आदि गंगा गोमती की सांस्कृतिक विरासत के संकलन में जुटे पत्रकार की कठिन यात्रा



हिन्दुस्तान वार्ता।शाश्वत तिवारी

लखनऊ : आदिगंगा गोमती की सांस्कृतिक पहचान को सामने लाने के उद्देश्य से प्रसिद्ध पत्रकार एवं संस्कृति कर्मी सुशील सीतापुरी ('शब्दसत्ता' नामक साहित्यिक- सांस्कृतिक पत्रिका के संपादक-प्रकाशक) पिछले कई वर्षों से एक कठिन और समर्पित यात्रा पर हैं। वह गोमती नदी के उद्गम से लेकर संगम तक उसकी पूरी जीवनधारा के साथ चल रहे हैं।

इस अभियान के अंतर्गत वह न केवल नदी किनारे बसे गाँवों, घाटों, मंदिरों और मेलों के पौराणिक,सांस्कृतिक व ऐतिहासिक पक्षों का संकलन कर रहे हैं, बल्कि नदी किनारे बसने वाले लोगों की बोली-बानी, रहन-सहन, परंपराएं और लोक संस्कृति को भी दस्तावेज़ कर रहे हैं।यात्रा अलग-अलग चरणों में जारी है, इसी क्रम में इन दिनों वह हरदोई जिले की सीमा में गोमती यात्रा कर रहे हैं। उनका कहना है, 'मैं तुम्हारी गोमती हूँ’अभियान,किसी दैवीय प्रेरणा से उपजी मेरी आंतरिक यात्रा है।

यह सांस्कृतिक यात्रा लखीमपुर खीरी जिले के चपरतला गांव स्थित ‘सेवा सदन’ संस्था के सौजन्य से संचालित हो रही है। इसकी शुरुआत दिसंबर 2019 में पीलीभीत स्थित फुलहर झील, जो गोमती का उद्गम स्थल है, से की गई थी। इस यात्रा की शुरुआत से लेकर अब तक, योजना बनाकर अलग-अलग चरणों में सुशील सीतापुरी लगभग 300 किमी की यात्रा संपन्न कर चुके है।