आगरा। वार्ता संवाददाता
साहित्य संगीत संगम के तत्वावधान में जन कवि नजीर अकबराबादी और महाप्राण पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को समर्पित कार्यक्रम "नमन निराला नजीर" नागरी प्रचारिणी सभा सभागार में संपन्न हुआ । कार्यक्रम निराला की रचित सरस्वती 'वंदना वर दे वीणावादिनी वर दे' से प्रारंभ हुआ।
सुप्रसिद्ध गीत व गजल गायक धीर नारायण ने नजीर और निराला की रचनाओं को स्वर बंद्ध करके प्रस्तुत किया।
नजीर की रचना 'रख ध्यान सुनो दंडौत करो जय बोलो कृष्ण कन्हैया सुनाया तो सारा सभागार जैसे कृष्णमय हो गया और फिर नजीर की सर्वाधिक लोकप्रिय रचना 'सब ठाट पड़ा रह जाएगा जब लाद चलेगा बंजारा' की प्रस्तुति ने तो पूरे सभागार को बहुत देर तक तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।
श्रेया शर्मा ने निराला की रचना नूपुर के स्वर मंद रहे चरण जब न स्वच्छंद रहे प्रस्तुत की। इसके बाद सुधीर नरायण के साथ रिंकू चौरसिया, देशदीप, सलीम और सुशील सरित ने निराला के गीत "इमन बजा,कैसे गाते हो मेरे प्राणों में आते हो जाते हो" आदि प्रस्तुत किये। फैज अहमद फैज और मिर्जा गालिब की गज़लों को भी प्रस्तुत किया गया।
रानी सरोज गौरिहार के गीत नैना अनियारे भौंह कमान संवारे को भी प्रस्तुत किया गया।
तबले पर संगत की राज मैसी ने और गिटार पर रमेश प्रभाकर ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सांसद प्रोफेसर एस पी सिंह बघेल और विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व वाइस चांसलर सुंदरलाल के अलावा डॉ राजेश चौहान और प्रोफेसर सोम ठाकुर मौजूद थे।कम्यूनिटी रेडियो की डायरेक्टर अर्चना सिंह, प्रोग्राम हैड पूजा सक्सेना, पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. विनोद माहेश्वरी और पूर्व न्यायाधीश एस एस यादव एवं गीतकार राजेन्द्र मिलन, अशोक अश्रु, रमेश आनंद, असीम आनंद, परमानंद आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। संचालन सुशील सरित ने किया
मुख्य अतिथि प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने कहा कि जो अपने पुरखों को याद नहीं करता वह जिंदा कौम नहीं है और यह नजीर, निराला, गालिब साहित्यिक पुरखे हैं। इन्हें याद करना इनके प्रति सच्ची श्रद्धा व्यक्त करना है। धन्यवाद ज्ञापन रानी सरोज गौरिहार ने किया।