वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.सुषमा सिंह के खंडकाव्य 'राम कथा :हाइकु के झरोखे से' का लोकार्पण




डॉ.इंद्र स्मारक समिति के तत्वावधान में वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद डॉ.इंद्रपाल सिंह 'इंद्र' को उनकी जयंती के अवसर पर साहित्यकारों ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

मंत्र कविता को साधने की एक सर्जनात्मक दिशा है हाइकु : डॉ.जय सिंह नीरद

राम आचरण के उदाहरण हैं,चरित्र के चित्र हैं,जीवन की शैली हैं : डॉ.सुषमा सिंह

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा। डॉ. इंद्र स्मारक समिति के तत्वावधान में वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद डॉ. इंद्रपाल सिंह 'इंद्र' की जयंती के अवसर पर शुक्रवार शाम यूथ हॉस्टल में जहाँ साहित्यकारों और शिक्षाविदों ने डॉ.इंद्र का भावपूर्ण स्मरण किया,वहीं उनकी सुयोग्य सुपुत्री, आरबीएस कॉलेज की पूर्व प्राचार्य व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.सुषमा सिंह के हाइकु छंद में रचित व निखिल पब्लिशर्स से प्रकाशित द्वितीय खंडकाव्य 'राम कथा: हाइकु के झरोखे से' का लोकार्पण भी किया गया।

 वक्ताओं ने कहा कि ऋषि वाल्मीकि, गोस्वामी तुलसीदास,आचार्य केशव दास,मैथिली शरण गुप्त और डॉ.इंद्रपाल सिंह 'इंद्र' की परंपरा में डॉ. सुषमा सिंह द्वारा हाइकु छंद में राम कथा का सृजन अनूठा और सराहनीय कार्य है। 

समारोह की अध्यक्षता आरबीएस कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ.जवाहर सिंह धाकरे ने की। अहमदाबाद से पधारे बहुमुखी प्रतिभा के धनी काव्यकार,नाटककार, उपन्यासकार,सजग और क्रांतिकारी विचारक राम किशोर मेहता मुख्य अतिथि रहे।

  श्री मेहता ने कहा कि सुषमा जी ने रामकथा के मिथकीय स्वरूप से इतर स्थापनाएँ भी की हैं। जैसे- सीता को अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा,राम वन गमन पर नागरिकों की आपसी बातचीत,सूर्पणखां का शील की सीमा लांघ कुल की नाक कटा लेने का उल्लेख आदि। 

   विशिष्ट अतिथि केएमआई के पूर्व निदेशक डॉ. जयसिंह नीरद ने कहा कि दिनकर जी ने लिखा था कि भविष्य की कविता 'मंत्र कविता 'होगी। हाइकु इसी मंत्र कविता को साधने की एक सर्जनात्मक दिशा है। वह क्षण में बँधे अनुभव की स्वायत्त अभिव्यक्ति है।  डॉ.सुषमा सिंह ने इस अवसर पर कहा कि राम आचरण के उदाहरण हैं,चरित्र के चित्र हैं और जीवन की शैली हैं। उन्होंने लोकार्पित खंडकाव्य से हाइकु सुनाकर सबकी वाह वाही भी लूटी- " मनभावन/ गंगा सी है पावन/ राम की कथा.. राम नाम है/ अत्यंत मनोरम/ रमता मन.."

 डॉ.आभा चतुर्वेदी,रमा वर्मा श्याम,शेष पाल सिंह शेष,शीलेन्द्र वशिष्ठ,पूनम वार्ष्णेय और अलका अग्रवाल ने डॉ.इन्द्र की बहुमुखी प्रतिभा के विभिन्न आयामों की चर्चा की। डॉ.रमा रश्मि ने पुस्तक की समीक्षा की।

 इससे पूर्व साधना वैद ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। समारोह का संचालन स्वयं डॉ.सुषमा सिंह ने किया।

समारोह में यशोधरा यादव'यशो',राज बहादुर सिंह राज, डॉक्टर राजेंद्र मिलन, रमेश पंडित, हरिमोहन सिंह कोठिया,प्रेम राजावत,राजकुमारी चौहान, प्रभा गुप्ता, पूनम तिवारी, रेखा गौतम, नूतन अग्रवाल, यश चंद्रिका, ममता भारती और इंदल सिंह इंदू सहित तमाम गणमान्य साहित्यकार मौजूद रहे।