- आज(19 जनवरी) अन्ना जी ने पुनः प्रधानमंत्री को लिखा...दुःखद-चेतावनी भरा पत्र ।
आगरा ।(धर्मेन्द्र कुमार चौधरी)
आज।19 जनवरी, मा. अन्ना हजारे ने पुनःमा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चेतावनी भरा पत्र लिखा है।
कि आपकी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग का अहलवाल स्वीकार किया , कि किसानों के अलग-अलग फसल उपज पर लागत मूल्य से 50फीसदी बढ़ाकर देने की सिफारिश है।आगे उन्होंने प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए कहा कि आपने हमें 29 मार्च 2018 के पत्र में लिखित आश्वासन भी दिया कि हम ऐसा ही करेंगे ।परन्तु आश्वासन अभी तक पूरा नहीं हुआ। सरकार का वादा झूठा साबित हो रहा है ।
आगे अन्ना जी की व्यथा भरा -विस्तृत पत्र ..निम्न है... सुधी पाठक ....कृपया जरूर पढ़ें।👇🏼
अंत में उन्होंने लिखा है कि हमें आंदोलन करके, जान की बाजी लगानी होगी।यह सरकार सत्ता के लिए सत्य को छोड़ रही है ।
जय हिन्द...
दिनांक- 19/01/2021
प्रति,
मा. नरेंद्र मोदी जी,
प्रधानमंत्री, भारत सरकार,
रायसीना हिल, नई दिल्ली
विषय – स्वामीनाथन आयोग का अहवाल आपकी सरकार ने स्विकार किया है, उसके बारे में...
महोदय,
स्वामीनाथ आयोग के अहवाल में किसनों के अलग अलग फसल उपज पर लागत मूल्य से 50 फिसदी बढाकर देने की सिफारिश है। आपने मुझे 29 मार्च 2018 के पत्र में स्वामीनाथन आयोग के अहवाल के मुताबीक किसानों के फसल पर लागत मूल्य से 50 फिसदी बढाकर देने का हमारे सरकारने निर्णय लिया ऐसा लिखीत आश्वासन दिया है। लेकिन अभी तक आश्वासन पुरा नहीं हुआ है।
हमारा मानना है आपकी सरकार मांग पूरी नहीं कर सकती है तो झूटा वादा देना ठिक नहीं है। देश को चलानेवाली सरकारने सत्ता के लिए सत्य छोडना ठिक नहीं है। उसका देश की जनता को गलत संदेश जाता है। सरकार जो बात नहीं कर सकती है, उसे स्पष्ट से कहना चाहिए की हम नहीं कर सकते। तो मांग करनेवाले लोग उस विषय को छोड देंगे। लेकिन सरकार जब दिक्कत में आती है तो उस दिक्कत से बाहर निकलने के लिए झूठे वादे देना, देश की जनता के लिए गलत संदेश जाता है। मैंने अपने जीवन में कभी भी झूठ नहीं बोला है। इसलिए मुझे सरकार का समय निकालनेवाला वादा कष्टदायक लगता है।
मुझे वादा किया कि, स्वामीनाथन आयोग के मुताबीक हमारी सरकार किसानों के फसल पर लागत मूल्य पर 50 फिसदी बढाकर देने का निर्णय लिया है। वास्तव यह है की, किसानों को लागत मूल्य ही नहीं मिलता है तो 50 फिसदी बढाकर देने की बात दूर है।
आपके प्रधानमंत्री कार्यालय के आश्वासन पत्र में लिखा है कि, किसानों की सभी समस्याओं के बारे में केंद्र सरकार संवेदनशील दृष्टिकोण रखती है और किसानों के प्रति सकारात्मक भूमिका रहती है। हमारे सामने प्रश्न है कि, सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोन रखती है तो किसानों की आत्महत्या क्यों होती है? इसके बारे में मैंने पहले भी जानकारी भेजी है। राज्य कृषि मूल्य आयोग अलग अलग फसल का लागत मूल्य केंद्र सरकार के कृषि विभाग को भेजती है। लागत मूल्य (MSP) तय करनेवाले राज्य के अलग अलग कृषि विद्यापीठ के विशेषज्ञ होते है। उन्होंने दिए अहवाल में कटौती नहीं होनी चाहिए। लेकिन आपकी सरकार 50 फिसदी से 55 फिसदी लागत मूल्य में कटौती करती है। इस कारण किसान आत्महत्या करता है।
इसलिए केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग को चुनाव आयोग के मुताबीक स्वायत्तता दी जाए, संवैधानिक दर्जा दिया जाए यह मांग थी। आपकी सरकारने उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिती नियुक्त कर के निर्णय लिया जायेगा, ऐसा आश्वासन दिया था। लेकिन अभी तक पूरा नहीं हुआ। सब्जीयां, फल, फूल, दूध पर MSP निर्धारीत किया जाने का आश्वासन दिया था। 6000 करोड रुपया खर्चा कर के कोल्ड स्टोरेज बनायेंगे, ऐसा भी आश्वासन दिया था। लेकिन आश्वासन देने के तीन साल होनेवाले है अभी भी कई राज्यों के किसान आलू रास्ते पर फेंक रहे है, दूध रास्ते पर फेंक रहे है। यह सभी बातें सहन नहीं होती है। बार बार मैंने बताया है कि, मैंने किसी व्यक्ती, पक्ष-पार्टी के विरोध में कभी आंदोलन नहीं किया है। सिर्फ समाज, राज्य, राष्ट्र की भलाई के लिए जान की बाजी लगाकर आंदोलन करते आया हूँ।
अब एक बार फिर से जान की बाजी लगाकर किसानों के भलाई के लिए यह आंदोलन कर रहा हूँ। सत्ता के लिए आपकी सरकार सत्य छोडती है तो दुख होता है।
धन्यवाद।
भवदीय,
कि. बा. तथा अण्णा हजारे