एमिटी में स्वस्थ जीवन के लिए स्वस्थ मृदा विषय पर वर्चुअल परिचर्चा सत्र का आयोजन



नोयडा। उ.प्र.

एमिटी ग्लोबल रिर्सच हब के तत्वावधान में एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा विश्व मृदा दिवस के अवसर पर स्वस्थ जीवन के लिए स्वस्थ मृदा की आवश्यकता, स्वस्थ मृदा प्रबंधन के जागरूकता के महत्व की जानकारी प्रदान करने के लिए ‘‘ स्वस्थ जीवन के लिए स्वस्थ मृदा’’ विषय पर वर्चुअल परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा सत्र में वल्र्ड फूड प्राइज 2020 के विजेता एवं यूएस के द ओहियो स्टेट विश्वविद्यालय के कार्बन मैनजमेंट एड सिक्वेस्ट्रेशन सेंटर के निदेशक प्रो रतन लाल, हार्वेस्ट प्लस के संस्थापक निदेशक डा हवार्थ बोयुस, भोपाल के इंडियन इंस्टीटयूट आॅफ साॅइल सांइसेस के निदेशक डा ए के पात्रा, पुणे स्थित नेशनल इंस्टीटयूट आॅफ एबाॅयटिक स्ट्रेस मैनेजमेंट के निदेशक डा हिमांशु पाठक, यूएसए के काॅरनेल कोआपरेटिव एक्सटेंशन की एग्रीकल्चर स्टेवार्डशिप स्पेशलिस्ट डा  देबोराह एलेर, हरियाणा के हिसार स्थित कृषक चैधरी सतबीर सिंह, एमिटी विश्वविद्यालय के चांसलर डा असीमचौहान, एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी सेंटर फाॅर साॅइल साइसेंस के निदेशक डा कुलदीप सिंह ने अपने विचार व्यक्त किये। इस परिचर्चा सत्र का संचालन एमिटी साइंस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती एवं एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फांउडेशन के महानिदेशिका डा नूतन कौशिक द्वारा किया गया।


परिचर्चा को संबोधित करते हुए और अतिथियों का स्वागत करते हुए एमिटी विश्वविद्यालय के चांसलर डा असीम चौहान ने कहा कि कृषि क्षेत्र महत्वपूर्ण परिवर्तन का गवाह बन रहा है और कृषि टेक भारत में कई बिलियन डाॅलर के स्टार्ट अप के प्रारंभ को गती प्रदान कर सकती है। उन्होने मृदा स्वास्थय पर जोर देते हुए कहा कि मृदा स्वास्थय, मानव स्वास्थ्य की तुलना कम आवश्यक नही है और पूरी ईमानदारी एवं तन्मयता से इसकी निगरानी एवं पोषण किया जायेगा।


परिचर्चा को संबोधित करते हुए वल्र्ड फूड प्राइज 2020 के विजेता एवं यूएस के द ओहियो स्टेट विश्वविद्यालय के कार्बन मैनजमेंट एड सिक्वेस्ट्रेशन सेंटर के निदेशक प्रो रतन लाल ने विश्व मृदा दिवस के इतिहास को बताते हुए कहा कि इसका प्रारंभ स्न 2002 में किया गया था जबकी संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस स्न 2013 में अपनाया गया। मानव के लिए मृदा स्वास्थय प्रबंधन सबसे अधिक महत्वपूर्ण है और इसी पर मानव स्वास्थय आधारित है। प्रो लाल ने मृदा स्वास्थय प्रबंधन के दस बुनियादी सि़द्धांत बताते हुए कहा कि सर्वप्रथम में समझना होगा की मृदा, पौधे, जलवायु, पशु पक्षी, मानव हम सभी एक च्रक में समाहित है और सभी एक दूसरे से जुड़े है और एक दूसरे पर आधारित है। भारत की मान्यता वसुधैव कुटुबकम के आधार पर पूरे विश्व की मुदा स्वास्थय के लिए कार्य करना होगा और मिलकर कार्य करना होगा। लोग, मृदा का प्रतिबिंब होते है। मृदा एक सजीव वस्तु है तो उसके भी रक्षा के, जीवन के अधिकार है जिसे हम मृदा का अधिकार कह सकते है। मृदा स्वास्थय का स्थायीत्व प्रबंधन का भविष्य उज्जवल है। अन्य सिद्धांतो को बताते हुए प्रो लाल ने कहा कि भारत ने कृषि में बृहद प्रगती की है किंतु अभी भी हमें विश्व की एक बड़ी आबादी को पोषक युक्त भोजन प्रदान करने की चुनौती से निपटना है। मृदा एक बैंक खाते की तरह है जिसमें से उतना ही निकाल सकते है जितना हम जमा करते है। किनारे की मृदा की कृषि किनारे पर ही प्रभावी होगी और किनारे पर लाभांवित होगी इसलिए हमें गुणवत्ता पूर्ण मृदा का उपयोग करना चाहिए और किनारे की मृदा को प्रकृति के लिए बचाना चाहिए। मृदा कार्बनडायआक्साइड जैसे गैसों को सिंक्रनाइज करने का स्त्रोत है। मृदा, संयुक्त राष्ट्र के सभी 17 लक्ष्यों के साथ एकीकृत जुड़ी हुई है। डा लाल ने कहा कि मृदा भविष्य के साथ सेतु का निर्माण करती है।  


