एमिटी में विशेषज्ञों ने "कानून प्रवर्तन और सैन्य कार्मिक के लिए फाॅंरेसिक मनोविज्ञान" विषय पर साझा किये विचार






- तकनीकी सत्र में दिल्ली के डीसीपी (क्राइम) ने व्यक्त किये विचार।


नोयडा।उ.प्र.

मनोविज्ञान के छात्रों को कानून प्रवर्तन और सैन्य कार्मिक के लिए फाॅरेसिंक मनोविज्ञान के संर्दभ में जानकारी प्रदान करने के लिए एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ साइकोलाॅजी एंड एलाइड सांइसेस द्वारा एक दिवसीय अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन ‘‘ कर्तव्य की सीमा पर कानून प्रवर्तन और सैन्य कार्मिक के लिए फाॅरेसिंक मनोविज्ञान’’ विषय पर किया गया। इस सम्मेलन में वैश्विक स्तर के प्रख्यात मनोवैज्ञानिकों ने छात्रो को व्याख्यान प्रदान किया। सम्मेलन का शुभांरभ प्रख्यात अंर्तराष्ट्रीय मनोचिकित्सक प्रो वामिक वोल्कन, जार्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के मनोचिकित्सक प्रो जेम्स ग्रिफ्त, एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान , एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला, एमिटी सांइस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती और एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ साइकोलाॅजी एंड एलाइड सांइसेस की प्रमुख डा रंजना भाटिया द्वारा किया गया। इस अवसर पर सम्मेलन में देश विदेश से सैकड़ो छात्रों, शोधार्थियों, मनौवैज्ञानिकों, कानून प्रवर्तकों, अकादमिक आदि ने हिस्सा लिया।


प्रख्यात अंर्तराष्ट्रीय मनोचिकित्सक प्रो वामिक वोल्कन ने बृहद समूह व्यक्तित्व के बारे में बताते हुए कहा कि व्यक्ति के मनोविज्ञान का निरिक्षण उसके लचीलेपन, आर्थिक स्तर, समाजिक आधार आदि पर होता है। बड़ी संख्या में लोगों की विभिन्न तरीके का व्यक्तित्व होता है। लोगों का व्यक्तित्व उनके प्रदर्शन से परिवर्तीत होता रहता है। बृहद समूह व्यक्तित्व के संर्दभ में कहा कि संगीत, भोजन, धर्म आदि भी इसके भाग होते है। व्यक्ति के स्वंय का व्यक्तित्व और बृहद समूह व्यक्तित्व के मध्य का रिश्ता भी मनोवैज्ञानिक स्तर पर बेहद महत्वपूर्ण होता है। प्रो वोल्कन ने कहा कि भारी आघात कई प्रकार के होते है जिसमें प्राकृतिक आघात, दुर्घटना आघात और अचानक हुये हादसों के आघात शामिल होते है। एक बृहद समूह व्यक्तित्व दूसरे समूह से भिन्न होता है। लोगों को आघात का इलाज करने के लिए मनोवैज्ञानिक चिकित्सा के संर्दभ में कहा कि मरीज को यह मत कहो कि वे क्या करें बल्कि उन्हें बताये कि वे क्या याद रखें। समस्याओं का निवारण सकारात्मकता से संभव है।


 द जार्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के मनोचिकित्सक प्रो जेम्स ग्रिफ्त ने ‘‘शरणार्थियों और यातना का शिकार के मनोरोगों का इलाज’’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि यातना पर चर्चा करने से हमें सामान्य लोग जो अधिक तनाव से ग्रस्त है उनके बारे में जानकारी प्राप्त होती है इसके अतिरिक्त यातना से बचे लोग हमें मानव लचीलता और यातना से बचाव की जानकारी प्रदान करते है। प्रो ग्रिफ्त ने इराकी व्यक्ति जो राजनितिक यातना से ग्रस्त के मनोविज्ञान उपचार का उदाहरण देते हुए यातना का मनोरोगी अनुक्रम, दैहिक आघात चिकित्सा, पीटीएसडी लक्षण के बारे मे बताया। उन्होने कहा कि घर, परिवारजनों, रोजगार को खोने का शोक, यातना का मुख्य स्त्रोत होते है। कलंक, भेदभाव और हिंसा एक जातीयता, राष्ट्रीयता या धर्म के प्रति निर्देशित हिंसा अक्सर आत्ममूल्य की भावना को नुकसान पहंुचाती है। इलाज तभी प्रभावी है जब वो लीचलेपन दृष्टिाकोण के प्रदानो किया जाये जो मरीज को जीवन मे नये सपने की ओर अग्रसर करता है।


एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान ने संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में अपराधों के मनोविज्ञान को समझने, केसों के निवारण में फाॅंरेसिक मनोविज्ञान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है इसलिए छात्रों को फाॅरेंसिक मनोविज्ञान के क्षेत्र में शोध, नवोन्मेष और अभ्यास को प्रोत्साहित करने के लिए और नवीनतम जानकारी प्रदान करने के लिए अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है। डा चौहान  ने कहा कि छात्रों और शोधार्थियों सहित सभी को इस सम्मेलन का अवश्य लाभ प्राप्त होगा।


एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज सारा विश्व कोविड के चुनौतीपूर्ण समय से जुझ रहा है और लोगों के मनोविज्ञान में बृहद परिवर्तन आया है। मनोविज्ञान लोगों के व्यवहार एवं कार्य को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। समाज में अपराध को कम करने और अपराधी एवं अपराध के मनोविज्ञान को समझने में फाॅरेसिक मनोविज्ञान आवश्यक है और छात्रों के लिए शिक्षण के नये आयाम स्थापित कर रहा है। फाॅरेसिक मनोविज्ञान की सहायता से हम इस विश्व को सभी के लिए बेहतर स्थान बनायेगें।


सम्मेलन के अंर्तगत तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया जिसमें दिल्ली के डीसीपी (क्राइम) डा जाॅय टिर्की, दिल्ली जेल तिहाड़ के पूर्व विधी सलाहकार श्री सुनील गुप्ता ने अपने विचार व्यक्त किये और इस सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात अपराधिक मनोवैज्ञानिक डा शुभ्रा सान्याल द्वारा की गई।


दिल्ली के डीसीपी (क्राइम) डा जाॅय टिर्की ने कहा कि अपराध को हल करने और बड़े पैमाने पर उल्लंघन की जांच करने में फाॅरेसिंक मनोविज्ञान की भूमिका महत्वपूर्ण होती है और इससे कर्तव्य की सीमा पर कानून प्रवर्तन और सैन्य कार्मिक के तनाव के मनोविज्ञान को समझने में सहायता होती है। फाॅरेसिंक मनोविज्ञान के अंर्तगत मनोविज्ञान एवं अन्य कानून का साझा अभ्यास होता है। अपराध के निवारण में फाॅरेसिंक विज्ञान की आंतरिक भूमिका होती है। उन्होनें कहा कि प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक, कर्तव्य का निर्वहन कर रहे पुलिस कर्मीयों द्वारा तनाव के मनोविज्ञान का समझने में सहायक हो सकते है और विभाग को अधिक तनाव या कार्य से ग्रस्त पुलिसकर्मीयों की मानसिक स्थिती को समझने में सहायता भी कर सकते है जिससे कार्यप्रणाली को और बेहतर बनाया जा सकता है। इस दौरान उन्होनें कई केस जैसे बुराड़ी में 11 मृतक केस, इंदरलोक एक ही परिवार के 7 जनों की हत्या केस, गोविंदपुरी के सिरियल चाइल्ड रेपिस्ट केस, कॅनाट प्लेस सिरियल रेपिस्ट आॅटो रिक्शा ड्राइवर केस के संर्दभ में मनोवैज्ञानिक तथ्यों और अपराधी के मनोविज्ञान के बारे में जानकारी दी। डा टिर्की ने कहा प्रशिक्षित फाॅरेसिंक मनोविज्ञानी की सहायता से हम अपराध को और शीघ्रता से हल कर सकते है।

इस अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन के अंर्तगत विभिन्न शोधार्थियों द्वारा पेपर प्रस्तुत किये गये। इस अवसर पर स्वीडन के गोयथेनबर्ग विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डा मार्टा वालिन्स सहित कई विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किये।