सनातन धर्म की अपनी श्रम संस्कृति की झलक पढें क्या नया हो रहा है ?
ना ऋतु बदली...न मौसम
ना कक्षा बदली...न सत्र
ना फसल बदली...न खेती
ना पेड़ पौधों की रंगत
ना सूर्य चाँद सितारों की दिशा
ना ही नक्षत्र
1 जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं। मानो कितना बड़ा पर्व है। नया केवल एक दिन ही नही होता !
कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए। आखिर हमारा देश त्योहारों का देश है।
ईस्वी संवत का नया साल 1 जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है।
इसबार सनातन धर्मियों का नव वर्ष 13 अप्रैल 2021 दिन मंगलवार को प्रारंभ होगा राक्षस नाम संवत्सर 2078 जिसके स्वामी शुक्र होंगे।
*दोनों का तुलनात्मक अंतर:*
*01. प्रकृति:*
1 जनवरी को कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी ! चैत्र मास में चारो तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो I
*02. वस्त्र:*
दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर ! चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है I
*03. विद्यालयो का नया सत्र:*
दिसंबर जनवरी वही कक्षा कुछ नया नहीं ! जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलो का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया वर्ष I
*04. नया वित्तीय वर्ष:*
दिसम्बर-जनवरी में कोई खातो की क्लोजिंग नही होती ! जबकि 31 मार्च को बैंको की आडिट , क्लोजिंग होती है। नए वही खाते खोले जाते है I सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है I
*05. कलैण्डर:*
जनवरी में नया कलैण्डर आता है ! चैत्र में नया पंचांग आता है I उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं I इसके बिना हिन्दू समाज जीबन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग I
*06. किसानो का नया साल:*
दिसंबर-जनवरी में खेतो में वही फसल होती है ! जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो का नया वर्ष और उतसाह I
*07. पर्व मनाने की विधि:*
31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर मदिरा पान करते है, हंगामा करते है, रात को पीकर गाड़ी चलने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश !
जबकि भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घर घर मे माता रानी की पूजा होती है I
शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है I नवरात्र में मांसाहारी मनुष्य भी मांस छोड़ देते हैं और.शराब पीने वाले शराब छोड़ देते हैं।
*08. ऐतिहासिक महत्त्व:*
1 जनवरी का कोई ऐतेहासिक महत्व नही है ! जबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म, नवरात्र प्रारंम्भ, ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध इस दिन से है I
अंग्रेजी कलेंडर की तारीख और अंग्रेज मानसिकता के लोगो के अलावा कुछ नही बदला !अपना नव संवत् ही नया वर्ष है I
जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चंद्रमा की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तियां, किसान की नई फसल, विद्यार्थी की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते है। जो विज्ञान आधारित है I
अपनी मानसिकता को बदले I विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने स्वयं सोचे की क्यों मनाये हम 1 जनवरी को नया वर्ष ?
"केबल कैलेंडर बदलें, अपनी संस्कृति नहीं"
पाश्चात्य कल्चर का न्यू ईयर असुरत्व को बढ़ावा देता है और भारतीय संस्कृति का चैत्रीय शुक्ल प्रतिपदा नववर्ष देवत्व को विकसित करता है। पाश्चात्य नव वर्ष या हिंदू नववर्ष, क्या मनायें? मर्जी आपकी!
भारतीय संस्कृति को अपनायें और आगे बढायें।
🕉️🚩जय सत् सनातन्🕉️🚩
🚩कैलेंडर_बदलें_संस्कृति_नहीं 🚩
- 🐂"गौसेवक"🐂 पं. मदन मोहन रावत
"खोजी बाबा"