एमिटी विश्वविद्यालय में आत्म जागरूकता को बढ़ावा विषय पर वेबिनार का आयोजन




नोयडा (हि. वार्ता )

छात्रों को आत्म जागरूकता को बढ़ा कर जीवन में सफलता हासिल करने के संर्दभ में जानकारी प्रदान करने के लिए एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ एजुकेशन, एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में मुबंई की रिज़वी स्कूल आॅफ एजुकेशन की प्रधानाचार्या डा राधिक वखारिया ने ‘‘ आत्म जागरूकता को बढ़ावा’’ विषय पर व्याख्यान प्रदान किया। इस अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ एजुकेशन की प्रमुख डा अलका मुद्गल द्वारा डा राधिका वखारिया का स्वागत किया गया। कार्यक्रम का संचालन एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ एजुकेशन की डा रसना सेहरावत द्वारा किया गया।


वेबिनार में मुबंई की रिज़वी स्कूल आॅफ एजुकेशन की प्रधानाचार्या डा राधिक वखारिया ने ‘‘ आत्म जागरूकता को बढ़ावा’’ विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि छात्र, शिक्षक, शिक्षक प्रशिक्षक और इंसान होने के नाते हमारे लिए यह जानना आवश्यक है कि हमारा उददेश्य क्या है और हम कहां पहंुचना चाहते है। युवाओं में अकादमिक एवं समाजिक आर्थिक शिक्षण को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। डा वखारिया ने कहा कि आपमें से कितने लोग कह सकते है कि आप स्वंय से पूरी तरह परिचित है जबकी स्वंय की धारणा, जीवन अनुभव और घटनाओं, हम किस परिवार या समुदाय में बड़े होते है और बाहरी लोगों की राय से सदैव परिवर्तीत होते रहते है। उन्होनें शेर के बच्चे का लालन पालन भेड़ के मध्य होने और भेड़ की आदतों को शेर द्वारा अपनाये जाने और पुन एक अन्य शेर द्वारा उस बच्चे को शेर होने का एहसास कराये जाने की कहानी का उदाहरण देते हुए कहा कि आत्म जागरूकता से आत्म प्रतिबिंब का ज्ञान होता है। डा वखारिया ने कहा कि आत्म जागरूकता हमारी भावनाओं एवं विचारों को समझने की क्षमता और व्यवहारों पर प्रभाव को बताती है। आत्म जागरूकता एक बृहद संकल्पना है जिसमें आत्म धारणा, आत्म नियंत्रण, आत्म विकास, आत्म पहचान और निजी मूल्य शामिल होते है।


डा राधिका वखारिया ने कहा कि आत्म जागरूकता के दो भाग है प्रथम आंतरिक आत्म जागरूकता जिसमें हम आंतरिक मूल्यों पर ध्यान केन्द्रीत करते है। भावना, मूल्य, लक्ष्य, अपेक्षायें, सभी कुछ जो हमारी अनुभूति से जुड़ी है। आंतरिक आत्म जागरूकता, स्वंय को, आवश्यकताओं को और अपने स्तर को जानने के बारे में है। द्वितीय बाहरी आत्म जागरूकता जो अन्य लोगों के साथ हमारे व्यवहार एंव भावनाओं से जुड़ी होती है और यह दूसरों के ओर देखने की क्षमता पर निर्भर करती है। भावनात्मक बुद्धिमता के चार मुख्य भाग होते है प्रथम आत्म जागरूकता जिसमें भावनात्मक आत्म जागरूकता, आत्म मूल्यांकन और आत्म विश्वास शामिल है। द्वितीय समाजिक जागरूकता जिसमें सहानुभूति, संस्थागत जागरूकता, सेवा, तृतीय आत्म प्रबंधन जिसमें भावनात्मक आत्म नियंत्रण, पारदर्शिता, अपनाना, पहल सहित चतुर्थ रिश्ता प्रबंधन जिसमें अन्य लोगों पर प्रभाव, समूह कार्य, सहयोग, प्रोत्साहित नेतृत्व शामिल होता है।

डा वखारिया ने कहा कि आत्म जागरूकता व्यक्ति के स्वंय के ध्यान देने की क्षमता पर निर्धारित होती है। अधिकतर व्यक्ति ये सोचते है कि आत्म जागरूक है किंतु वे नही होते। उन्होनें जोहारी विंडो के साथ आत्म जागरूक का निर्माण करने के बारे में बताते हुए कहा कि भावनात्मक बुद्धिमता को आत्म जागरूकता की नींव, नकारात्मक भावना, भावनात्मक पैर्टन को पहचानने आदि के बारे में भी जानकारी प्रदान की। उन्होनें कहा कि आत्म जागरूकता आपको क्या चाहते है और क्या आवश्यकता है कि बेहतर समझ प्रदान करती है, आपके रिश्तों को मजबूती, आपके उत्पादकता एंव सफलता को विकास, बाहरी कारकों पर स्वस्थ प्रभाव प्रदान करती है, निर्णय लेने के क्षमता का विकास, सकरात्मक परिवर्तन के लिए क्षमता का विकास और भावनाओं के प्रबंधन में सहयोग करती है। इस दौरन उन्होनें आत्म जागरूकता के लिए अभ्यासों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की।

एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ एजुकेशन की प्रमुख डा अलका मुद्गल ने डा वखारिया का स्वागत करते हुए कहा कि आपके द्वारा आत्म जागरूकता पर प्रदान की जानकारी हमारे शिक्षकों, छात्रों एवं सभी के लिए अवश्य लाभप्रद होगी। जीवन में आत्म जागरूकता से हम ना केवल सफलता हासिल कर सकते है बल्कि जीवन को बेहतर एवं गरिमापूर्ण तरीके से जी सकते है। एमिटी में हम इस प्रकार के व्याख्यानों द्वारा छात्रों को आप जैसे विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त करने का मौका प्रदान करते है जिससे उनका संपूर्ण विकास हो सके।

इस अवसर पर छात्रों एवं शिक्षकों ने डा वखारिया से कई प्रश्न किये जिनके उन्होनें जवाब प्रदान किये।

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