आगरा राइटर्स एसोसिएशन ने भरत दीप माथुर के ग़ज़ल संग्रह 'कहाँ चले आए' का किया लोकार्पण।

 


जैसे भी हो इसे बचा लो हिंदी वालो उर्दू वालो।

हिंदी ग़ज़ल और उर्दू ग़ज़ल के नाम पर की जा रही दुर्भाग्यपूर्ण धडे बाजी से दूर हैं भरत दीप माथुर की ग़ज़लें: डॉ.त्रिमोहन तरल।

भरत दीप माथुर के अशआर दिल में उतर जाते हैं: सैयद बाबर इमाम

हिन्दुस्तान वार्ता।

आगरा। आगरा राइटर्स एसोसिएशन द्वारा भरत दीप माथुर के ग़ज़ल संग्रह 'कहां चले आए' का लोकार्पण पश्चिम पुरी स्थित होटल वान्या पैलेस में शनिवार को किया गया।

 संग्रह की समीक्षा करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. त्रिमोहन तरल ने कहा कि गजलगोई की दुनिया में हिंदी ग़ज़ल और उर्दू ग़ज़ल के नाम पर की जा रही दुर्भाग्यपूर्ण धड़ेबाजी से दूर भरत भाई हिंदी और उर्दू ग़ज़ल में कोई फर्क नहीं करते। उनके यहाँ दोनों जुबानों को बराबर की अहमियत है। एक बानगी देखें-  'इल्मो-अदब के चाहने वालो, हिंदी वालो उर्दू वालो। मुझको तुम दोनों अपना लो, हिंदी वालो उर्दू वालो। इस विरसे को ले डूबेगी, यूँ आपस की खींचातानी। जैसे भी हो इसे बचा लो, हिंदी वालो उर्दू वालो..' 

ग़ज़लों में खूबसूरत तस्वीरें बनाते हैं भरतदीप।

 अमीर अहमद जाफरी ने समीक्षा करते हुए कहा कि भरतदीप की शायरी में हमको अरूज़ की पाबंदी, सहल ज़बान का लुत्फ़ व अशआर की गहराई साफ़ नज़र आती है। उनकी शायरी का कैनवस बेहद वसीअ है जिसमें वो तरह तरह के रंग भर बेहद ख़ूबसूरत तस्वीरें बनाकर उन्हें शायरी की ज़बान में हमारे सामने पेश करते हैं।

इंसानियत को समझते हैं अपना ईमान।

 लखनऊ के वरिष्ठ साहित्यकार कुँवर कुसुमेश ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि महज इंसानियत को अपना ईमान समझने वाले कुछ अच्छे कलमकारों में से एक हैं भरत दीप जो हिंदी-उर्दू की खाई को पाटते जा रहे हैं ताकि अदब के नाम पर फैलाई जा रही नफरत मुआशरे में अपनी जगह न बना पाए।

इनकी रचनाओं में है ग़ज़ल की हर खूबी।

 रायबरेली के जनाब सुधीर बेकस ने बतौर मुख्य अतिथि अपने उद्बोधन में कहा कि भरत दीप माथुर की ग़ज़लों में सादगी और सफाई, रवानी, मौसीकियत, शोखी और बलंदी-ए-तखय्युलात यानी ग़ज़ल की हर खूबी नजर आती है।

दिल में उतर जाते हैं अशआर।

 विशिष्ट अतिथि पटना से आए सैयद बाबर इमाम ने कहा कि भरत दीप माथुर की शायरी में सादगी है और वह बहुत आसानी से अपनी बात कह देते हैं जिसकी वजह से इनके अशआर दिल में उतर जाते हैं।

गजलगोई का सफर किया साझा।

 इस मौके पर भरत दीप माथुर ने सबका आभार व्यक्त करते हुए अपनी गज़लगोई का सफर सबसे साझा किया। आगरा राइटर्स एसोसिएशन के संस्थापक डॉ. अनिल उपाध्याय ने समारोह का संचालन किया। आयोजन समिति की अध्यक्ष श्रीमती कुसुम माथुर, स्वागत समिति की सचिव श्रीमती शालिनी माथुर, रमेश पंडित, बृजेश चंद्रा, अलका अग्रवाल, वैभव असद अकबराबादी, नवीन वशिष्ठ, सलीम अहमद एटवी,मान सिंह मनहर,शिवराज,जाकिर सरदार ने अतिथियों का स्वागत किया। रेख़्ता लिट्रेरी फ़ाउंडेशन के सदस्य ताज रिज़वी- लखनऊ  ने भी कार्यक्रम में सहभाग किया।