ये 2020 का नव भारत है।

 


भारतीय सेना ने केवल पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर स्थित पहाड़ियां और 1962 से चीन के कब्जे में पड़ी रेकीन घाटी ही नहीं कब्जिया ली है, अपितु गलवान में जो कैंप बनाकर चीनी उसमें घुसे बैठे थे वह भी लगे हाथ कैप्चर कर लिया है। इसके साथ ही ऐसी भी अपुष्ट खबरें हैं कि 12-15 चीनी सैनिक निपटा दिये गए और इस समय 20 से अधिक चीनी सैनिक भारतीय सेना की कैद में मेहमाननवाजी का आनंद ले रहे हैं।


अब चीन को जो उखाड़ना है उखाड़ ले, वैसे भी अर्थव्यवस्था चीन के कारण कुछ खास नहीं चल रही जिसकी चिंता सरकार करे, पूरी दुनिया चीन से नाराज़ है, चीन भी जापान, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, अमेरिका, ताइवान, फिलीपींस सबसे पिला पड़ा है। ये सारे देश चीन से चिढ़े बैठे हैं। देखा जाए तो आपदा में अच्छा अवसर है । चीन का फुल एंड फाइनल सेटेलमेंट करने का।


मुझे तो कोरोना काल में चीन का काल स्पष्ट दिखाई दे रहा है, चीन से युद्ध हुआ तो पाकिस्तान मुफ्त में रेला जाएगा।


पूरी दुनिया पहली बार भारत को इस तरह आक्रमक अंदाज में देख रही है।


पहले गलवान में चीनियों को रेला।

उसके बाद चीन के कई कॉन्ट्रैक्ट रद्द किए।

उसके बाद कई चाइनीज ऐप पर प्रतिबंध लगाया।

आत्मनिर्भर भारत से चीन का बॉयकॉट करना शुरू किया।

फिर भारतीय नौसेना ने हिन्द महासागर में चीन के वारशिप को खदेड़ा।


उसके बाद सीडीएस जनरल विपिन रावत का बयान कि जब सारे बातचीत के सैन्य और कूटनीति रास्ते विफल हो जाएंगे तो मिलिट्री कार्रवाई अंतिम विकल्प होगा।


उसके बाद कल सुबह न्यूज में पढ़ा कि भारत ने साउथ चाइना सी में अपना वारशिप उतार दिया है।

फिर दोपहर को ऑफिशियल खबर मिली कि भारतीय सेना ने 29-30 अगस्त को चीनियों को दुबारा रेल दिया है।


शाम होते होते पता चला कि भारतीय सेना ने एलएसी पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कुछ पहाड़ियां कब्जा कर ली है।


लगता है मोदी जी ये समस्या भी सुलझाने के फुल मूड में हैं, चाहे सीधी उंगली से या उंगली टेढ़ी करके!


मोदी जी पहले ही कह चुके हैं कि, "मै इंतजार लंबा नहीं कर सकता, चुन चुन के हिसाब लेना, ये मेरी फितरत है"


ये 1962 का भारत नहीं है, 2020 का नया भारत है! 



                   - "गौसेवक" पं. मदन मोहन रावत

                                       "खोजी बाबा"