधि का धन इसके विकास में लगा हो, जो भी धन खर्च हुआ है,वह आगरा विकास प्राधिकरण के द्वारा वसूली जाने वाली पथकर निधि से । जो कि आगरा विकास प्राधिकरण के बोर्ड के अधीन ही संचालित है।

नगर निगम आगरा पार्क में सफाई और मल मूत्र निस्तारण जैसी आधारभूत जरूरतों को अपने सैनिटरी विभाग के माध्यम से पूरा करवाता है इसके लिए वह पैसा नहीं वसूलता। निगम की ओर से शौचालय,मूत्रालय सहित कई निर्माण भी करवाये गये हैं,किन्‍तु शायद ही उनमें से कोई पूरा हुआ दिखता हो।

पार्क में प्रभावशाली लोगों की मेहरबानी से प्रवेश टिकट शुरू किया जा चुका। सुबह और शाम भ्रमणार्थियों ने प्रवेश निशुल्क करवा रखा है।

फलस्‍वरूप सबसे ज्यादा प्रतिकूल असर पार्क के आसपास के मलिन बस्ती क्षेत्रों के उन लोगों पर पड़ा है जो कि छोटे मकानों रहते हैं और आमदनी के मामले में भी सीमित आय वर्ग के हैं।

पार्क कमेटी और उ प्र में पार्कों के प्रबंधन एक्ट की अनदेखी।

पार्क का प्रबंधन उद्यान विभाग के द्वारा एक कमेटी के तहत आता है, किन्तु वह क्‍या करती है शायद उसे कर्त्ता धरताओं को ही इसकी जानकारी होगी। हां पार्क पर टिकट लगने से होने वाली वसूली से एकत्र धन कमेटी के प्रबंधन में ही है। जब से कमेटी बनी है तब से पेड़ बढे हों या नहीं किन्तु खाने पीने का सामान बेचने वालों और भ्रमणर्थियों के घूमने के फुटपाथ पर पथ विक्रेताओं का बाजार अवश्य व्यवस्थित हो गया है।

उ.प्र.में पार्कों के प्रबंधन के लिये  शासन के द्वारा  (U. P. ACT No. 55 OF 1975) अधिसूचित किया हुआ है, किन्तु पालीवाल पार्क की अव्‍यव्‍स्‍थाओं को दृष्टिगत लगता है कि यहां इसकी ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया गया है।