कोरोना महामारी (Covid-19 Pandemic) के इस दौर में लोगों को हेल्थ इन्श्योरेंस की अहमियत समझ में आई है। जिन लोगों ने अपना हेल्थ इन्श्योरेंस करा रखा था, कोरोना महामारी से पीड़ित होने पर उन्हें हॉस्पिटलाइजेश के भारी-भरकम खर्चे में राहत मिली। अब कोविड वैक्सीनेशन का खर्च भी हेल्थ इन्श्योरेंस कंपनियों को उठाना पड़ेगा। यह अलग बात है कि वे इसमें आनाकानी कर रही हैं। वहीं, इन्श्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डेलवपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) का कहना है कि हेल्थ इन्श्योरेंस कंपनियों को कोविड वैक्सीनेशन का खर्च भी वहन करना होगा। बहरहाल, हेल्थ इन्श्योरेंस पॉलिसी के और भी फायदे हैं।
अगर आपने हेल्थ इन्श्योरेंस पॉलिसी ले रखी है, तो आपको इनकम टैक्स में भी छूट मिल सकती है
*जी एस टी में भी मिल सकती है छूट*
वैश्विक महामारी कोरोना के संकट से दुनिया अभी निकली नहीं है. दुनिया भर के लोगों पर इसने अभूतपूर्व ढंग से असर डाला है. इस दौरान लोगों के बीच हेल्थ इंश्योरेंस का महत्व बढ़ा है. लोगों ने इसे एक जरूरी निवेश के तौर पर देखना शुरू किया है.
हालांकि टैक्सपेयर्स की ओर से दिए जाने वाले टैक्स इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान की वजह से टैक्स में कटौती हासिल होती है. लेकिन अगर इंश्योरेंस प्रीमियम देने की वजह से जो डिडक्शन हासिल होता है उसे कम से कम और 50 फीसदी बढ़ाया जाए तो देश में हेल्थ इंश्योरेंस की पहुंच का दायरा ज्यादा बढ़ेगा.
कोविड-19 ने सभी कर्मचारियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस को अऩिवार्य बनाने की जरूरत खड़ी कर दी है.
हेल्थ इंश्योरेंस उनके स्वास्थ्य और जिंदगी की सुरक्षा के लिए जरूरी है.
लिहाजा हमारा मानना है कि यहां से हेल्थ इंश्योरेंस की पहुंच बढ़ाने का मजबूत आधार मिल सकता है. हमारी नजर में कॉरपोरेट कंपनियों की ओर से अदा किए जाने वाले हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जो जीएसटी चार्ज लगता है कि उस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलना चाहिए. ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस कवर खरीदने पर जीएसटी चार्ज पर इनपुट टैक्स क्रेडिट दिया जाना चाहिए. हालांकि मौजूदा जीएसटी कानून में इसका प्रावधान नहीं है.
अगर सरकार हेल्थ चेक-अप पर मिलने वाले टैक्स डिडक्शन के दायरे में लोगों की ओर से कराए जाने वाले टीकाकरण के खर्च को शामिल कर ले तो यह एक बड़ा कदम साबित होगा.
इससे हेल्थ इंश्योरेंस न सिर्फ नागरिकों और टैक्सपेयर्स को दिक्कतों से बचाएगा बल्कि उनके टैक्स बोझ को भी कम करेगा. भारत युवा आबादी वाला देश है, जहां लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस की जरूरत है. अगर सरकार इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने को बढ़ावा देती है तो लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा बचेगा, जिसे वे खर्च कर सकेंगे. जो लोग नौकरी करते हैं या कारोबार करते हैं उनकी कमाई बचेगी क्योंकि बीमारियों, हॉस्पिटलाइजेशन और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं पर किया जाने वाला खर्च, हेल्थ इंश्योरेंस होने की वजह से बच जाएगा. हेल्थ इंश्योरेंस मेडिकल खर्चों को कवर करता है.
जब लोगों के पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा होगा तो यह सरकार के खजाने में भी जाएगा. सरकार इन खर्चों पर अप्रत्यक्ष कर के जरिये ज्यादा राजस्व जुटा पाएगी.
*जागरूकता के लिए शेयर अवश्य करें*
*✍एडवोकेट प्रताप सिंह सुवाणा*