हिन्दुस्तान वार्ता।ब्यूरो
आगरा : 25 मई,पं.रघुनाथ तलेगांवकर फाउंडेशन ट्रस्ट एवं संगीत कला केन्द्र,आगरा के तत्वावधान में नाद साधना प्रातः कालीन सभा का 33 वां वार्षिक समारोह का आयोजन ग्रांड होटल के मुख्य सभागार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रथम पूज्य श्री गणेश जी एवं मां सरस्वती जी के समक्ष दीप प्रज्जवलन एवं पं.रघुनाथ तलेगांवकर जी,श्रीमती सुलभा तलेगांवकर जी एवं संगीत नक्षत्र पं. केशव तलेगांवकर जी के चित्र पर सर्वश्री अरविन्द कपूर,मोहित श्रीवास्तव, विजयपाल सिंह चौहान एवं अनिल वर्मा ने माल्यार्पण कर किया। यह संगीत सभा पं.रघुनाथ जी के जन्म शती के उपलक्ष्य में समर्पित की गई।
कार्यक्रम की प्रथम प्रस्तुति के रूप में पं. केशव जी द्वारा रचित चारताल में ध्रुपद शैली पर आधारित राग अहीर भैरव में नाद वंदना केन्द्र के संगीत साधको ने गुरु मां श्रीमती प्रतिभा तलेगांवकर जी के कुशल निर्देशन में प्रस्तुत की।
द्वितीय प्रस्तुति के रूप में संगीत कला केन्द्र संगीत साधकों ने रघुनाथांजलि के अन्तर्गत ने पं. रघुनाथ तलेगांवकर जी द्वारा रचित प्रातः काल के रागों में बंदिशे बहुत ही सुंदर और तैयारी के साथ प्रस्तुत की। जिसमें राग गुणकली, कालिंगड़ा, यमनी बिलावल, देवरंजनी, भटियार, देशकार,रामकली, नट भैरव सम्मिलित किए गए। इस विशेष प्रस्तुति को आर्ची,अभिलाषा शुक्ला, ईशा सेठ, नीपा साहा, निशा गुडवानी, दर्षित राज सोनी, गोपाल मिश्र, युवराज दीक्षित, सुमित कुमार ने प्रस्तुत किया। तबले पर हरिओम माहौर और संवादिनी पर केन्द्र के साधक प्रत्यूष विवेक पांडेय ने कुशलता पूर्वक संगति की।
कार्यक्रम के अगले चरण में पं.रघुनाथ तलेगांवकर जी की सुयोग्य शिष्या एवं सुपुत्री डा. मंगला तलेगाँवकर मठकर ने पं.जी द्वारा रचित राग जौनपुरी में विलंबित,मध्यलय एवं द्रुत गत सितार पर विशेष तैयारी के साथ प्रस्तुत की।आपके साथ तबले पर संगति आपके भ्राता डॉ. लोकेन्द्र तलेगाँवकर ने अप्रतिम संगत प्रदान की।
कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति के रूप में ग्वालियर घराने के उभरते गायक डा. यश संजय देवले का शास्त्रीय गायन रहा।आपने राग बसन्त मुखारी में विलंबित एकताल में “मालानिया गूँद लावो री” एवं मध्यलय तीनताल ख्याल “मनवा नहीं लागे सुन कोयल कूक” प्रस्तुत किया। तदोपरान्त आगरा घराने के ख़लीफ़ा उस्ताद फ़ैयाज़ ख़ान साहेब (प्रेम पिया) द्वारा रचित राग शुद्ध सारंग की प्रचलित बंदिश “अब मोरी बात” का गायन कर उस्ताद फ़ैयाज़ ख़ान,आपने ग्वालियर घराने की गायकी के साथ साथ आगरा घराने की विशेषताओं को अपने गायन में आत्मसात किया।आपने राग का प्रस्तुतिकरण विशेष तैयारी के साथ कर सुंदर स्वर लगाव,बहलावा राग की मुख्य स्वर संगति का अलंकारिक प्रयोग उत्कृष्टता से कर नगर के सुधि श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।आपके साथ पर संवादिनी पर पं. रवीन्द्र तलेगांवकर ने तबले पर डा.लोकेन्द्र तलेगांवकर ने कुशलता पूर्वक संगति की।
इस अवसर पर डा.यश संजय देवले एवं डॉ.मंगला जी को “नाद गौरव” का सम्मान श्री अरुण डंग,श्री अरविंद कपूर जी ने प्रदान किया।नगर के गणमान्य अतिथियों में डॉ प्रदीप श्रीवास्तव, अरुण डंग, डॉ एस. के. अरेला, डॉ प्रमिला चावला, डॉ अरुण चतुर्वेदी, दीपक प्रहलाद, धन्वन्तरि पाराशर, योगेश शर्मा, अनिल शर्मा, डॉ. मधु भारद्वाज, पं.गिरधारी लाल,मनीष प्रभाकर,प्रमिला उपाध्याय,डॉ.महेश धाकड़,असलम सलीमी,डॉ.भानु प्रताप सिंह,हरिकांत शर्मा,पार्थो सेन, विदुर अग्निहोत्री आदि उपस्थित रहे। संस्था के अध्यक्ष विजयपाल सिंह एवं न्यासी श्रीमती प्रतिभा तलेगांवकर ने संगीत रसिकों का आभार व्यक्त किया।
रिपोर्ट - असलम सलीमी