भारत-श्रीलंका के सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करेगा अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्‍सव



हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

कोलंबो: श्रीलंका की संसद में सोमवार को श्रीमद्भगवद्गीता की एक प्रति पेश की गई। इससे पहले रविवार को राजधानी कोलंबो में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्‍सव का समापन हुआ,जिसमें हजारों प्रतिनिधियों ने बड़े उत्साह से हिस्सा लिया।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा श्रीलंकाई संसद में श्रीमद्भगवद गीता प्रस्तुत करने से पहले आयोजित महोत्सव में गीता यज्ञ,गीता जप,शोभा यात्रा,समसामयिक रुचि के कई विषयों पर सम्‍मेलन और प्रतियोगिताएं हुई और इस दौरान श्रीलंका के लोग गीता के उपदेशों से आत्मसात हो उठे।

कोलंबो के नेलम पोकुना थिएटर में रंगोली और फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता,गीता श्लौकाच्चारण तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का शुभारंभ हुआ। 

श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने कार्यक्रम को सौहार्द का प्रतीक बताते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने,मंत्री बंडुला गुणवर्धने और विदुर विक्रमनायका का भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड प्रतिनिधिमंडल के साथ अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव सद्भावना यात्रा का गवाह बनना सम्मान की बात है।

महोत्‍सव को संबोधित करते हुए श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त संतोष झा ने कहा भगवद गीता वैचारिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता का समर्थन करती है और प्रत्येक व्यक्ति को अपना दृष्टिकोण रखने के लिए प्रेरित करती है।

महोत्सव के अंतिम दिन रविवार को श्रद्धालुओं ने सद्भावना यात्रा ‘पेराहेरा’ निकाली,जिस दौरान लोगों ने रंग-बिरंगे परिधान पहनकर नृत्य किया। महाभारत पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने समां बांध दिया,जबकि गीता महायज्ञ के दौरान पूरा माहौल गीतामयी हो गया। हरियाणा के कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सहयोग से श्रीलंका में पहली बार यह महोत्सव मनाया गया,जिससे दोनों देशों के श्रद्धालुओं को श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षा पर संयुक्त रूप से विमर्श का अवसर मिला। यह महोत्सव दोनों देशों के बीच प्राचीन समय से चले आ रहे सांस्कृतिक जुड़ाव को और मजबूत करेगा।

रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी।