आप भौतिकवादी न बनके यथार्थवादी बनें,योग-जप-तप-सेवा के मार्ग पर चलें,तो सारे दुःखों से दूर हो सकेंगे। बाबा श्यामानन्द गिरि



मथुरा। उ.प्र.

भगवान श्री कृष्ण (ठाकुर जी महाराज)की पावन जन्मभूमि पर विराजमान संत... नागा बाबा श्री श्यामानन्द गिरि ,जो लोक कल्याण में समर्पित हैं।

उन्होंने अपने श्री मुख से ..जनहित में कुछ यूँ बिचार व्यक्त किए कि...   

वर्तमान भौतिकवाद के दौर में मनुष्य आधारभूत आवश्यकताओं के साथ साथ सुख-,सुविधाओं के साधन ,जुटाने में रात-दिन लगा हुआ है।

ऐसे में स्वयं के सिवाय किसी और के बारे में सोचने -बिचारने का समय नहीं है।

भोग के इन साधनों को पाने की स्पर्धा ने उसका न केवल चित्त -मन की शान्ति और चैन छीन लिया है , बल्कि उसे बुरी तरह अशान्त और भयभीत भी बना दिया है। इस स्थिति में घर-परिवार और समाज से अलग -थलग पड़ जाने के कारण वह स्वयं को अकेला अनुभव करता है। यह स्थिति समाज के अन्य लोगों की भी है। वे भोग के साधन के लिए , एक -दूसरे को तरह-तरह के दुःख देकर धन ऐंठ रहे हैं। इससे मनुष्य का मन मस्तिष्क रोगी हो गया है, जिसका प्रभाव उसके समग्र शरीर पर पड़ रहा है।

इस तरह मनुष्य अनेक प्रकार के रोगों से पीड़ित है।

ऐसे में मनुष्य श्री जी (देवी श्री राधे जी) - भगवान श्री कृष्ण जी की शरण में आये.. जो सभी बाधाओं -दुःखों को हरने वाले है।

ये हमारा आप सब से निवेदन ही नहीं अनुभव भी है, जिसे हमने महसूस भी किया है।


जय-जय श्री राधे ।।