ट्रैफिक लाइट पर आज भी बच्चे करते पढ़ाई की जगह, रोज़गार।

                           

                                                                                                                

हिन्दुस्तान वार्ता।

जो बच्चे आज होते हैं मन के कच्चे और सच्चे वही कल अपने परिवार का और देश का भविष्य होते हैं |इसीलिए बाल रक्षा हर देश की सरकार व नागरिकों की जिम्मेदारी हैं ,उन्हें सुदृढ बचपन देना चाहिए | वैसे तो बाल दिवस के रूप में अनेक दिवस पूरे विश्व में अलग अलग दिन मनाए जाते हैं परंतु विश्व बाल रक्षा दिवस के रूप में बच्चों को शिक्षित ,सुरक्षित , पौष्टिक आहार देने हेतु जून की 1 तारीख को अंतर्राष्ट्रीय बाल सुरक्षा या रक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है|

 *बाल रक्षा की परंपरा*

अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस मनाने की परंपरा पिछले 72 वर्षों से चली आ रही है। उल्लेखनीय है कि यह परंपरा रुस देश में युद्ध बाद के वर्षों में शुरू हुई थी। जब युद्ध के बाद कई बच्चे अनाथ हो गए थे।  इस को मनाने उद्देश्य अनाथ बच्चों को पढाई कराना तथा बच्‍चों की बाल मजदूरी जैसी  समस्‍याओं से छुटकारा दिलवाना है इसके अलावा बच्‍चों के अधिकारों की रक्षा तथा लोगों का बच्‍चों की आवश्‍यकताओं की ओर ध्यान आकर्षित करना है। 

*बाल रक्षा के कार्यक्रम*

विश्‍व भर में आज के दिन अनाथ, विकलांग और ग़रीब बच्चों की सहायता तथा उनकी समस्याओं पर विशेष रूप से लोगों को आकर्षित करना है तथा इस दिन बच्चों को पढ़ाई सुरक्षा व तोहफ़े दिए जाते हैं एक  विशेष समारोहों का आयोजन किया जाता है।

 **भारत में बाल रक्षा की स्थिति ** 

आज का दिन भारत के बच्चों अधिकारों की रक्षा के लिए बहुत महतपूर्ण है| आज हमारे देश के बच्चे को पौष्टिक आहार तो दूर पेट भर आहार भी नही मिल पता है| माँ बाप पढ़ा नही पाते है| इलाज नही करा पाते है| एक भयानक स्थिति देखे बच्चों का इस्तेमाल भीख मँगवाने व नोकर का काम करते हे है तो यह है अपने धंधे के लिए विकलांग तक कर देते है| अब भारत में कई सामाजिक संस्था व सोशल मीडिया के माध्यम से इनकी अधिकारों की रक्षा के साथ ट्रैफिक सिग्नल पर बाल श्रम  व्यापार कम हो रहा है|.

**अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा इतिहास ** 

अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस पहली बार सन 1949 में मनाया गया था। इसका निर्णय मॉस्को में अंतर्राष्ट्रीय महिला लोकतांत्रिक संघ की एक विशेष बैठक में किया गया था। 1 जून सन 1950 को दुनिया भर के 51 देशों में 'अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस' पहली बार मनाया गया था।

**बाल रक्षा का कोरोना लाया मुश्किल ** 

हमें लगता है कोरोना काल के चलते बच्चों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया है| आज शिक्षा ,आवास ,भोजन ,स्वस्थ अनाथ व गरीब बच्चों के  लिऐ मुसीबत लाया हैं|आज पुलिस व सामाजिक संस्थाओ  के साथ बड़े व्यापारिक घरों को प्लान करना होगा किस प्रकार बच्चों की परवरिश  करे |भारतीय कम्पनीज़ को अपने कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी ( corporate social responsibility ) फंड से हमारे बच्चे सुरक्षित करने होंगे, उन्हें अपने स्तर से नई योजना बनानी होगी सामाजिक संस्थाओं की सरकार की योजना में ना केवल हाथ बटाना होगा बल्कि निगरानी भी करनी होगी तभी बच्चों का भविष्य उज्जवल होगा।

राजीव गुप्ता जनस्नेही कलम से 

लोक स्वर आगरा 

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