श्री बांके बिहारी जी का मंदिर वृंदावन में स्थापित है वह अपने आप में ही अदभुत है और अपने साथ कई सारे रहस्य को समेंटे हुए है



प्रवीन शर्मा 

 

वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने वृन्दावन बृज क्षेत्र में स्थित श्री बांके बिहारी की मन्दिर की प्रतिमा के पौराणिक रहस्य के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि श्री बांके बिहारी जी का मंदिर किसी ने बनाया नहीं अपितु बिहारी जी की यह प्रतिमा श्री स्वामी हरिदास जी के द्वारा उनकी संगीत साधना से स्वयं प्रकट हुई है।


पंडित प्रमोद गौतम ने इस सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि कहा जाता है कि श्री बांके बिहारी जी की प्रतिमा एक मूरत नहीं वह साक्षात श्री कृष्णा स्वयं श्री राधा रानी के साथ उपस्थित हैं, हर रोज ना जाने कई चमत्कार होते हैं। सभी भक्तों को श्री बांके बिहारी जी को देखने के लिए सिर्फ नेत्र ही काफी नहीं है उनके दर्शन के लिए हार्दिक प्रेम भाव होना चाहिए।

श्री बांके बिहारी जी का प्राकट्य बहुत ही अदभुत है श्री स्वामी हरिदास जी के प्रेम भाव अर्थात ह्रदय से समर्पण ने इस बात को सिद्ध कर दिया था।


वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि श्री स्वामी हरिदास जी का जन्म राधा अष्टमी के दिन हुआ था और कहते हैं कि वो ललिता सखी के अवतार थे वही ललिता सखी जो राधा रानी एवम श्री कृष्ण की सखी थी। 

स्वामी हरिदास जी युवा सांसारिक सुख से दूर रहे और ध्यान और योग साधना पर पूरी तरह समर्पित भाव से केंद्रित हो गए। हरीमती जी के साथ समय से ही उनकी शादी हो गयी थी पर वो बिलकुल ही अलग विचारधारा के व्यक्ति थे, स्वामी हरिदास जी का सांसारिक सुख से कोई मोह माया नहीं थी। बहुत जल्द ही स्वामी हरिदास जी की पत्नी हरीमती जी भी समझ गयी कि स्वामी हरिदास जी का प्रेम प्रभु के प्रति बहुत अधिक है, धीमे-धीमे समय बीता और वो दिन आ गया जब श्री स्वामी हरिदास जी वृन्दावन के लिए निकल पड़े।


वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि उस वक़्त बृज क्षेत्र में स्थित वृन्दावन घना जंगल था वहां उन्होंने एक निर्जन स्थान चुना, अपने संगीत का अभ्यास करने और ध्यान का अनन्त आनंद लेने के लिए। जिसे अब निधिवन के रूप में जाना जाता है।


पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि कहते हैं कि जब श्री स्वामी हरिदास जी जब अपनी संगीत साधना से श्री बांके बिहारी जी को जब रिझाते थे तो उस समय निधिवन की हर एक डाली भक्ति रास में श्री राधा कृष्ण के प्रेम में झूम उठती थी पूरे निधिवन में एक अदभुत प्रकाश फैला रहता था। कई लोग आते थे देखने ऐसा क्या है। जिसके लिए श्री स्वामी हरिदास इतने दीवाने रहते हैं जिसके रूपों का वर्णन करते रहते हैं, उस वक़्त केवल स्वामी जी को ही श्री बांके बिहारी जी के दर्शन होते थे क्यूंकि उनकी भक्ति वहां तक पहुँच गयी थी जहां भक्त और भगवान के बीच में कोई पर्दा नहीं रहता। पर उस समय अन्य कोई कुछ भी नहीं देख पाता था क्यूंकि देखने के बजाय वे सभी उज्ज्वल दिव्य तीव्र प्रकाश से अंधे हो जाते थे, जो निधिवन में पूरी जगह में फैला रहता था, सभी ने स्वामी हरिदास जी से निवेदन किया कि उन्हें भी दर्शन करने हैं श्री बांके बिहारी जी के, तब सभी श्रदालुओं की करुण पुकार और सबकी ह्रदय की वेदना स्वामी हरिदासजी से सहन नहीं हुई और स्वामी जी ने युगल सरकार से विनती करी, हे प्रभु जिस छठा का मैं दर्शन करता हूँ उनका दर्शन सब करना चाहते हैं।


वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि स्वामी हरिदास जी ने प्रभु से कहा युगल सरकार कृपा करके आप प्रकट हो जाएं सबके लिए जिससे सभी आपका दर्शन कर सकें और अपना जीवन सफल बना सके। कहते हैं कि प्रभु और भक्त का ह्रदय होता ही माखन की तरह है करुणा और दया करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, इतना सुनते ही युगल सरकार श्री राधा कृष्ण प्रकट हो गए सभी भक्तो के बीच में, लेकिन राधा रानी की सुंदरता इतनी आकर्षक और इतनी दिव्य थी कि सभी मोहित हो रहे थे और किसी की नज़रें युगल सरकार पर से नहीं हट रही थी। फिर श्री स्वामी हरिदास जी ने निवेदन किया हे राधा रानी आपकी चमक को सामान्य लोग नहीं सहन कर पाएंगे कृपा करके कुछ कीजिये बस भक्त की एक विनती की जरुरत थी, श्री राधा-कृष्णा दोनों एक हो गए अर्थात श्री बांके बिहारी जी के रूप में उस दिव्य स्थान पर प्रकट हो गए।

आज आप सभी वृन्दावन में श्री बांके बिहारी जी के जो दिव्य छवि के दर्शन करते हैं वो श्री राधा कृष्ण वो युगल जोड़ी सरकार की ही है, अर्थात श्री बांके बिहारी जी के मुख से और पूरे शरीर से जो कांति जो चमक आती है वो श्री राधा रानी है।