हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो
केजरीवाल की हार वैसे तो बहुत लोगों की हार है,लेकिन सबसे बडी हार उसे बचाने वाले न्यायपालिका में बैठे जजों के मुंह पर तमाचा है जो केजरीवाल को शह दे रहे थे।
चंद्रचूड़ ने “चुनी हुई सरकार” के बहाने, दिल्ली में दो power centre बनाने की कोशिश की। अभिषेक मनु सिंघवी के सामने झुक कर संजीव खन्ना ने केजरीवाल को ED के केस में जमानत दी। परंतु ED द्वारा गिरफ़्तारी वैध थी या नहीं, उसके लिए फैसला 3 जजों की बेंच पर छोड़ दिया,लेकिन 7 महीने से 3 जजों की बेंच ही नहीं बनाई।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्वल भुईया ने CBI केस में जमानत दे दी और जस्टिस भुईया ने ऐसा मार्ग बना दिया कि केजरीवाल के खिलाफ केस कमजोर पड़ जाए। उन्होंने कहा कि किसी अभियुक्त को उसके ही खिलाफ गवाही देने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। ये शब्द किसी और के लिए नहीं कहे। इन सभी जजों को लाज आनी चाहिए।
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता ने CAG रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने के लिए मना कर दिया। यह हार जस्टिस सचिन दत्ता के मुंह पर भी तमाचा है।
क्या मिला CAG रिपोर्ट को रोककर जो अब पेश हो ही गई।जस्टिस सचिन दत्ता ने केजरीवाल को चुनाव से पहले रिपोर्ट पेश न करने का आदेश देकर उन्हें बचाने की कोशिश की।
केजरीवाल की हार मीडिया की हार है,जिसे 10 साल से पैसा देकर केजरीवाल ने खरीदा लिया था और ये मीडिया केजरीवाल के प्रचार में लगा रहता था।