बजट में सरकार का कर्मचारियों के प्रति असंवेदनशील रवैया: प्रशान्त मिश्रा

 


 लखनऊ । प्रेम शर्मा

 उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने विधानसभा में अपनी सरकार का पांचवा और इस विधानसभा का आखिरी बजट प्रस्तुत किया।उ.प्र.नगर निकाय केन्द्रीयत राजस्व सेवा कर्मचारी एसोसिएशन  प्रदेश अध्यक्ष प्रशान्त मिश्र ने उत्तर प्रदेश के बजट पर त्वरित एवं संक्षिप्त प्रतिक्रिया मे कहा इस बजट की यह विशेषता है कि यह बजट प्रदेश का पहला पेपरलेस बजट है।करोना कॉल की चुनौतियों के बाद इस बजट से समाज के हर वर्ग को बहुत उम्मीदें थी, विशेषकर प्रदेश के कर्मचारियों को बजट से काफी आशाएं थी। लेकिन बजट में सरकार का कर्मचारियों के प्रति असंवेदश् वित्त मंत्री कोरोना काल में कर्मचारियों  के महंगाई भत्ते एवं अन्य भत्ते सीज कर दिए गए थे अथवा समाप्त कर दिए गए थे। उम्मीद थी कि कोरोना काल के बाद प्रदेश के राजस्व में हुई वृद्धि को देखते हुए कम से कम सीज किए हुए महंगाई भत्ते को रिलीज करने पर सरकार अवश्य विचार करेगी परंतु निराशा ही हाथ लगी।

प्रशान्त मिश्रा ने कहा कि कोरोना काल में निकाय कर्मचारियों की भूमिका को सरकार नाकर नही सकती लकिन बजट में निकाय कर्मचारियों को कुछ नही दिया गया। महंगाई चरम पर लेकिन सरकार ने इसके बावजूद सरकार ने सीज किए भत्ते दिये न कोई प्रोत्साहन राशि दी। उन्होंने  २०१६ के बाद नगर निकाय में आयोग द्वारा केंद्रीयत सेवा के चयनित कर्मचारियों को नयी पेंशन स्कीम के तहत न ही अभी तक अकाउंट खोले गये हैं न ही सरकार द्वारा दी जाने वाली अंशदान की राशि दी गयी ह।ै जिससे कर्मचारियों को बहुत नुकसान हो रहा है जो सरकार का तरफ से दिये जाने को कहा गया था। रोजगार की प्रत्याशा में लगे हुए लाखों पढ़े-लिखे नौजवानों के लिए इस बजट में कुछ नहीं है वैसे तो यह बजट रोजगार एवं युवाओं को समर्पित है परंतु प्रदेश के विभिन्न विभागों में लाखों की संख्या में पद रिक्त होने के बावजूद भी युवाओं को रोजगार देने की दिशा में कोई अहम कदम इस बजट में नहीं उठाया गया है। यह भी उम्मीद की जाती थी कि सरकार पेट्रोल और डीजल पर अपने हिस्से का टैक्स कम कर कम से कम कुछ राहत देगी लेकिन वहां भी निराशा हाथ लगी। कुल मिलाकर यह बजट एक चुनावी बजट है जिसमें किसानों, उद्योगपतियों, व्यापारियों को खुश करने की कोशिश की गई है।  कर्मचारी संवर्ग को इस बजट से घोर निराशा  हुई है।