-- शासन से आने वाली शिकायतों का हो रहा फर्जी निस्तारण।
आगरा। (प्रवीन शर्मा )
मुख्यमंत्री के शिकायत प्रकोष्ठ (IGRS) से आने वाली शिकायतों का जिला स्तर पर जमकर फर्जी निस्तारण किया जा रहा है। जांच अधिकारी अपने चहेते आरोपी कर्मचारियों को बचाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद सहित हर हथकंडा अपनाकर कोई कसर नहीं छोड़ रहे। बाद में शिकायतों का फर्जी निस्तारण कर शासन को आख्या भेज दी जाती है। हाल ही में आबकारी विभाग में प्रकाश में आए भ्रष्टाचार के एक मामले में जिला आबकारी अधिकारी ने शिकायत का फर्जी निस्तारण कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली ।
मिली जानकारी के अनुसार आबकारी विभाग में कार्यरत बाबू मोहम्मद अरसद करीब 17 वर्ष से एक जनपद व एक ही पटल पर जमे हुए हैं। उनकी तैनाती वर्ष 2003 में हुई थी। तैनाती के बाद से ही वे विभाग के आला अधिकारियों की मेहरबानी से महत्वपूर्ण कार्यों को देख कर जमकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं।
- ऐसे हो रहा भ्रष्टाचार।
आरोपी बाबू ने अपने द्वारा किए जा रहे कार्यों के संपादन में रेट बाकायदा निर्धारित किए हुए हैं। वह बगैर लक्ष्मी वंदना के कोई काम नहीं करते। इन कार्यों में एस एल 11, विदेशी मुद्रा की परिसीमन, कोटा उठाव की स्थिति, शराब की दुकान की प्रतिभूति की वापसी और अधिकारियों के निरीक्षण के बाद लगाए जुर्माने आदि हैं।
आरोप है कि बाबू असद इन सभी कार्यों को करने के एवज में ठेकेदारों से मोटी रकम वसूलते हैं। क्योंकि उन्हें जिला आबकारी अधिकारी का आश्रय प्राप्त है।
- सीएम को भेजी थी शिकायत ।
आबकारी विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत यमुनापार निवासी विनोद कुमार ने मुख्य मंत्री के शिकायत प्रकोष्ठ (IGRS) को भेजी थी। इसकी जांच जिला आबकारी अधिकारी ने कर मामले का फर्जी निस्तारण कर दिया और इसकी आख्या भी शासन को उपलब्ध करा दी। उन्होंने शासन को भेजी आख्या में अपने चहेते कर्मचारी को साफ-साफ बचा लिया।
- बड़ा सवाल।
प्रदेश सरकार की स्पष्ट गाइडलाइन है कि एक अधिकारी जिले में अधिकतम 3 वर्ष और कर्मचारी भी इस एक पटल पर तीन साल तक ही रह सकता है।
इस बारे में जब आबकारी आयुक्त पी.गुरुप्रसाद से बात करने की कोशिश की गई तो वह मोबाइल पर उपलब्ध नहीं हो पाए।