चेक बाउंस तो होगी सजा,नए नियमों को जानें,नहीं तो पड़ेगा पछताना

हिन्दुस्तान वार्ता।दिल्ली

चेक बाउंस अपराध :

लोगों को चेक बाउंस से जुड़े मामलों में जेल तक जाना पड़ता है। अगर आप किसी को यूपीआई (UPI) से पैसे भेज रहे हैं और ट्रांजेक्शन कैंसिल हो जाती है तो वह कोई अपराध नहीं है, लेकिन चेक के मामले में ये अपराध की श्रेणी में आ जाता है।

चेक बाउंस मामले में कितने साल की सजा होगी, कितना जुर्माना लगेगा, क्या कुछ नियम हैं,आइए जानते हैं।

गैर जमानती अपराध :

कुछ समय पहले ही फिल्‍मकार रामगोपाल वर्मा पर चेक बाउंस के मामले में अदालत का फैसला आया। कोर्ट ने उनको तीन महीने की सजा सुना दी। उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट तक जारी किया गया। अब आम तौर पर चेक बाउंस का मामला जमानती होता है,फिर इस केस में गैरजमानती क्यों। 

ऐसे में हमें पता होना चाहिए कि चेक बाउंस के मामले में कितनी सावधानी जरूरी है। चेक बनाते समय किन बातों का हमें ध्यान रखना चाहिए। हम ऐसी मुसिबत में न फंसे इसके लिए हमें क्या करना चाहिए। आइए चेक के बारे में सबकुछ जानते हैं।

क्या है चेक बाउंस :

हमें पहले जानना चाहिए कि चेक बाउंस आखिर होता कैसे है। सीधे शब्दों में कहे तो जब खातें में दिए गए चेक से कम रकम हो तो चेक बाउंस हो जाता है। उदाहरण के लिए किसी को 50 हजार रुपये का चेक दिया और भुगतान के लिए जब उसने बैंक में लगाया तो खाते में 50 हजार से कम रुपये हैं तो चेक बाउंस हो जाएगा। चाहे एक पैसा ही कम क्यों ने हो,चेक बाउंस माना जाएगा। 

चेक बाउंस को लेकर यह है कानून :

चेक बाउंस का मामला निगोशिएबल इंस्‍ट्रूमेंट एक्‍ट (cheque bounce act) 1981 की धारा 138 के तहत आता है। इस प्रकार के केसेज में पहले तो चेक जारी करने वाले को नोटिस दिया जाता है। जिसमें उसको तय समय में सेटलमेंट का अवसर दिया जाता है। ऐसा न करने पर कोर्ट जुर्माना, जेल आदि सजा व गिरफ्तारी के आदेश दे सकता है। कोर्ट जमानती या गैरजमानती वारंट जारी कर सकता है। 

30- 15- 30 का नियम :

चेक बाउंस होने पर इसकी सूचना बैंक द्वारा आदाता को दी जाती है। ऐसे चेक के बाउंस होने पर आदाता उस चेक बाउंस की सूचना 30 दिन के भीतर चेक जारीकर्ता को नोटिस के जरिए सूचित कर नोटिस देने की तिथि से अगले 15 दिनों के भीतर भुगतान करने का आदेश देगा। यदि चेक जारी कर्ता उक्त अवधि में भुगतान करने में विफल रहता है तो ऐसी तिथि के बीतने के 30 दिन के भीतर पीड़ित को कोर्ट में दावा पेश करना होगा।

चेक बाउंस मामले में नहीं करानी होती एफआईआर :

भारतीय कानून के अनुसार चेक बाउंस आपराधिक प्रकृति में आता है, फिर भी चेक बाउंस के मामले में पुलिस रिपोर्ट या एफआईआर दर्ज कराने की आवश्यकता नहीं होती है। इसके लिए मजिसट्रेट या अदालत में अर्जी दी जाती है। वहीं,पुलिस इसमें गिरफ्तार भी अपनी मर्जी से नहीं कर सकती है, कानूनी दायरे में कोर्ट के आदेश पर ही गिरफ्तारी हो सकती है। कोर्ट चाहे जुर्माना लगाए और मूल राशि के साथ लौटाने का आदेश दे या आरोपी को जेल भेजे, सब कोर्ट ही डिसाइड करता है। 

6 माह में निपटान :

चेक बाउंस के मामलों को कानून के अनुसार 6 महीने के भीतर निपटाया जाना जरूरी है। चेक बाउंस की शिकायत बैंक शाखा वाली जगह या जारी की जाने वाली जगह पर की जा सकती है। पहली बार चेक बाउंस होने पर केस के बिना निपटान का अवसर दिया जाता है।

2 साल की हो सकती है जेल :

बार-बार चेक होने पर सजा का सामना करना पड़ सकता है। इसमें दो या ज्यादा बार चेक बाउंस पर 2 साल तक जेल की सजा व चेक से दोगुना तक फाइन देना पड़ सकता है।

✍️ डॉ.राव प्रताप सिंह सुवाणा एडवोकेट