− राजस्थान में भारत के तेंदुओं के देश “बेरा” का यात्रा वृतांत समाहित है पुस्तक में
− 210 पेज की पुस्तक में तेंदुओं को एक हीरो की तरह किया गया है प्रस्तुत
− मोटर स्पाेर्ट,क्रिकेट,गोल्फ,बॉक्सिंग, फोटोग्राफी के बाद हरविजय ने लेखन में साबित किया स्वयं को
हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो
आगरा। काले रंग के कवर पेज का आवरण ओढ़े एक बहुत मोटी सी पुस्तक अपने अंदर लेखन और फोटोग्राफी का अद्भुत संसार लिए होगी,ये शायद ही किसी को पता होगा। रविवार को होटल क्लार्क्स शिराज में हरविजय सिंह बाहिया की "कॉफी टेबल बुक" का जब विमोचन हुआ तो हर कोई उनकी कालजयी कृति को देखकर अचंभित सा रह गया।
पुस्तक का विमोचन डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी, डीएफओ आदर्श कुमार सहित हरविजय सिंह बाहिया के परिजनों ने किया। पेशे से जूता व्यवसायी,खेल,पर्यावरण प्रेमी,फोटोग्राफी के शाैकिन हरविजय सिंह बाहिया,आगरावासियों के लिए परिचित नाम हैं। 72 वर्ष की उम्र में प्रकृति के सबसे नजदीक रहने वाले प्राणी को एक नायक की तरह प्रस्तुत करने की कला सभी साहित्य और प्रकृति प्रेमियों के लिए अनूठी मिशाल बनी है।
हरविजय सिंह बाहिया ने अपनी इस पुस्तक यात्रा के बारे में बताया कि राजस्थान का एक ग्रामीण क्षेत्र है बेरा,जो कि अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां की विशेषता है कि विगत 150 वर्षाें में यहां के जंगली क्षेत्र में रहने वाले तेंदुओं ने कभी भी किसी भी मानव पर हमला नहीं किया है।
हरविजय सिंह ने बताया कि स्वास्थ संबंधित समस्या के कारण उन्हें प्रकृति की गोद बेरा में जाने का अवसर मिला। ये अवसर कब तेंदुओं के साथ एक रोमांटिक मुलाकात में बदल गया उन्हें पता ही नहीं चला। रात साढ़े तीन−तीन बजे जागकर दिनचर्या आरंभ करने का सिलसिला चला तो अंधेरी रात में तेंदुओं की जीवनचर्या से रूबरू हुए। फोटोग्राफी के शौक के चलते जब तेंदुओं की खूबसूरती को लैंस से कैद किया तो वो शाैक पुस्तक में बदल गया।
उन्होंने कहा कि मुझे लगा कि एकांत में शांति होगी,लेकिन प्रकृति के सन्नाटे में वो निवास वास्तव में जीवित होने का अनुभव था। पुस्तक बेरा और उसके रॉकस्टार की ओर ध्यान आकर्षित करती है,जहां प्रकृति अपने शानदार वन्य जीवन के साथ आकर्षक ढंग से फैली हुई है।"रॉकस्टार्स ऑफ बेरा" राजस्थान में भारत के तेंदुओं के देश 'बेरा' की यात्रा है।
चुस्त तेंदुए की फोटोग्राफी है रोमांचक :
तेंदुओं की फोटोग्राफी के अनुभव पर सुधा कपूर के साथ चर्चा करते हुए हरविजय सिंह बाहिया ने कहा कि तेंदुआ एक बेहद फुर्तिला पशु है। उसकी निगाह हर वक्त लक्ष्य के साथ अपनी सुरक्षा पर रहती है। उसके कदमों के चिन्ह देखकर उसका पीछा करना और समीप जाकर फोटो लेने का अनुभव सदैव स्मरण रहेगा। तेंदुए अधिकांश शिकार रात को करते हैं। इसलिए रात के अंधेरे में बहुत बार उनका पीछा करना होता था। एक बेहतरीन शॉट के लिए एक सेकेंड में करीब दस से अधिक क्लिक करने होते थे। तब जाकर हजारों फोटोग्राफ में से कुछ चुनिंदा फोटो ने "काफी टेबल बुक" में जगह प्राप्त की।
70 वर्ष की उम्र में आरंभ की नवीन यात्रा :
