यू पी की नौकरशाही में भारी गिरावट : सिविल सोसायटी



आगरा। (हि. वार्ता)

उ प्र सरकार के कामकाज के बारे में नागरिकों के अपने अपने अनुभव होते हैं, लेकिन आगरा के विकास के प्रति प्रतिबद्ध एवं प्रेरक संगठन 'सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा' के सैकेट्री के रूप में हमारे अनुभव अच्‍छे नहीं हैं।

हम महसूस करते हैं कि शासन की पारदर्शिता संबंधी घोषित नीति का व्‍यवहार में पालन नहीं हो रहा है। सामान्‍य पत्राचार के माध्‍यम से सूचनाओं की आधिकारिक रूप से पुष्‍टि जानकारी देना तो दूर पत्र का जबाब तक नहीं दिया जाता।

सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों और आम नागरिकों के पत्रों के जबाब तो दूर आगरा जैसे महत्‍वपूर्ण महानगर के प्रथम नागरिक मेयर तक के जबाब मुख्‍यमंत्री कार्यालय तक नहीं दे रहा।जबकि पत्र प्राप्‍ति की सूचना और बाद मे पत्र का जवाब देना सचिवालय के शिष्‍टाचार में है।

हम यह बात इस आधार पर कह रहें हैं कि मेयर श्री नवीन जैन ने आगरा के नागरिकों से जुडे मुद्दों को अपने पत्रों के माध्‍यम से शासन के समक्ष उठाते हुए, मुख्‍यमंत्री कार्यालय को पत्र लिखे, उनके द्वारा इन पत्रों के बारे में स्‍थानीय मीडिया के माध्‍यम से जानकारी भी दी गयी।

लेकिन प्रथम नागरिक के द्वारा लिखे गये ऐ पत्र माननीय मुख्‍यमंत्री तक पहुँचना तो दूर, उनके कार्यालय व सचिवालय के रिकार्ड तक में दर्ज नहीं हैं।

हम ने सचिवालय से जब पत्रों के संबंध में जानकारियाँ जुटाने का प्रयास किया तो आधिकारिक रूप से भी सूचित कर दिया गया कि आगरा के मेयर के द्वारा प्रेषित पत्र प्राप्‍त नहीं हुए हैं।

सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा, का मानना है कि मेयर गलत नहीं हो सकते ,उन्‍होंने जरूर पत्र लिखे होंगे, किन्‍तु सचिवालय या मुख्‍यमंत्री कार्यालय में लापरवाही दिखायी गयी। हालांकि सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा, ने आधिकारिक रूप से केवल मेयर के पत्रों के समबन्‍ध में ही जानकारी जुटायी है, लेकिन आगरा से संबधित मामलों में शासन की ओर से पत्राचार में लापरवाही ही दर्शाया जाना ही महसूस किया जाता रहा है।


 शिरोमणि सिंह, अध्यक्ष सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा ने कहा कि पब्लिक के सामान्य पत्रों के जवाब, जो Rti और शिकायत न हो के शासन से पत्राचार श्रेणी के होते हैं,के सम्बन्ध में अगर कोई नई नीति बनी है ,तो उसे उजागर किया जाये. क्यूँ के सामान्य नागरिकों का उत्तर प्रदेश शासन की पारदर्शिता वाली नीति को 

लेकर अनुभव अच्छा नहीं है. सामान्य से सामान्य जानकारी भी पर्देदारी में छुपी हुई है. जिस का bureaucracy जम कर दुरुपयोग कर रही है.


जन प्रहरी के सचिव नरोत्तम सिंह शर्मा ने भी प्रेस वार्ता में बताया कि उनके द्वारा मुख्यमंत्री का ज्ञापन जो की आगरा जिलाधिकारी के माध्यम से दिया गया था, वो भी मुख्यमंत्री सचिवालय के अभिलेखों में दर्ज नहीं पाया गया.


सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा, मुख्‍य सचिव उ प्र शासन से मांग करती है कि आगरा जनपद के सांसदों ,विधायकों और जिलापंचायत अध्‍यक्ष के द्वारा शासन को प्राप्‍त हुए पत्रों की संख्‍या व उनके निस्‍तारण की स्‍थिति के बारे में पड़ताल करवायें और अगर सचिवालय के पत्राचार संबंधी शिष्‍टाचार के विरूद्ध न हो तो ट्यूटर हैंडिल, सचिवालय के आधिकारिक प्रेस नोट के माध्‍यम से जानकारी सार्वजनिक करवा दे।


प्रेस कांफ्रेंस को  शिरोमणि सिंह,  राजीव सक्सेना,  नरोत्तम सिंह शर्मा और अनिल शर्मा ने संबोधित किया।