एमिटी विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 कार्यान्वयन पर अधारित राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन






- 60 से अधिक कुलपतियों एवं शिक्षाविदों ने विचार व्यक्त किये ।


नोयडा (हि. वार्ता )

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन पर चर्चा करने के लिए और भारत के परिवर्तन में उसके प्रभावी योगदान की जानकारी प्रदान करने के लिए एमिटी विश्वविद्यालय में आयोजित  ‘‘भारत को बदलने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का कार्यान्वयन’’ विषय में दो दिवसीय वर्चुअल राष्ट्रीय सम्मेलन का आज समापन हो गया। समापन समारोह में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के चेयरमैन डा अनिल डी सहस्रबुद्धे, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के वाइस चेयरमैन डा भूषण पटवर्धन, उत्तर प्रदेश स्टेट काउंसिल आॅफ हायर एजुकेशन के चेयरमैन डा गिरिश चंद्र त्रिपाठी, एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश के चांसलर डा अतुल चौहान एंव एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला ने अपने विचार व्यक्त किये।

समापन समारोह में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के चेयरमैन डा अनिल डी सहस्रबुद्धे ने संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी नीति के अच्छे होने से उसका लाभ नही मिलता बल्कि उसके प्रभावी ढंग से लागू होने पर वो समाज एंव राष्ट्र के लाभाविंत करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन पर आधारित यह सम्मेलन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जिसमें उसके कार्यान्वयन पर चर्चा की जा रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत सभी खाताधारक महत्वपूर्ण है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण छात्र है जिनके विकास के लिए यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 प्रतिबद्ध है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 छात्रों के अदंर आत्मनिर्भरता को विकसित करेगी। डा सहस्रबृद्धे ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बहुविषयक समावेशी शिक्षा है जो अंतःविषयक ज्ञान एंव शोध को बढ़ावा देगी। इस विकल्प आधारित शिक्षा प्रणाली में आपको रूचि आधरित विषय पढ़ने को मौका मिलेगा। यह नीति शिक्षा गुणवत्ता के साथ उपलब्धता एंव समानता की बात करती है। उन्होनें कहा कि परिणाम आधारित शिक्षा प्रणाली नीति शोध एंव नवाचार को प्रोत्साहित करेगी और पेटेंट से उत्पाद और उससे औद्योगिक विकास एंव अर्थव्यवस्था को गति प्राप्त होगी। डा सहस्रबुद्धे ने कहा कि प्रधानमंत्री जी द्वारा प्रारंभ किये गये मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत, स्किल इंडिया आदि अभियानों में यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सहायक होगी इसके अतिरिक्त हमारे छात्र जो आज विदेश में पढ़ने जा रहे है वो यही पर शिक्षा ग्रहण करेगें और विदेशी छात्र भी शिक्षा के लिए आकर्षित होगें। उन्होनें कहा कि एमिटी द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन पर आयोजित इस सम्मेलन में नये विचारों एंव चुनौतियां पर चर्चा की गई जो इस कार्यान्वयन की दिशा में सकारात्मक पहल है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के वाइस चेयरमैन डा भूषण पटवर्धन ने संबोधित करते हुए कहा कि अच्छी नीति का कार्यान्वयन आवश्यक है। हमारी संस्कृती एंव विचारधारा हमारी पहचान है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से हम पुनः एक बार विश्व गुरू बनने की दिशा में कदम बढ़ा रह है। प्राचीन समय से हमारे देश में विश्वविद्यालय राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है। हमें रिवायतों को बदल कर थोपे गये पश्चिमी पद्धति से मुक्त होना होगा। आत्मनिर्भरता के साथ आत्मसम्मान आवश्यक है। भारतीय विश्वविद्यालयों को विश्व पटल पर स्थान देने के लिए पूर्व एंव पश्चिम के बेहतरीन को जोड़ कर आगे बढना होगा। वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने के साथ विज्ञान एंव तकनीक को आगे लेकर बढ़ना होगा किंतु अपनी मूल्यों, संस्कृतियों एंव जड़ो से जुडा रहना होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन के अंर्तगत कई ऐसे कार्य है जिसके लिए किसी दिशा निर्देश की आवश्यकता नही है जो हमारे हाथ में है उसे प्रारंभ कर सकते है। उन्होने कहा कि एमिटी आज देश विदेश में शिक्षण गुणवत्ता को दर्शा कर विश्वस्तरीय स्तर पर नाम स्थापित कर रहा है उन्होनें इसके लिए डा चौहान को शुभकामनाए दी।

उत्तर प्रदेश स्टेट काउंसिल आॅफ हायर एजुकेशन के चेयरमैन डा गिरिश चंद्र त्रिपाठी ने संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षण गुणवत्ता बढाने की दिशा में यह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक मील का पत्थर साबित होगी। लगभग साढे तीन दशकों बाद  इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का आगाज़ नये विचारों एंव दृष्टिकोण के साथ हुआ है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 दो मुख्य सुधारों के साथ आगे बढ रहा है प्रथम संरचनात्मक सुधार एंव द्वितीय अकादमिक सुधार। बहुविषयक, छात्र केन्द्रीत आधारित छात्रों को शिक्षण प्राप्त करने का लचीलापन प्रदान करते हुए उनके समावेशी विकास में सहायक होगी। डा त्रिपाठी ने कहा कि शोध एंव नवाचार की संस्कृति को प्रोत्साहित करते हुए भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रयास करेगा। एमिटी के प्रयासों से आयोजित यह सम्मेलन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वय में महत्वपूर्ण साबित होगा।

एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान ने संबोधित करते हुए कहा कि इस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से स्टे इन इंडिया, स्टडी इन इंडिया एंव रिर्सच इन इंडिया को बढावा मिलेगा। भारतीय मस्तिष्कों का विश्व में कोई मुकाबला नही हैं। एमिटी सदैव छात्रों, शोधार्थियों एंव शिक्षकों को शोध एंव नवाचार के लिए प्रोत्साहित करता रहता है। शिक्षा ही राष्ट्रविकास की आधारशिला है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का कार्यान्वयन एंव प्रभाविकरण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो अत्यंत आवश्यक है।

 एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश के चांसलर डा अतुल चौहान ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस सम्मेलन का मुख्य उददेश्य किस तरह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का कार्यान्वयन किया जाये और इस क्षेत्र में क्या चुनौतियां है। 21 वी सदी में यह प्रथम राष्ट्रीय शिक्षा नीति है जिसें व्यापक स्तर पर अपनाया जा रहा है। हम विश्व में एमिटी को स्थापित कर विश्व को भारतीय शिक्षण प्रणाली के महत्व को बताना चाहते है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन के प्रति हम सभी उत्साहित है।

एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला ने संबोधित करते हुए कहा कि समय के साथ शिक्षा में परिवर्तन आवश्यक है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ना केवल उच्च शिक्षा बल्कि विद्यालयी शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों के समावेशी विकास में सहायक होगी। उन्होनें अतिथियों द्वारा दिये गये मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद दिया।

विदित हो कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आयोजित इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर विभिन्न 8 विषयों पर परिचर्चा सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें देश के प्रख्यात विश्वविद्यालयों से लगभग 60 से अधिक कुलपतियों एंव शिक्षाविदों ने शिरकत की और अपने विचार व्यक्त किये। इस कार्यक्रम में 7000 से अधिक प्रतिभागीयों ने विभिन्न तकनीक के माध्यम से हिस्सा लिया था।

एमिटी विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन पर आधारित दो दिवसीय सम्मेलन के अर्तगत विभिन्न विषयों पर परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया। इसी क्रम आज सम्मेलन के द्वितीय दिन ‘‘ उद्योग और समाज के लाभ या भलाई के लिए गुणवत्ता शैक्षिक अनुसंधान और नवाचार को उत्प्रेरित करना’’ विषय पर परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डा नितिन आर कर्मलकर द्वारा की गई और दिल्ली टेक्नोलाॅजीकल विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डा योगेश सिंह, लखनउ के डा एपीजे अब्दुल कलाम टेक्नीकल विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो विनय कुमार पाठक एंव हरियाणा के पलवल स्थित श्री विश्वकर्मा स्किल विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो राज नेहरू ने अपने विचार रखे। इस परिचर्चा सत्र का संचालन एमिटी साइंस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती द्वारा किया गया।

परिचर्चा सत्र को संबोधित करते हुए सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डा नितिन आर कर्मलकर ने संबोधित करते हुए कहा कि अनुसंधान के अंर्तगत हमें पब्लिकेशन से आगे जाकर विचार करना होगा जिसमें पेटेंट, प्रोटोटाइप, कौशल विकास एंव उत्पाद शामिल है। समाज के लाभ के लिए अनुसंधान की बजाय नवाचार को बढ़ावा देना होगा क्योकी अनुसंधान हो गया अब उस अनुसंधान का उपयोग समाज के लाभ के लिए होना चाहिए। औद्योगिक एंव अकादमिक को मिलकर कार्य करना होगा इसलिए औद्योगिक समस्या को शोध समस्या समझें।

दिल्ली टेक्नोलाॅजीकल विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डा योगेश सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपने संस्थान परिसर में शोध पर्यावरण को विकसित करना होगा। आपके पास विचार होता है जिस पर कार्य करते है और प्रख्यात जनरल में पब्लिकेशन कर संतुष्ट हो जाते है किंतु यह आधा कार्य है हमें इसके आगे पेटेंट एंव व्यवसायिक स्थायित्व उत्पाद के संर्दभ में विचार करना चाहिए। शोध पर लगने वाले धन को खर्च समझने की बजाय उसे छात्रों एंव शिक्षकोें पर निवेश समझा जाना चाहिए। लखनउ के डा एपीजे अब्दुल कलाम टेक्नीकल विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो विनय कुमार पाठक ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण छात्रों में शोध की संस्कृति को विकसित करना होगा। हमें बहुविषयक एंव अंतविषयक शोध को प्रोत्साहित करते हुए आपसी सहयोग को भी बढ़ावा देना होगा। हरियाणा के पलवल स्थित श्री विश्वकर्मा स्किल विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो राज नेहरू ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि छात्रों के विकास हेतु एलीमेंट्री चाइल्ड केयर माॅडल को विकसित करना होगा। हमें शोध में आ रही चुनौतियों को दूर करने के लिए मानसिकता को विकसित करना होगा। एमिटी साइंस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा शोध की दिशा में किये जा रहे कार्यो को बताया।

इसके अतिरिक्त अन्य विषय जैसे ‘‘ भारत को ग्लोबल एजुकेशन हब में बदलने के लिए अंर्तराष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देना’’ और ‘‘ उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए प्रभावी शासन और नेतृत्व’’पर ‘‘उच्च शिक्षा में भारतीय ज्ञान प्रणाली का एकीकरण’’ पर चर्चा की गई। इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय के फैकल्टी आॅफ हाॅस्पीटैलिटी एंड टूरिस्म के डीन डा एम सजनानी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।