हरविजय सिंह बाहिया ने बताया कि वर्ष 2020 में जब मैं 70 वर्ष की उम्र के पड़ाव पर पहुंचा तो पीछे मुड़कर देखा कि तो स्वयं को फोटोग्राफर, क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, स्क्वैश, गोल, एंड्योरेंस कार रैलियों और यात्राओं का शानदार अनुभव पाया, साथ ही गहन अध्ययन,साहित्य और रंगमंच के कार्यक्रमों में शामिल होने के साथ-साथ पर्यावरण कार्यक्रमों और शहर के सौंदर्यीकरण में अपनी भागीदारी देखी लेकिन जीवन उद्देश्य इतना भर नहीं था। इसके बाद क्या की खाेज मुझे आगे बढ़ने लिए उन्हें प्रेरित कर रही थी।
इस प्रेरणा ने आगरा एडवेंचर क्लब के गठन को जन्म दिया जिसका उद्देश्य 100 किमी के दायरे में आगरा के आसपास के क्षेत्रों का पता लगाना था। इंटरनेट पर सर्फिंग करते हुए राजस्थान के एक गांव बेरा के बारे में पता चला, जहाँ तेंदुए इंसानों के साथ-साथ रहते हैं। यह सुनने में रोमांचक लगा,तेंदुए और इंसान एक साथ कैसे रह सकते हैं? दिमाग में बहुत सारे सवाल उठे, कुछ ऐसा था जो ध्यान आकर्षित करने लगा। बेरा के बारे में और अधिक शोध करना शुरू कर दिया,जो कुछ भी पाया वह आकर्षक और उतना ही साहसिक था, अंततः अनूठा। बढ़ती उम्र को दरकिनार करते हुए और सभी परेशान करने वाले विचारों को शांत करते हुए,बेरा की यात्रा करने का संकल्प लिया लेकिन कोविड के कारण उस वक्त वो विचार विफल रहा। 2022 में फरवरी की शुरुआत में ब्रेन स्ट्रोक ने शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से टूटा लेकिन जीवन संघर्षाें से लड़ने की क्षमता के कारण लेह जाने का विचार बनाया और निकल पड़ा। इसके बाद कार द्वारा जयपुर,अजमेर, बीवर और पाली से गुज़रते हुए एक आरामदायक ड्राइव के बाद बेरा से सिर्फ़ 20 मील दूर सुमेरपुर पहुंचने पर भूभाग काफ़ी बदल गया, दूर-दूर तक चट्टानी पहाड़ियां झाड़ियों और वनस्पतियों की घनी झाड़ियों से ढकी और घिरी हुई थीं। उस स्थल पर पहुंचते ही मन से आवाज उठी ये वाे जगह है जहां मुझे होना चाहिए। तेंदुओं की खूबसूरत दिनचर्या, स्वयं से स्वयं की लड़ाई और हर बार जीतने की ललक उन्हें रॉकस्टार ही बनाती है। इस यात्रा को एक पाठ की तरह सिखाया स्थानीय निवासी रबारी ने।
इन्होंने किया सहयोग :
हरविजय सिंह बाहिया ने अपनी "कॉफी टेबल बुक" के विमोचन पर अपनी दिवंगत पत्नी इंदू,बच्चे मानसी,सिमरन,हरशिव और देविका,जयश चौहान,आनंद तिवारी, वेदपाल धर,नीलिमा डालमिया, अंशु खन्ना, रोली सिन्हा, ललित राजौरा, सुशील ठुकराल के साथ ही बेरा में अल सुबह चाय पिलाने वाले गुमान सिंह का भी आभार प्रकट किया।
ये रहे उपस्थित :
रॉकस्टार्स आफ बेरा काफी टेबल बुक के विमोचन के अवसर पर वेदपाल धर, सिद्धार्थ जैन, डॉ.अनुज कुमार, डा. राकेश भाटिया, पुत्रवधू देविका बाहिया, नातिन तारिणी चंद्रा ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर प्रमुख उद्यमी,समाज सेवी पूरन डावर,डॉ.रंजना बंसल,रेनुका डंग,राम मोहन कपूर,पूनम सचदेवा, नीना कथुरिया,सुषमा,मनजीत अलग, आशा भगत,संदेश जैन,सुशील जैन, राजीव वासन,अरुण डंग,राजीव गुप्ता, राजीव सक्सेना,विक्रम शुक्ला आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट - असलम सलीमी।