तुम बीमार नहीं हो,बस उम्र बढ़ रही है



हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

कई “बीमारियाँ”असल में बीमारियाँ नहीं होतीं - वे शरीर में उम्र के साथ आने वाले स्वाभाविक परिवर्तन होते हैं।

बीजिंग के एक अस्पताल के निदेशक ने बुज़ुर्गों के लिए जो पाँच सलाहें दी हैं,

ज़रा ध्यान से पढ़िए..

 याददाश्त कमज़ोर होना :

यह अल्ज़ाइमर नहीं है।

यह मस्तिष्क की खुद को बचाने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है।

डरिए मत, दिमाग बूढ़ा हो रहा है,बीमार नहीं।

अगर आप चाबी कहाँ रखी भूल जाते हैं,

लेकिन खुद ढूंढ लेते हैं-

तो यह भूलने की बीमारी (डिमेंशिया) नहीं है।

 चलने की रफ़्तार धीमी पड़ना या पैर डगमगाना :

यह लकवा नहीं है- यह मांसपेशियों की कमजोरी है।

इलाज दवा नहीं-ज़्यादा चलना-फिरना ही असली उपाय है।

 नींद न आना :

यह बीमारी नहीं, बस मस्तिष्क की लय बदल रही है।

नींद की बनावट उम्र के साथ बदलती है।

नींद की गोलियों पर निर्भर मत रहिए —

वे गिरने, भूलने और कमजोरी का कारण बनती हैं।

सबसे अच्छा “नींद का इलाज”:

दिन में धूप में थोड़ा समय बिताइए

और नियमित दिनचर्या बनाए रखिए।

 शरीर में दर्द :

यह गठिया नहीं,बल्कि उम्र के साथ तंत्रिकाओं की प्राकृतिक कमजोरी का परिणाम है।

 हाथ-पैरों में हर वक्त दर्द रहना :

अधिकांश लोग पूछते हैं.“क्या यह गठिया है? क्या हड्डियाँ बढ़ गई हैं?”

लेकिन ९९% दर्द किसी बीमारी से नहीं होता।

उम्र के साथ नसों की संवेदना कम होती है, इसलिए दर्द ज़्यादा महसूस होता है।

इसे सेंट्रल सेंसिटाइजेशन कहा जाता है।

दवा नहीं - हल्का व्यायाम, फिज़ियोथेरपी,

गर्म पानी से सेंक और हल्की मालिश ज़्यादा असरदार हैं।

 मेडिकल रिपोर्ट में “असामान्य” वैल्यूज़ :

वे भी हमेशा बीमारी नहीं दर्शातीं..

क्योंकि मानक पुराने मापदंडों पर बने हैं।

WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार :

बुज़ुर्गों के लिए जाँच के मानक थोड़े ढीले होने चाहिए।

थोड़ा ज़्यादा कोलेस्ट्रॉल हानिकारक नहीं 

बल्कि ऐसे लोग अधिक जीते हैं,क्योंकि कोलेस्ट्रॉल हार्मोन और कोशिका झिल्ली के लिए ज़रूरी है।

बहुत कम कोलेस्ट्रॉल से प्रतिरोधक शक्ति घटती है।

चीन के अनुसार, बुज़ुर्गों के लिए आदर्श रक्तचाप है 150/90 mmHg,

जबकि युवाओं के लिए 140/90 mmHg।

उम्र बढ़ना बीमारी नहीं है,उसे रोग मत मानिए।

 वृद्ध होना कोई रोग नहीं,यह जीवन का स्वाभाविक चरण है।

बुज़ुर्गों और उनके बच्चों के लिए सुझाव :

 हर असहजता बीमारी नहीं होती।

 डर बुज़ुर्गों का सबसे बड़ा दुश्मन है।

रिपोर्टों और विज्ञापनों के गुलाम मत बनिए।

 बच्चों का कर्तव्य केवल माता-पिता को अस्पताल ले जाना नहीं,

बल्कि उनके साथ घूमना, धूप में बैठना,बात करना,

साथ खाना और भावनात्मक संबंध बनाए रखना है।

उम्र बढ़ना दुश्मन नहीं - स्थिर बैठ जाना असली दुश्मन है!

🌿 स्वस्थ रहिए, सक्रिय रहिए! ☘️

एक ब्राज़ीलियन कैंसर विशेषज्ञ के विचार :

 वृद्धावस्था आधिकारिक रूप से 60 से शुरू होकर 80 तक रहती है।

“चौथा चरण” — 80 से 90 वर्ष।

“दीर्घायु काल” — 90 के बाद।

 वृद्धावस्था की सबसे बड़ी समस्या है अकेलापन।

साथी के जाने के बाद वैधव्य परिवार के लिए बोझ लग सकता है।

इसलिए दोस्तों से संबंध बनाए रखें, मिलते रहें।

बच्चों और पोतों पर बोझ मत बनिए (भले वे कहें नहीं)।

मेरा सुझाव :

अपना जीवन अपने हाथ में रखें-

कब बाहर जाना है, किसके साथ रहना है,क्या खाना, पहनना, पढ़ना, देखना,

किसे फोन करना-यह सब खुद तय कीजिए,वरना आप दूसरों पर बोझ बन जाएंगे।

विलियम शेक्सपियर ने कहा था :

> “मैं हमेशा खुश रहता हूँ क्योंकि मैं किसी से कोई उम्मीद नहीं रखता।”

उम्मीद ही सबसे बड़ा दुख है।

हर समस्या का समाधान है-सिवाय मौत के।

बोलने से पहले... सुनिए।

लिखने से पहले... सोचिए।

आलोचना से पहले...अपने भीतर झाँकिए।

प्रतिक्रिया देने से पहले...गहरी साँस लीजिए।

मरने से पहले...पूरा जी लीजिए!

सबसे अच्छा रिश्ता वो नहीं होता जहाँ लोग परफेक्ट हों,बल्कि वो जहाँ लोग ज़िंदगी को सुंदर बनाना जानते हैं।

दूसरों की कमी देखिए, पर उनके गुणों की सराहना भी कीजिए।

अगर खुश रहना है- दूसरों को खुश कीजिए।

कुछ पाना है-पहले कुछ दीजिए।

अपने आस-पास प्यार भरे, मुस्कुराते, सकारात्मक लोग रखिए, और खुद भी वैसे बनिए।

" ज़िंदगी कठिन लगे,आँसू आएँ,

 तो भी मुस्कुराइए और कहिए-

“सब ठीक हो जाएगा,

क्योंकि मैं अब भी सफ़र में आगे बढ़ रहा हूँ!”

 संकलन : इंजी.आर.के.वर्मा,आगरा।