हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो
आगरा : प्रताप नगर,खतैना रोड पर नवनिर्मित गर्भ संस्कार मैटरनिटी होम पर रविवार को श्री चन्द्रभान साबुन वाले सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में "गर्भ संस्कार कथा" का आयोजन हुआ। वृन्दावन के पूज्य भागवत आचार्य श्री गौरदास जी महाराज ने शास्त्रों में वर्णित सनातन धर्म के 16 संस्कारों में "गर्भाधान संस्कार" को सबसे महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इस संस्कार का पालन करने से मां के गर्भ से जन्म लेने वाला बच्चा यशस्वी, संस्कारी,शौर्यवान व प्रतिभावान होता है गर्भाधान संस्कार का मतलब है ,जीव का मां के गर्भ में आना तथा संस्कार का मतलब है शुद्धिकरण।उन्होनें अशोक गोयल की प्रेरणा से आगरा में स्थापित हो रहे " गर्भ संस्कार तथा मैटरनिटी होम" को एक अच्छा प्रयास बताया।
उन्होंने कहा कि गर्भाधान करते समय माता पिता का व्यवहार हंसमुख व भक्ति का होना चाहिए। रजस्वला होने के सम दिनों यानि 2,4 6,8 वें दिन शुक्ल पक्ष में रात्रि 9से 12 के बीच गर्भाधान करने पर पुत्र व 5 ,7,9,11वे दिन गर्भ धारण करने से पुत्री जन्म लेती है।अष्टमी, अमावस्या, पूर्णिमा,ग्रहण के दौरान गर्भाधान नहीं करना चाहिए। इससे जीव में अपंगता आती है।गर्भ धारण के 4 से 6 माह के बीच बच्चा सुनने लगता है,उसकी धड़कन शुरु हो जाती है।
इसी कारण जन्म लेते ही मां की धड़कन सुनाई नहीं देने के कारण बच्चा रोता है। पैदा होने के बाद जब तक मां का दूध पीता है, तब तक माता पिता को कोई भी कामुक व्यवहार नहीं करना चाहिए। विवाह संस्कार गोधूलि बेला में ही तथा अंतिम संस्कार विधि-विधान से करना चाहिए। उन्होने प्रत्येक संस्कार का महत्व व उसकी पालन तरीके को भी समझाया।
इस पावन अवसर पर अशोक कुमार एडवोकेट, डा.सुनीता गर्ग, कान्ता माहेश्वरी, रश्मि गर्ग, किशन अग्रवाल, राजीव अग्रवाल, रमेश चन्द अग्रवाल,मनोज होजरी,विजय गोयल,महावीर मंगल,राजीव जैन,नंदकिशोर गोयल ने आरती की।
रिपोर्ट -असलम सलीमी