रिटायर होने के पहले व बाद में ध्यान रखने योग्य बातें।

                         .                                 


 भले ही हमारी औलाद कितनी भी

संस्कारित व योग्य क्यो न हो क्योकि आजकल रामलखन व श्रवणकुमार पैदा होने बंद हो गए है । वैसे भी बीमारी का इलाज करने से शरीर की सम्भाल करना बेहतर है । care is better than cure


डॉ. सुरेशचंद्र गौतम उच्चतम् न्यायालय

के न्यायाधीश,

जो पारिवारिक झगडे सुलझाने वाले न्यायालय

से सम्बंधित थे, उन की

10 सलाहें।


1. अपने बेटे और पुत्र वधु को

विवाह उपरांत अपने साथ

रहने के लिए उत्साहित

न करें, उत्तम है

उन्हें अलग, यहां तक कि

किराये के मकान में भी

रहने को कहें,

अलग घर ढूढना

उनकी परेशानी है।

आपका और बच्चों के

घरों की अधिक दूरी

आप के सम्बंधों को

बेहतर बनायेगी।


2. अपनी पुत्र वधु से

अपने पुत्र की पत्नी कि

तरह व्यवहार करें,

न की अपनी बेटी की तरह,

आप मित्रवत् हो सकते हैं।

आप का पुत्र सदैव

आप से छोटा रहेगा,

किन्तु उस की पत्नी नहीं,

अगर एक बार भी उसे

डांट देंगें तो वह सदैव

याद रखेगी


वास्तविकता में केवल

उस की माँ ही उसे डाँटने

या सुधारने का एकाधिकार

रखती है आप नहीं।


3. आपकी पुत्रवधु की

कोई भी आदत या

उस का चरित्र

किसी भी अवस्था मैं

आप की नहीं, आप के

पुत्र की परेशानी है,

क्योंकि पुत्र व्यस्क है।


4. ईकट्ठे रहते हुए भी

अपनी अपनी जिम्मेदारियाँ

स्पष्ट रखें,

उनके कपड़े न धोयें,

खाना न पकायें या

आया का काम न करें,

जब तक पुत्रवधू

उसके लिए आप से

प्रार्थना न करे, और

अगर आप ये करने में

सक्षम हैं, एवम् प्रति उपकार

भी नहीं चाहते तो।

बिशेषतः अपने पुत्र की

परेशानियों को

अपनी परेशानियां न बनाए,

उसे स्वयं हल करने दें।


5. जब वह लड़ रहे हों,

गूंगे एवम् बहरे बने रहें।

यह स्वाभाविक है कि

छोटी उमर के पति पत्नी

अपने झगड़े में

अविभावकों का हस्तक्षेप

नहीं चाहते। 


6. आपके पोती पोते

केवल आप के पुत्र

एवम् पुत्रवधू के हैं,

वह उन्हें जैसा

बनाना चाहते हैं बनाने दें,

अच्छाई या बुराई के लिए

वह स्वयं जिम्मेदार होंगे।


7. आप की पुत्रवधु को

आपका सम्मान या

सेवा करना जरुरी नहीं है,

यह आप के बेटे का

दायित्व है।

आप को अपने बेटे को

ऐसी शिक्षा देनी चाहिए कि

वह एक अच्छा ईन्सान बने

जिस से आपके और

आप की पुत्रवधु के

सम्बंध अच्छे रहें।


8. अपनी रिटायरमेंट को

सूनियोजित करें,

अपने बच्चों से उस में

ज्यादा सहयोग की

उम्मीद न करें।

आप बहुत से पडाव

अपनी जीवन यात्रा में

तय कर चुके हैं पर

अभी भी जीवन यात्रा में

बहुत कुछ सीखना है।


9. यह आप के हित में है

आप अपने रिटायरमेंट

जिंदगी का आनन्द लें,

बेहतर है अगर आप

अपनी मृत्यु से पूर्व उसका

भरपूर आनन्द लें जो

आप ने जीवन पर्यंत

मेहनत करके बचाया है।

अपनी कमाई को अपने लिए

महत्त्वहीन न होने दें।


10.आपके नाती पोते

आपके परिवार का

हिस्सा नहीं हैं, वह अपने

अभिभावकों के धरोहर हैं।


कृपया ध्यान् दें...


यह संदेश सिर्फ़

आप के लिए नहीं है,

इसे मित्रों, अभिभावकों,

ससुरालियों, चाचा चाची

एवम् ताऊ ताई

पति एवम् पत्नी सभी,

शान्ति एवम् समर्द्धी के लिए

शेयर करें क्योंकि

यह उच्चतम् न्यायालय के

न्यायाधीश, जो

परिवारिक झगडे

सुलझाते रहे हैं, उनके 

तजुर्बे पर आधारित ।

संकलन- इंजी. आर.के.वर्मा