एमिटी विश्वविद्यालय में सतत विकास हेतु अक्षय ऊर्जा और भंडारण उपकरण विषय पर अंर्तराष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ






नोयडा।उ.प्र.

एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ एडवांस रिसर्च स्टडीज (मैटेरियल एंड डिवाइसेस) द्वारा सेंटर फाॅर साइंस एंड टेक्नोलाॅजी आॅफ द नाॅन एलाइनड एंड अदर डेवलपिंग कंट्रीस के सहयोग से ‘‘ सतत विकास हेतु अक्षय उर्जा और भंडारण उपकरण’’ विषय पर त्रिदिवसीय अंर्तराष्ट्रीय आॅनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का शुभारंभ इंटरनेशनल रिन्युवेबल एनर्जी एजेंसी की डिप्टी डायरेक्टर जनरल श्रीमती गौरी सिंह, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के प्रोफेसर विक्रम कुमार, नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड आॅफ टेस्टींग एंड कोलाबोरेशन लैबोरेटरी के चेयरमैन डा आर के कोटनाला  एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश के चांसलर डा अतुल चौहान, रितनंद बलवेद एजुकेशन फांउडेशन के ट्रस्टी श्री अजय चौहान, एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ एडवांस रिसर्च स्टडीज (मैटेरियल एंड डिवाइसेस) के प्रोफेसर डा वी के जैन, सेंटर फाॅर साइंस एंड टेक्नोलाॅजी आॅफ द नाॅन एलाइनड एंड अदर डेवलपिंग कंट्रीस के महानिदेशक डा अमितावा बंद्योपाध्याय, एमिटी सांइस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती द्वारा किया गया। इस कार्यशाला में देश विदेश से सैकड़ो वैज्ञानिकों, शोधार्थियों, अकादमिकों, उद्यमियों आदि ने हिस्सा लिया है।


इंटरनेशनल रिन्युवेबल एनर्जी एजेंसी की डिप्टी डायरेक्टर जनरल श्रीमती गौरी सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि अक्षय उर्जा के क्षेत्र में व्यापक आंदोलन, राष्ट्रीय सैार मिशन में भी सहायक बन रहा है। उन्होनें कहा कि नवीकरणीय विद्युत उत्पादन, जीवाश्म आधारित या परमाणु उर्जा की तुलना में कम खर्चीली है और कई स्थितियों से तेजी से प्रतिस्पर्धी बन गया है। श्रीमती सिंह ने कहा कि जिस सतत, लचीली और जलवायु सुरक्षित उर्जा को विश्व अपना रहा है वह उर्जा परिदृश्य को बदलने के साथ 22 मिलियन रोजगार का सृजन भी करेगा भविष्य में स्थायी और कार्बन न्यूट्रल के लिए उर्जा परिदृश्य को बदलने वाली तकनीको का होना आवश्यक है। देश इस मिशन के लिए अक्षय उर्जा के साथ जलवायु परिवर्तन पर कारवाई के लिए सक्रिय है। भविष्य में भंडारण समाधान के लिए विचारों और नवाचारों की एक पूरी श्रृखंला है। उन्होनें उपयोगिता के पैमाने पर बैटरी स्टोरेज प्रणाली और पावर सिस्टम में बढ़े हुए लचीलेपन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की जिसमें बैटरी परिनयोजन और विनिर्माण का एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का आहवान किया।


भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के प्रोफेसर विक्रम कुमार ने संबोधित करते हुए कहा कि यह सम्मेलन सही वक्त में हो रहा है जब हम आत्मनिर्भर की दिशा में हर क्षेत्र में सक्रिय हो रहे है। सौर उर्जा में उपयोग होने वाले सौर सेलो को विदेशों से आयात कर रहे है जिससे स्थानिय उत्पादन प्रभावित होता है। सरकार को इस दिशा में स्थानिय उत्पाद को विकास प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। सौर सेल के क्षेत्र में शोध एंव विकास को ब़ढ़ावा दिये बगैर उत्पादन को विकसित नही किया जा सकता है। पर्यावरण की सुरक्षा, स्वच्छ हरित ईंधन के साथ जैसे उत्पादन और उपयोग बढ़ेगा लोगों को कम दाम में उर्जा भी उपलब्ध होगी।


नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड आॅफ टेस्टींग एंड कोलाबोरेशन लैबोरेटरी के चेयरमैन डा आर के कोटनाला ने इस कार्यशाला के जरीए हमें उर्जा के नये स्त्रोत एवं उपकरणों के नये विचारों को समझना चाहिए। अक्षय उर्जा का अधिक उपयोग से हम पर्यावरण परिवर्तन की दिशा में प्रदूषण को कम करने की दिशा में सार्थक कार्य कर सकते है। डा कोटनाला ने हरित उर्जा को बढ़ावा देते हुए युवा वैज्ञानिकों और शोधार्थियों को शोध हेतु प्रोत्साहित करने पर जोर दिया।


एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान ने अतिथियों और शोधार्थियों का स्वागत करते हुए कहा कि आने वाले समय में उर्जा की मांग को पूर्ण करने के लिए वर्तमान समय में अक्षय उर्जा का उपयोग और शोध करना आवश्यक है। अक्षय उर्जा के क्षेत्र में वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों के लिए ढेर सारे अवसर उपलब्ध है। भारतीय मस्तिष्क सदैव नवाचारी होते है और अक्षय उर्जा के क्षेत्र में भारत, विश्व का मार्गदर्शन करेगा। डा चौहान ने कहा कि इस अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का उददेश्य गुट निरपेक्ष राष्ट्रों के साथ मिलकर विश्व विकास एवं अक्षय उर्जा के क्षेत्र मंे कार्य करना है।


एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश के चांसलर डा अतुल चौहान ने एमिटी में हम छात्रों, वैज्ञानिको और शोधार्थियों को सदैव शोध के लिए प्रोत्साहित करते है जिससे हम हमारे संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान के विश्व को बेहतर स्थान, भारत को ज्ञान की महाशक्ती बनाने के दृष्टिकोण को पूर्ण कर सकें। उर्जा के क्षेत्र में सुरक्षित रहने, प्रदूषण को कम करने और सभी को आसान एवं कम कीमत पर उर्जा उपलब्ध कराने के लिए अक्षय उर्जा एवं भंडारण पर शोध को बढ़ावा देना आवश्यक है।


, एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ एडवांस रिसर्च स्टडीज (मैटेरियल एंड डिवाइसेस) के प्रोफेसर डा वी के जैन ने कहा कि इस कार्यशाला का उददेश्य देश को अक्षय उर्जा के क्षेत्र में मजबूती प्रदान करना है और विशेषकर सौर उर्जा के जरीए देश की अर्थव्यवस्था के विकास में भागीदार बनना है।


 इस अवसर पर सेंटर फाॅर साइंस एंड टेक्नोलाॅजी आॅफ द नाॅन एलाइनड एंड अदर डेवलपिंग कंट्रीस के महानिदेशक डा अमितावा बंद्योपाध्याय ने कहा कि हमे भविष्य के लिए स्वच्छ उर्र्जा इंधन और अक्षय उर्जा को बढ़ावा देना होगा। सतत जीवन के विकास के लिए अक्षय उर्जा अत्यंत महत्वपूर्ण है।


 एमिटी सांइस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने संबोधित करते हुए एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा संचालित किये जा रहे विभिन्न शोध कार्यो की जानकारी प्रदान की जो संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य के 07 जिसमे सभी के लिए उपलब्ध, लीचल, सतत एंव आधुनिक उर्जा के लक्ष्य को पूरा करने में सहायता करता है।


इस त्रिदिवसीय अंर्तराष्ट्रीय आॅनलाइन कार्यशाला के अंर्तगत आयोजित व्याख्यान सत्र के अंर्तगत प्रथम सत्र में सीएसआईआर - इंडियन इस्टीटयूट आॅफ पेट्रोलियम के डा अंजन रे ने ‘‘ भारत में शहरी गैस वितरण - आपूर्ति पक्ष और मांग पक्ष ’’ पर जानकारी देते हुए कहा कि पिछले दो दशकों में विश्व में ईंधन दहन से कार्बन उत्सर्जन का स्तर बढ़ा है और प्राकृतिक गैस ही स्वच्छ ईंधन और परिवहन ईंधन है। हमें आत्मनियंत्रण से उर्जा सुरक्षा के निवारक को खोजना होगा। उन्होनें एलपीजी के अनुपात में पीएनजी लाभ के बारे में बताते हुए कहा कि एलपीजी की तरह पीएनजी पर कोई सब्सिडी नही है और पीएनजी के लिए सिलेंडर या परिवहन की आवश्यकता नही है। डा रे ने पीएनजी हेतु स्थानिय कुकिंग बर्नर के बारे में बताते हुए सीएसआईआर - इंडियन इस्टीटयूट आॅफ पेट्रोलियम द्वारा विकसित किये गसे पीएनजी बर्नर के लाभों के बारे में बताते हुए उर्जा बचत की क्षमता सहित राष्ट्रीय लाभ और उसके व्यवसायिकरण, उत्पाद की श्रेंणी, उसके लिए कौशल विकास के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। डा रे ने बायोगैस से बायोमिथेन, एचटूएस की घटौती से बायोगैस स्वच्छ तकनीकी के संर्दभ में जानकारी भी दी।


