कहानी -" लालू " संकलन: अजितप्रतापसिंह लालू भदौरिया


                 




लॉकडाउन में गांव के लोग पिछले कई दिनों से एक जगह पर खाना बाँट रहे थे।


 *हैरानी की बात ये थी कि एक कुत्ता हर रोज आता था और किसी न किसी के हाथ से खाने का पैकेट छीनकर भाग जाता था।*


 आज गांव के लोगों ने एक आदमी की ड्यूटी इसी कार्य के लिए लगाई थी कि किसी भी कीमत पर आज कुत्ता किसी के हाथ से खाने का पैकट लेकर भाग न सके ?


लगभग ग्यारह बजे का समय हो चुका था और वे लोग अपना भोजन वितरण शुरू कर चुके थे। तभी लोगों ने देखा कि वह कुत्ता तेजी से आया और एक आदमी के हाथ से खाने की थैली झपटकर भाग गया।


वह लड़का जिसकी ड्यूटी थी, वह डंडा लेकर उस कुत्ते का पीछा करते हुए कुत्ते के पीछे भागा। कुत्ता भागता हुआ गया और एक झोपड़ी में घुस गया।


वह आदमी भी उसका पीछा करता हुआ झोपड़ी तक आ गया। कुत्ता खाने की थैली झोपड़ी में रखकर पास में बैठ गया।


उस लड़के ने झोपड़ी में देखा कि एक आदमी अंदर लेटा हुआ है। चेहरे पर बड़ी सी दाढ़ी है और उसका एक पैर भी नहीं है। गंदे से कपड़े हैं उसके।


"ओ भैया! ये कुत्ता तुम्हारा है क्या?" कुत्ते का पीछा करने वाले आदमी ने झोपड़ी में लेटे व्यक्ति से पूछा ?


*"यह कोई कुत्ता नहीं है। "कालू" तो मेरा बेटा है। उसे कुत्ता मत कहो भाई ।" दिव्यांग बोला।*


"अरे भाई ! ये हर रोज खाना छीनकर भाग जाता है। किसी को काट लिया तो ? ऐसे लाकडाउन में डॉक्टर कहाँ मिलेगा ? इसे बांध के रखा करो ?


इतने में कुत्ता उठकर बाहर चला गया।

 वह गरीब बोला मैं इसे मना नहीं कर सकूँगा। यह मेरी भाषा भले ही न समझता हो लेकिन वो मेरी भूख को समझता है। जब मैं घर छोड़ के आया था तब से ही वह मेरे साथ रहता है। *मैं नहीं कह सकता कि मैंने उसे पाला है या इसने मुझे पाला है ?*


 यह तो मेरे लिये मेरे बेटे से भी बढ़कर है। मैं तो इसी रेड लाइट पर पेन बेचकर अपना गुजारा करता हूँ , पर आजकल सब बंद है ?


*वह लड़का एकदम मौन हो गया।उसे ये संबंध समझ में ही नहीं आ रहा था। इतने में उस आदमी ने खाने का पैकेट खोला और आवाज लगाई,"कालू !! ओ बेटा कालू ..... आ जा खाना खा ले।"*


कुत्ता दौड़ता हुआ आया और उस आदमी का मुँह चाटने लगा।खाने को उसने सूंघा भी नहीं। उस आदमी ने खाने की थैली खोली और पहले कालू का हिस्सा निकाला, फिर अपने लिए खाना रख लिया।


"खाओ बेटा !" उस आदमी ने कुत्ते से कहा , मगर कुत्ता उस आदमी को देखता ही रहा। जब उस दिव्यांग ने अपने हिस्से का खाना शुरू किया, तो उसे खाते देख कालू ने भी खाना शुरू कर दिया। दोनों खाने में व्यस्त हो गये।


*उस लड़के के हाथ से डंडा छूटकर नीचे गिर पड़ा ? जब तक दोनों ने खाना नहीं खा लिया वह अपलक उन्हें देखता रहा ? अंत में उस लड़के ने कहा"भैया जी !आप भले ही गरीब हों ,मजबूर हों, मगर आपके जैसा बेटा किसी के पास नहीं होगा।" कहते कहते उसने जेब से कुछ पैसे निकाले और उस दिव्यांग के हाथ पर रख दिये।* 


दिव्यांग बोला "रहने दो भाई , किसी और को इनकी ज्यादा जरूरत होगी ? ये रूपये उस जरूरतमंद को दे देना ? मुझे तो मेरा सपूत कालू ला ही देता है। मेरे बेटे के रहते मुझे भोजन की कोई चिंता नहीं ?


*वह लड़का हैरान था कि आज आदमी, आदमी से छीनने को आतुर है , और ये कुत्ता...बिना अपने मालिक के खाये.... खाना भी नहीं खाता है।*


उसने बड़े प्यार से कालू के सर पर हाथ फेरा ओर बोला "कल से खाना लेने आ जाना कालू ,  हम तुझे 2 पैकेट देंगे। ठीक है और हाँ किसी से छीनना नहीं ,सीधा हमसे लेना"


        *👇शिक्षा👇*  

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*कालू तो जन्म से ही जानवर है , फिर भी वह अपनी शक्ति का उपयोग किसी गरीब - मजबूर की सहायता करने में लगा रहा है और हमें तो भगवान ने असीम कृपा कर मानव जन्म दिया और हम ?????*

  

*कोई दवा के नाम पर , तो कोई हॉस्पिटल के नाम पर , तो कोई अन्य किसी नाम से किसी मजबूर को लूट रहा है ???* 


                  *सोचियेगा जरूर*