हरियाणा के हिसार के प्रगतिशील कृषक चौधरी सतबीर सिंह जो मृदा के क्षरण की समस्या से जुझ रहे है और मृदा को स्वस्थ रखने के लिए चिंतित है। वह मृदा में कार्बनिक प्रदार्थ की कमी और फसलों की उत्पादकता में आई कमी को देख रहे है। चैधरी सिंह ने कहा कि सरकार को खाद्य उत्पादन को बनाए रखने और मृदा को स्वस्थ बनाए रखने के लिए मृदा स्वास्थय सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। कृषक समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होनें प्रयोगशालाओं से भूमि में ज्ञान के हस्तांतरण करके किसानों को शिक्षित करके मृदा के स्वास्थय में सुधार करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

एमिटी विश्वविद्यालय का आमजन एवं कृषकों के साथ प्रख्यात मृदा वैज्ञानिकों को जोड़ने के लिए आयोजित इस वेबिनार की सराहना की। उन्होनें कहा कि वैज्ञानिक द्वारा किये गये शोधों की जानकारी का कृषकों को प्रशिक्षण प्राप्त हो और उनकी समस्याओं का निस्तारण हो सके यह आवश्यक है।


हार्वेस्ट प्लस के संस्थापक निदेशक डा हवार्थ बोयुस ने मानव जनसंख्या में आ रही विटामिन एवं मिनरल की कमी पर ध्यान केन्द्रीत करते हुए बताया कि किस तरह कृषि, मृदा, एवं खाद स्वस्थ आहार में सहयोग करते है। डा बोयुस ने कहा कि इस हिडन हंगर के कुपोषण को कम करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर कार्य करना होगा। डा बोयुस ने पोषण युक्त स्मार्ट एग्रीकल्चर रणनिती के अंर्तगत फूड स्टैपल एवं नाॅन स्टैपल फूड के बारे में बताया।


भोपाल के इंडियन इंस्टीटयूट आॅफ साॅइल सांइसेस के निदेशक डा ए के पात्रा ने मृदा जैव विविधता के बचाव के महत्व को बताते हुए कहा कि मृदा स्वास्थय प्रबंधन से हम मृदा स्वास्थय को बेहतर बना सकते है। स्वस्थ मृदा ही स्वस्थ  भोज्य प्रदार्थ, स्वच्छ हवा एवं जल प्राप्त करने का आधार है जिससे मानव जीवन स्वस्थ होगा।

पुणे स्थित नेशनल इंस्टीटयूट आॅफ एबाॅयटिक स्ट्रेस मैनेजमेंट के निदेशक डा हिमांशु पाठक ने मृदा प्रबंधन के साथ जलवायु परिवर्तन पर जोर देते हुए कहा कि मृदा ग्रीन हाउस गैसों को कम करने की क्षमता होती है।


यूएसए के काॅरनेल कोआपरेटिव एक्सटेंशन की एग्रीकल्चर स्टेवार्डशिप स्पेशलिस्ट डा देबोराह एलेर ने लाॅन्ग आइलैंड में कई केस स्टडी का उदाहरण देते हुए मृदा विविधता के रखरखाव में सुरक्षा फसलों के महत्व को बताया। मृदा केवल भूमि का हिस्सा नही है यह आपका मूक साथी है।


एमिटी सेंटर फाॅर साॅइल साइसेंस के निदेशक डा कुलदीप सिंह ने परिचर्चा के दौरान मृदा, पौधे, जानवर एवं मानव स्वास्थय के आपसी जुड़ाव पर विचार व्यक्त किये।


परिचर्चा सत्र का संचालन एमिटी साइंस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अघ्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमारचौहानकी तरफ से ‘‘ एमिटी ग्लोबल नेटर्वक आॅफ साॅइल सांइस रिर्सच’’ के प्रारंभ की घोषणा की और परिचर्चा सत्र में हिस्सा लेने वाले सभी विद्वानों, सहित पूरे विश्व के वैज्ञानिकों को इससे जुड़ने का आह्वान किया।


इस अवसर पर एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फांउडेशन के महानिदेशिका डा नूतन कौशिक ने एमिटी शिक्षण समूह के विभिन्न संस्थानों द्वारा कृषि क्षेत्र में किये जा रहे शोध कार्यो को बताते हुए स्वस्थ पर्यावरण के महत्व को रेखांकित करते हुए मृदा प्रबंधन, मृदा विविधता हानि एवं मृदा जागरूकता के क्षेत्र में आ रही चुनौतियों के बारे में बताया।


इस अवसर पर एमिटी गु्रप वाइस चांसलर डा गुरिदर सिंह और यूएस के एमिटी एजुकेशन समूह की स्ट्रैटजी एंड आपरेशन की उपाध्यक्षा सुश्री सविता अरोरा ने अपने विचार व्यक्त किये। इस परिचर्चा सत्र में वैज्ञानिक, छात्रों, शोधार्थियों ने अतिथियों से कई प्रश्न किये और जवाब प्राप्त किये।

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