व्याख्यान सत्र द्वितीय के अंर्तगत नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड आॅफ टेस्टींग एंड कोलाबोरेशन लैबोरेटरी के चेयरमैन डा आर के कोटनाला ने ‘‘ हाइड्रोइलेक्ट्रिक सेल के उपयोग से ग्लोबल वार्मिंग को दूर करने के लिए हाईड्रोजन अर्थव्यवस्था अपरिहार्य’’ विषय पर जानकारी देते हुए बताया कि ग्लोबल वार्मिग कें अंर्तगत कार्बन उत्सर्जन का 67 प्रतिशत हिस्सा रिफाइनरी के गैसोलाइन से आता है। हाईड्रोइलेट्रिक सेल, फ्युल सेल और सौर सेल का बेहतरीन विकल्प है। डा कोटनाला ने कहा कि हाइड्रोजन गैस का उपयोग हाइड्रोजन ईंधन से वाहन के संचालन, राॅकेट के ईंधन, मिथेनाॅल के उत्पादन, मेटल ओर को कम करने आदि में किया जा सकता है। उन्होनें हाइड्रोजन के निर्माण में वाटर माॅलक्यूल स्पीलिटिंग की विभिन्न तकनीकी, हाईड्रोइलेक्ट्रिक सेल की खोज, पोर्टएबल पावर पैक में हाईड्रोइलेक्ट्रिक सेल के कार्य, स्वच्छ ईंधन हाईड्रोजन के बारे में बताते हुए हाईड्रोइलेक्ट्रिक सेल के साथ एचटू एस गैस के निर्माण की विभिन्न तकनीकों के बारे में बताया।


आमंत्रित व्याख्यान सत्र के अंर्तगत आईआईटी मद्रास के डा ए सुब्रमण्यम ने ‘‘ सतत भविष्य के लिए अक्षय उर्जा के कचरे का पुनर्नवीनीकरण - चुनौतियां और अवसरों’’ विषय पर जानकारी देते हुए कहा कि पुनर्नवीनीकरण, नव कचरा प्रबंधन तकनीकी और व्यापार के मार्ग को खोल देगा। कई देश जिसमें यूएसए भी शामिल है उनके पास सौर पैनल के लिए मजबूत पुनर्नवीनीकरण संरचना उपलब्ध नही है। पैनल का पुनर्नवीनीकरण आवश्यक है क्योकी इसमे धातु होते है जो पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है। डा सब्रमण्यम ने कहा कि पुनर्नवीनीकरण एक बड़ा व्यापारिक अवसर है और जिसमें नवीन तकनीकी के साथ विकास संभव है। पुनर्नवीनीकरण के लिए निती निर्धारण करना होगा और जैसे जैसे स्थापन बढ़ेगा पुनर्नवीनीकरण भी विकसित होगा।


त्रिदिवसीय अंर्तराष्ट्रीय आॅनलाइन कार्यशाला के अंर्तगत तकनीकी सत्र के अंर्तगत हिमाचल स्थित शूलीनी विश्वविद्यालय के डा एस एस चंदेल, बैग्लोर के आईआईएससी के डा टी वी रामाचंद्रन, बीएचईएल की सुश्री शिवांगी झा, एमिटी विश्वविद्यालय की सुश्री ओमिता नंदा ने विभिन्न विषयों पर प्रस्तुती दी। इस अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ एडवांस रिसर्च स्टडीज (मैटेरियल एंड डिवाइसेस) के डा अभिशेक वर्मा, डा सुमन सहित एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ न्यूक्लियर सांइस एंड टेक्नोलाॅजी के निदेशिका डा अल्पना गोयल सहित कई वैज्ञानिक और शिक्षक उपस्थित थे।