सौ बीमारियों की एक जड़- तनाव :

 

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 ✍ "गौसेवक" खोजी बाबा

      

   वर्तमान युग बदलाव का युग है। समय के साथ-साथ आज हमारी सोच, सामाजिक मान्यताएँ, रहन-सहन, खानपान हर चीज में बदलाव आया है। महानगरीय संस्कृति व ग्लोबलाइजेशन के चलते यह बदलाव इतनी तेजी से आया है कि जो लोग परिवर्तन या बदलाव की इस बहती धार के साथ बहते गए, वो लोग आज सुखी हैं। इसके अलावा जिन लोगों ने इस परिवर्तन को स्वीकार नहीं किया। आज वो जिंदगी की दौड़ में सबसे पीछे है।


      संघर्ष व्यक्ति के गतिशील जीवन की पहचान है। संघर्ष से ही व्यक्ति बहुत कुछ सीखकर अपने जीवन की नई राह चुनता है। जो लोग जीवन के संघर्षों से हार मानकर बैठ जाते हैं, वो तनाव, अवसाद व कुंठा के शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा जो लोग जिंदगी का भरपूर लुत्फ उठाकर सुख-दु:ख में समभाव से जीवन जीते हैं। उनके लिए जिंदगी हँसी का एक बहाना बन जाती है।


     कहते हैं आत्मविश्वास के दम पर तो अंधा भी अपनी राह खोज लेता है, और बहरा भी बातों को समझ लेता है। ईश्वर ने तो मानव को कई सारी खूबियाँ व खुशियों का आशीष दिया है तो फिर तनाव व निराशा की हमारे जीवन में क्या जगह है?    

  

     डिप्रेशन या तनाव आज परछाईं की तरह हमारे जीवन से जुड़ गया है। यदि हम सोचें कि हमारी जिंदगी तनावरहित बन जाए, तो माफ कीजिए आज के दौर में यह असंभव है।


    जिंदगी है , तो तनाव है - लेकिन इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि हम तनाव को दिल से लगाकर या जीवन पर बोझ समझकर ‍हताश होकर बैठ जाएँ। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपके जीवन से तनाव तो नहीं जाएगा परंतु आपका जीवन जरूर समाप्त हो जाएगा।


    तनाव एक गंभीर बीमारी है। इसका कारण स्वयं को कमजोर महसूस करना, प्रेम में विफलता, सामाजिक संबंधों से असंतुष्टि, कार्यक्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन न कर पाना आदि है। यदि यह एक बार आपको जकड़ लेता है और आप इसमें खो जाते हैं तो धीरे-धीरे कुंठा, निराशा बनकर यह आपको खुशियों की बगिया से अकेलेपन के क्रब्रिस्तान तक भी ले जा सकता है। तनाव आपकी मौत का कारण तक बन सकता है।


    यदि तनाव के शुरुआती दौर में ही आप इस पर नियंत्रण पा लेते हैं तो तनाव कभी आप पर हावी नहीं होगा। यदि आप तनाव से बचना चाहते हैं तो निम्न उपाय करें -


आत्मविश्वास सफलता की कुँजी :


    आत्मविश्वास से आप अपने जीवन की हर परेशानी पर विजय पा सकते हैं क्योंकि तनाव ही कई शारीरिक व मानसिक बीमारियों की जड़ है। यदि आपमें आत्मविश्वास है और जीवन की हर मुसीबत से लड़ने का जुनून है तो तनाव कभी आपकी सफलता में आड़े नहीं आएगा।


   कहते हैं , आत्मविश्वास के दम पर तो अंधा भी अपनी राह खोज लेता है और बहरा भी बातों को समझ लेता है। ईश्वर ने तो मानव को कई सारी खूबियाँ व खुशियों का आशीष दिया है तो फिर तनाव व निराशा की हमारे जीवन में क्या जगह है?


स्वयं को रखें व्यस्त :-


        यह सत्य है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। यदि आप कामकाजी हैं लेकिन किसी कारण से कई दिनों तक अगर आपको भी घर बैठना पड़े तो आपके मन में भी नकारात्मक विचार व हताशा, निराशा जरूर आएगी। यही कारण है कि जो लोग स्वयं को दिनभर किसी न किसी काम में व्यस्त रखते हैं, उनके मन में बुरे विचार या नकारात्मक विचार बहुत कम आते हैं। जिसके पीछे मुख्य कारण यह है कि उन्हें काम से फुर्सत मिले तो वे इन बातों के बारे में सोचें। याद रखें व्यस्तता तनाव से बचने का बहुत अच्छा उपाय है।


सात्विक आहार, प्रसन्न मन :-


     आप जैसा भोजन करते हैं, वैसा ही आपका दिमाग काम करता है' यह उक्ति आज के युग में पूर्णत: सत्य प्रतीत होती है। सात्विक आहार आपके तन और मन दोनों के लिए बेहतर होता है। कई शोधों से यह सिद्ध हो चुका है कि शाकाहार करने वालों की तुलना में माँस, मदिरा या गरिष्ठ भोजन आदि का सेवन करने वालों में तनाव का प्रभाव व उग्र प्रवृत्ति अधिक देखने को मिलती है। अधिक मात्रा में अल्कोहल, कैफ्रीन या जीनी का सेवन करने वालों में तनाव का प्रभाव अधिक होता है।


अकेलापन तनाव का कारण :-


      अकेलापन व्यक्ति को भीतर से खोखला कर देता है। तनाव का प्रमुख कारण भी अकेलापन ही होता है। तनाव से मुक्ति पाने के लिए आपको स्वयं को व्यस्त रखना होगा। दोस्तों के साथ मेलजोल बढ़ाना भी अकेलेपन को दूर करने का एक अच्छा तरीका है। आपके दोस्तों के ग्रुप में ऐसे लोग अवश्य होना चा‍हिए, जो हँसमुख प्रवृत्ति के हों। अपने इन दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करने, बातें शेयर करने आदि से आपके मन का बोझ भी हल्का हो जाएगा तथा आपको अकेलापन भी महसूस नहीं होगा।


                    - "गौसेवक" पं. मदन मोहन रावत

                                     "खोजी बाबा"


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