एमिटी में सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पांरपरिक चिकित्सा के साथ आधुनिक दृष्टिकोण विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम




नोयडा।हि. वार्ता

पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा पद्धति का अभ्यास करने वाले चिकित्सकों, वैज्ञानिकों और शोधार्थियों हेतु एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ ट्रेनिंग डेवलपमेंट और एमिटी इंस्टीटयटू आॅफ पब्लिक हेल्थ द्वारा विज्ञान एवं तकनीकी विभाग के सहयोग से ‘‘सस्ती और सुलभ स्वास्थय सेवाओं के लिए पांरपरिक चिकित्सा के साथ आधुनिक दृष्टिकोण’’ विषय पर पांच दिवसीय आॅनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के सचिव डा राजेश कोटेचा, एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान, एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ ट्रेनिंग डेवलपमेंट के सलाहकार डा नितिन बत्रा, एमिटी साइंस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 31 चिकित्सकों, वैज्ञानिकों और शोधार्थियों ने हिस्सा लिया है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के सचिव डा राजेश कोटेचा ने संबोधित करते हुए कहा कि सभी लोगों को सस्ती और सुलभ स्वास्थय सेवा उपलब्ध कराने के लिए पांरपरिक चिकित्सा पद्धती एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हमें पांरपरिक चिकित्सा पद्धती का उपयोग आधुनिक दृष्टिकोण के साथ करना होगा। जब आयुष अभ्यास करने वाले की बात होती है तो हमारे मन में कम संसाधनों एवं नाड़ी जांचने वाले एक व्यक्ति की छवि बनती है। उन्होनें कहा कि आयुष व्यवसायिकों के बारे में कई मिथक है जिन्हे समाप्त करने की आवश्यकता है और समझना होगा चीजें कैसे बदल रही है। डा कोटेचा ने कहा कि उन्होनें कहा कि भावी पीढ़ी को आयुष के बारे में जानकारी होना आवश्यक है और वैज्ञानिकों इस जवाबदारी उठानी चाहिए। आधुनिक उन्नति समय की आवश्यकता है और आम आदमी की भाषा में इस पहल को मजबूत करने के प्रयास करने होगें। आयुष मे अनुसंधान का क्षितिज अत्यंत विशाल है। डा कोटेचा ने एक बड़ी आबादी में विटामीन डी की कमी पर कहा कि आबादी के लिए विशेष रूप से कोई मानकीकृत पैरामीटर निर्धारित नही है और अच्छे नतीजों के लिए अनुसंधान को प्रयोगशाला से भूमि पर लाना होगा। उन्होने कहा कि आयुष एक ऐसा समाधान जिसमें सुलभ स्वास्थय सेवा के लिए धन की आवश्यकता नही है। एमिटी द्वारा भारतीय चिकित्सा पद्धती के विकास हेतु अनुसंधान को प्रोत्साहित किया जा रहा है और इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आप सभी के लाभप्रद होगें।

एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान ने अतिथि एंव प्रतिभागीयों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय चिकित्सा पद्धती जीवन में स्वस्थवर्धक जीवन जीने एक मात्र समाधान है। यह आपको को रोग मुक्त रखने के साथ जीवन को स्वस्थ रहने और रोगों से बचे रहने के लिए जागरूक भी करता है। डा चौहान ने कहा कि अगर आपका स्वास्थय ठीक है तो आप जीवन में सुखी व्यक्ति है। एमिटी मे हम छात्रों को भारतीय चिकित्सा पद्धती को अपनाने, विकसित करने के लिए शोध करने हेतु प्रेरित करते है। इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम सभी प्रतिभागीयों के ज्ञान में इजाफा करेगें और जानकारी साझा करने का मंच भी प्रदान करेगें।

एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ ट्रेनिंग डेवलपमेंट के सलाहकार डा नितिन बत्रा ने संबोधित करते हुए कहा कि आज आयुष अर्थव्यवस्था काफी तेजी से विकसित हो रही है। आज विश्व में पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का बाजार 80 बिलियन का है और स्न 2030 तक यह बढ़कर 5 ट्रिलियन का हो जायेगा। उन्होनें कहा कि वैयक्तिकरण और चिकित्सा को अपनाने से बाजार को विकास में सहायता होगी। जीवन की गुणवत्ता को विकसित करने के लिए डा चौहान और डा कोटेचा के नेतृत्व में कार्य किया जा रहा है। उन्होनें प्रतिभागीयों से कहा कि बाधाओं को हटा कर एक दूसरे से सीखें।

               एमिटी साइंस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय स्वास्थय प्रणालियों की जांच करने और उनकी कार्यप्रणाली और अभ्यास की जानकारी प्रदान करने हेतु आयोजित किया गया है। इस बात पर विचार करना होगा कि स्वास्थय प्रणालियों और उनकी स्थिरता का समर्थन करने के लिए किस प्रकार नीति और अभ्यास एक साथ जुड़ते है। पारंपरिक और आधुनिक स्वास्थय देखभाल की तुलना करगें और चिकित्सा बहुलवाद को समझेगें।

                इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंर्तगत आज प्रथम दिन आयुष मंत्रालय के केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो के एस धीमान ने समग्र स्वास्थय के लिए पारंपरिक चिकित्सा आधुनिक दृष्टिकोण विषय, पतंजली रिसर्च इंस्टीटयूट के ड्रग एंड डिस्कवरी डेवलपमेंट के उपाध्यक्ष डा अनुराग वाष्णेय ने भी स्वास्थय के लिए पारंपरिक चिकित्सा आधुनिक दृष्टिकोण विषय अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर आयुर्वेदा चिकित्सा पर परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया।

                इस शुभारंभ समारोह में रितनंद बलवेद मेडिकल फांउडेशन के बोर्ड आॅफ गर्वनर के चेयरमैन डा अजित नागपाल, फैकल्टी आॅफ हेल्थ एंड एलाइड सांइस के डीन डा बी सी दास, एमिटी इंस्टीटयटू आॅफ पब्लिक हेल्थ के निदेशक डा राजीव जर्नादन उपस्थित थे।