हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो
आगरा : निनाद संगीत महोत्सव के द्वितीय दिवस की नाद साधना प्रात: कालीन सभा जो राजेन्द्र राय डंग जी को समर्पित की गई उसमें सर्वप्रथम नाद वंदना का केन्द्र के साधकों ने प्रस्तुति दी। तदोपरान्त जयपुर के युवा तबला वादक श्री अकबर हुसैन ने स्वतंत्र तबला वादन प्रस्तुत किया। उन्होंने दिल्ली फ़र्रूख़ाबाद घराने की परम्परागत बंदिशों का वादन कर श्रोताओं को आकर्षित किया । तैयारी स्पष्ट बोल निकास, चाँटी, लग्गी लड़ी, गतों में चौपल्ली, तीन धा की गत, घूमर अंग की गत की प्रस्तुति कर आनंदित किया ।
अंत में उन्होंने अपने स्वर में स्वयं गायन कर ठुमरी में लग्गी लड़ी का सुंदर प्रस्तुतीकरण किया। उनके साथ संवादिनी पर अप्रतिम संगत पं रविन्द्र तलेगाँवकर द्वारा की गई।सत्र के अगले चरण में वाराणसी के रामरंग परंपरा के प्रतिनिधि कलाकार डा. रामशंकर जी का शास्त्रीय गायन हुआ। आपने राग शुद्ध सारंग में पारंपरिक विलंबित, मध्यलय रचना, राग मियाँ का सारंग में दो एवं राग गौड़ सारंग में रचनाएं प्रस्तुत की।
तत्पश्चात् राग पटमंजरी में एक विशिष्ट रचना प्रस्तुत की और पं.भोलानाथ भट्ट जी द्वारा रचित टप्पा एवं कबीरदास जी द्वारा रचित भजन से आपने कार्यक्रम का समापन किया। उन्होंने कार्यक्रम को छात्रों के लिए सहज रूप में प्रस्तुत किया। राग में कुछ स्वर एवं चलन परिवर्तन से अलग रागों के स्वरूप की रचना हो सकती है।उनके साथ सहगायन में आपके शिष्य श्री ईशान घोष ने अपनी कला कौशल का परिचय दिया। उनके साथ तबला संगति डॉ लोकेन्द्र,संवादिनी पं रविंद्र तलेगाँवकर ने अप्रतिम संगत की।
समापन सत्र गुरु एम.एल.कौसर जी संस्थापक प्राचीन कला केन्द्र,चंडीगढ़ को समर्पित किया गया ।सर्वप्रथम संगीत कला केन्द्र के साधकों द्वारा गुरु सम्मान में ग्वालियर घराने की परम्परागत बंदिश गुरु बिन कैसे गुण गावे की प्रस्तुति कर समापन सत्र का आरम्भ किया।
तत्पश्चात सम्मान सत्र के अन्तर्गत डॉ. शोभा कौसर को रानी सरोज गौरिहार स्मृति कला संरक्षक सम्मान,पं प्रवीण शेवलीकर को संस्था सर्वोच्च सम्मान संगीत कला रत्न, श्री सजल कौसर एवं डॉ अनिल गौतम श्रीमती शशि गौतम को श्री बनारसी दास खण्डेलवाल स्मृति संगीत कलानुरागी सम्मान, डॉ समीरा कौसर को श्रीमती सुलभा तलेगांवकर स्मृति संगीत सेवी सम्मान संस्था पदाधिकारियों द्वारा शॉल एवं माल्यार्पण कर प्रदान किया गया ।
प्रथम प्रस्तुति के रूप में अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वायलिन वादक पं प्रवीण शेवलीकर ने राग पूरिया धनाश्री में अपने कार्यक्रम का शुभारंभ किया।पारम्परिक विस्तार, चलन, स्पष्ट स्वर निकास एवं अप्रतिम तैयारी से पूरे सभागार का वातावरण सुरमई कर दिया ।
तत्पश्चात् राग केदार में मध्यलय गत का वादन कर कार्यक्रम को आध्यात्मिक रंग में सराबोर किया ।उनके साथ अतुलनीय तबला संगत श्री श्रुतिशील उद्धव ने की तथा तानपूरे पर सुंदर संगत श्री गोपाल मिश्रा ने प्रदान की । वॉयलिन वादन उपरान्त जयपुर घराने प्रमुख कलाकार डा. समीरा कौसर ने कथक नृत्य प्रस्तुत किया। जयपुर परंपरा का अंग एवं पद संचालन भावपूर्णता के साथ प्रस्तुत करना आपके नृत्य की विशेषता है।आपने नारायण स्तुति से कार्यक्रम प्रारंभ कर भक्तिमय वातावरण का निर्माण किया।
उनके साथ गुरु ब्रजमोहन गंगानी जी ने पढ़न्त, महमूद ख़ान ने तबले पर, रमेश परिहार जी ने गायन एवं सलीम कुमार जी ने सितार पर पूर्ण प्रस्तुति को स्वर लय भाव का संगम बना दिया।रामधुन से 61वें निनाद संगीत महोत्सव का भव्य समापन किया गया। अध्यक्ष विजयपाल सिंह द्वारा आभार व्यक्त किया गया।
रिपोर्ट : असलम सलीमी



