एमिटी विश्वविद्यालय में विशिष्ट शिक्षण दिव्यांगता पर दो दिवसीय आॅनलाइन शिक्षक विकास कार्यक्रम का आयोजन



 नोयडा।उ.प्र.

शिक्षकों को विशिष्ट शिक्षण दिव्यांगता के संर्दभ में अपडेट रखने के लिए एमिटी इंस्टीट्यूट आॅफ रिहैबिलिटेशन साइंसेज एवं एमिटी एकेडमिक स्टाफ काॅलेज के संयुक्त सहयोग से दो दिवसीय आॅनलाइन शिक्षक विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस शिक्षक विकास कार्यक्रम का शुभारंभ एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला, एमिटी इंस्टीट्यूट आॅफ रिहैबिलिटेशन साइंसेज कि निदेशिका डा जयंती पुजारी ने किया। 

नई दिल्ली के ओर्किड्स फांउडेशन की संस्थापक डा गीत ओबेराॅय ने ’सभी दिव्यांगता दिखाई नही देती’ है विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। विशिष्ट शिक्षण दिव्यांगता को लेकर शिक्षक एंव माता पिता के बीच जागरूकता नही होने के कारण यह इस क्षेत्र की एक बड़ी चुनौति है। हमारे देश में ऐसा कोई साधन एंव उपकरण नही है जिससे दिव्यांगता का पता प्रारंभिक वर्षों में लग सके। इसके अलावा हमारे देश में दिव्यांगता के लिए शिक्षित पेशेवरों की भी कमी है।

एमिटी इंस्टीट्यूट आॅफ रिहैबिलिटेशन साइंसेज कि निदेशिका डा जयंती पुजारी ने संबोधित करते हुए कहा कि पहले की तुलना मेें दिव्यांगता के क्षेत्र में अनेक बदलाव आए है। यह जरूरी नही है कि किसी व्यक्ति को देखकर उसकी दिव्यांगता का पता चल सके। शिक्षण दिव्यांगता होने के कारण छात्र को अन्य छात्रों की तुलना में सीखने एवं समझने में समस्या होती है। ऐसा कई बार होता है कि शिक्षण दिव्यांगता के होने का सही कारण नही पता लगता है। हमारे देश में शिक्षण दिव्यांगता के लिए सरकार ने अनेक कार्य एवं नीति बनाई है लेकिन उसे सही प्रकार से लागू नही किया गया है। शिक्षण दिव्यांगता का निदान आसान नही है किसी भी माता पिता को यह नही मानना चाहिए की वह अपने बच्चे की समस्या को पूर्ण रूप से समझ गए है। अधिकांश माता पिता अपने बच्चे की समस्या को स्वीकार नही करते है जिसके कारण समस्या समय के साथ गंभीर होती जाती है।

दुबंई के क्लेरियन स्कूल की वाइस प्रिंसिपल सुश्री सुजैन राॅड्रिक्स ने विशिष्ट शिक्षण दिव्यांगता बच्चों के लिए सर्वोत्तम अभ्यास विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होने बताया कि स्कूल को इस प्रकार तैयार होना होगा कि हर बच्चे पर ध्यान दे सके। विशिष्ट शिक्षण दिव्यांगता को पढ़ाने के लिए सही योजना एंव कार्यकलाप होनी चाहिए। पाठयक्रम की योजना गतिशीलता प्रकार की होनी चाहिए।