आगरा :मिथिला की राजदुलारी की, हम कथा सुनाते हैं : संत श्री विजय कौशल जी महाराज।



हिन्दुस्तान वार्ता।

आगराःमानस मर्मज्ञ व संत विजय कौशल जी महाराज ने कहा है कि भौतिक तीर्थ की यात्रा तो सभी करते हैं। कोई काशी, वृंदावन जाता है, उनके प्रति श्रद्धा भाव रखते हैं। लेकिन असली तीर्थ पीड़ित मानव के हृदय में बसते हैं। इसलिए दीन हीन, अविकसित, निर्धन, निरीह लोगों की सेवा करो। 

कोठी मीना बाजार में बनाए गए चित्रकूट धाम में बुधवार को श्रीराम कथा का श्रवण कराते हुए कौशल जी महाराज ने कहा कि अपने शहर में जो भी कुष्ठाश्रम, अनाथालय, दातव्य चिकित्सालय, वृद्धाश्रम आदि सेवा केंद्र हों, वहां भी जाना चाहिए, जितना हो सके, वहां सेवा कार्य करना चाहिए। क्योंकि भगवान निरीह और गरीब के दिल में बसते हैं। कराहते और तड़पते लोगों की अपेक्षा करके कुछ लोग आगे बढ़ जाते हैं, कहते हैं कि ये तो अपने कर्मों का फल भोग,भोग रहे हैं। लेकिन हमारा कहना है कि वे तो भोग ही रहे हैं, तुम उनकी उपेक्षा करके कर्मों का बंधन क्यों कर रहे हो। इसलिए पीड़ित मानवता की सेवा करो। 

कौशल जी ने कहा कि थाली का भोजन तो भी ठीक है, लेकिन हमारे जीवन को सत्यानाश वो भोजन करा रहा है, जो हम अपनी अन्य इंद्रियों से करते हैं। हमारे नेत्र, मन, मुख, होठ आदि इंद्रियां जो काम, वासना का माहौल देख और सुन रही हैं, उससे हमारे शरीर का सत्यानाश हो रहा है। काम, वासना जीवन की प्रगति में बाधक बनी हुई है। 

उन्होंने कहा कि हमें भोजन बनाते समय समझना चाहिए कि हम ठाकुर जी का प्रसाद बना रहे हैं। ठाकुर जी का भोग लगाकर फिर भोजन को प्रसाद की तरह खाना चाहिए। इससे हमारे शरीर पर ही नहीं, जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है। 

 समाज के धनीमानी लोगों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जो बहुत अधिक पैसे वाले होते हैं, उनके हाथ बहुत लंबे होते हैं यानि उनकी सोर्स, बहुत होती है। लेकिन उनकी एक कमजोरी होती है कि  बड़पन्न को स्वीकार कर लीजिए और मान माफिक दान, चंदा ले आइये।

महाराज श्री ने कहा कि लोग भगवान को उलाहना देते है कि इतनी पूजा करते हैं, इतने व्रत करते हैं, तब भी हमारा भला नहीं हो रहा, जबकि भगवान सबको अच्छा फल देते है। इसलिए उन पर अटूट विश्वास करना चाहिए। अच्छा फल अवश्य मिलेगा। 

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झर-झर बहने लगे आंसू...

संत विजय कौशल जी ने बुधवार को माता जानकी का करुण प्रसंग सुनाया, जिससे अनेक श्रोताओं को आंसुओं की झड़ी लग गई। उन्होंने माता जानकी को किस तरह लक्ष्मण जी वन में अकेला छोड़ कर आते हैं, फिर महर्षि वाल्मीकि आश्रम में लव और कुश को जन्म होता है, उसका सजीव प्रसंग सुनाया। और गाया-

हे अवधवासियो,अंधविश्वासियो, 

आग सीता के सुख में लगाई

हाय, तुमको दया भी नहीं आई।

लव और कुश ने जब भगवान श्री राम के परिवार में श्रीराम की कथा सुनाई तो सारे परिवार को लोग दहाड़ मार-मार कर रोने लगे थे। लव-कुश ने सुनाया-मिथिला की राजदुलारी की, हम कथा सुनाते हैं...।

कथा मे मौजूद मुख्य यजमान मुरारी प्रसाद अग्रवाल,पत्नी मीरा अग्रवाल,

दैनिक यजमान लक्ष्मण अनीता गोयल, अमरचंद पुष्पा अग्रवाल, वीरेंद्र मंजू सिंघल, राजकुमार सुनीता अग्रवाल, मनीष अल्पिका अग्रवाल के अलावा मुख्य अतिथि दिनेश शर्मा (पूर्व प्रचारक,प्रदेश उपाध्यक्ष) श्रीमती शान्ती देवी अग्रवाल मुरारी लाल फतेहपुरिया सांसद पत्नी मधु बघेल राकेश अग्रवाल घनश्याम दास अग्रवाल रूप किशोर अग्रवाल महावीर मंगल संजय गोयल महेश गोयल हेमंत भोजवानी मीडिया प्रभारी ऋषि अग्रवाल, बृजमोहन बंसल, कृष्ण गोपाल शर्मा ,अनिल अग्रवाल, सलिल गोयल कमलनयन फतेहपुरिया, विजय सर्राफ, मुकेश गोयल, सरजू बंसल, नवीन गौतम, शैलू पंडित शकुन बंसल, निकिता अग्रवाल, आशा बंसल, पूजा भोजवानी, चंचल अग्रवाल, करिश्मा अग्रवाल,रिचा गर्ग ,वंदना गर्ग सुमन मंगल, नंदिनी गर्ग, शशी मित्तल आदि मौजूद रहे।

ऋषि अग्रवाल, मीडिया प्रभारी 

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मो. 9897891955