आनंदधाम आश्रम (ठाकुर शेषनारायण मन्दिर) में धूमधाम से मनाया गया गोपाष्टमी महोत्सव



हिन्दुस्तान वार्ता।डॉ.गोपाल चतुर्वेदी

वृन्दावन।चामुंडा मोड़ स्थित आनंदधाम आश्रम (ठाकुरश्री शेषनारायण मन्दिर) में कार्तिक मास के अवसर पर गोपाष्टमी महोत्सव महामंडलेश्वर विजयदास भैयाजी महाराज (बल्लभगढ़ वाले) के पावन सानिध्य में अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ मनाया गया।जिसके अंतर्गत कामधेनु स्वरूप गौमाता का वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य संतों एवं भक्तों के द्वारा पूजन-अर्चन किया गया।

इस अवसर पर आयोजित संत-विद्वत सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए आनंदधाम आश्रम (ठाकुरश्री शेषनारायण मन्दिर) के संस्थापक अध्यक्ष महामंडलेश्वर विजयदास भैयाजी महाराज (बल्लभगढ़ वाले) एवं कलाधारी बगीची आश्रम के महंत जयराम दास महाराज ने कहा कि हमारी सनातन संस्कृति में आदि काल से ही वेदों, उपनिषदों,पुराणों एवं संतों की वाणी में गौ वंश की महिमा का वर्णन है।जिसमें गाय को माता कहा गया है।कामधेनु स्वरूप गौमाता साक्षात कल्पतरू है।

महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद शास्त्री महाराज एवं चतु:संप्रदाय के श्रीमहंत बाबा फूलडोल बिहारीदास महाराज ने कहा कि प्राकृतिक विज्ञान के अनुसार एक गाय अनेक प्राणियों का पोषण करने में सक्षम है। गाय के दूध, दही, घी, मूत्र और गोबर से प्राप्त पंचगव्य ओषधियां मानव के लिए बहुमूल्य वरदान है।

गोरे दाऊजी मन्दिर के महंत प्रह्लाद दास महाराज एवं महंत शिवदत्त प्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि गौमाता द्वारा प्रदत्त दुग्ध पदार्थ, ओषधियां, व अन्य लाभ किसी जाति विशेष के लिए लाभकारी नही है,अपितु ये संपूर्ण विश्व के लिए अति उपयोगी हैं। अत: हमें जाति-पाति, समुदाय,धर्म की सीमा से उठकर गौ संरक्षण, गौ संवर्धन व गौशालाओं के विकास का कार्य करना चाहिए।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.गोपाल चतुर्वेदी एवं डॉ.रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री महाराज ने कहा कि गाय एक दिव्य प्राणी है। यह पृथ्वी पर जीवों के पास मंगल हेतु श्रीहरि की देन है।जिस घर में गाय की सेवा होती है, उस घर के कलह-कलेश व सभी प्रकार के वास्तु दोष दूर हो जाते हैं।वस्तुत: गौ माता गृह-नक्षत्रों के समस्त अशुभ प्रभावों को अपने ऊपर लेकर अपने सेवक को अभय दान देती है।

इस अवसर पर श्रीराधा उपासना कुंज के महन्त संतदास महाराज, महंत योगेन्द्र दास महाराज,महन्त कमल दास महाराज,महंत लाड़िली दास महाराज आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।महोत्सव के अंतर्गत महामण्डलेश्वरों,श्रीमहंतों व महंतों का सम्मान किया गया।तत्पश्चात संत,ब्रजवासी,वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारे के साथ महोत्सव का समापन हुआ।