हिन्दुस्तान वार्ता, नोयडा।
छात्रों को नवीनतम जानकारी प्रदान करने के लिए शिक्षकों का स्वंय को समय समय पर अपडेट रखना आवश्यक है। एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी एकेडमिक स्टाफ काॅलेज और एमिटी विश्वविद्यालय के नेचुरल रिर्सोस एंड एनवांयरमेंटल सांइस डोमेन द्वारा मई 17 से मई 21 तक ‘‘ स्थायी पर्यावरण और संरक्षण रणनिती में आधुनिक प्रगति’’ विषय पर पांच दिवसीय शिक्षक विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर आज शिक्षक विकास कार्यक्रम के द्वितीय दिन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के रिजनल पीएफ कमिश्नर श्री नवीन जुनेजा, सी बी गुप्ता पी जी काॅलेज आॅफ एग्रीकल्चर लखनउ के निदेशक डा वाइ के शर्मा और जीआईजेड इंडिया के तकनीकी विशेषज्ञ श्री ललित शर्मा ने अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ एनवायंरमेंटल सांइसेस की एसीस्टेंट प्रोफेसर डा रेनू धुप्पर ने अतिथियों का स्वागत किया।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के रिजनल पीएफ कमिश्नर श्री नवीन जुनेजा ने ‘‘ कोविड के उपरांत पर्यावरण और उससे जुड़े क्षेत्रों में उभरते कैरियर’’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि वर्तमान समय कोरोना का अनिश्चित समय है, आज हर तरफ कोरोना या उससे जुड़ी समस्याओं का निवारण प्रमुखता से हो रहा है। इसके बावजूद क्या हम जलवायु, पुनच्रर्कण, जैवविविधता, ईंधन और जल से जुड़ी समस्याओं की अनदेखी कर सकते है। उन्होनें कहा कि हमें जलवायु, भौगोलिकता, नवीकरणीय उर्जा, पुर्नच्रकण, प्लास्टिक प्रबंधन, अपशिष्ट प्रबंधन और जैव विविधता आदि के क्षेत्र में कैरियर के अवसर प्राप्त हो रहे है। शोध, विचार, नवोन्मेष, दोनो का युग्मन, बहु विषयक दृष्टिकोण और समस्या का निवारण आदि आपके कैरियर में उत्प्रेरक की भूमिका निभाते है। नवोन्मेष के कैनवास पर आपको प्रथम पुनर्कल्पना जिसमें ग्राहको को मांग के अनुरूप नये रास्तों को अपनाते हुए उत्सर्जन को कम करते हुए नये निवारण प्रदान करना है, द्वितीय पुनः इंजिनियरिंग जिसमें कम कार्बन समाधान करते हुए मौजूदा की त्वरित तैनाती पर ध्यान देना होगा। तृतीय आविष्कार जिसमें गहरी तकनीकी दृष्ठिकोण का उपयोग करना और चतुर्थ रिबूट जिसमें उत्पाद को कम कार्बन तकनीकी से विकसित करना है। वैश्विक स्तर पर हमें प्रति वर्ष 5 ट्रिलियन की जैव विविधता की हानि होती है। हमें पर्यावरण के संरक्षण हेतु नेट जीरो कार्बन शहर का विकास करना होगा। उन्होनें अपशिष्ट प्रबंधन, प्लास्टिक प्रबंधन के क्षेत्र मंें कैरियर के अवसरो ंको बताया।
सी बी गुप्ता पी जी काॅलेज आॅफ एग्रीकल्चर लखनउ के निदेशक डा वाइ के शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि क्या वर्तमान मंे स्थायी जीवनशैली जी रहे है? बिलकूल नहीं। उन्होने स्थायी कृषि के संर्दभ में कहा कि समाज की वर्तमान भोज्य एवं टेक्सटाइल की मांग को पूर्ण करना, बिना किसी वर्तमान और भविष्य के पीढ़ी की क्षमता के समझौते के साथ ही स्थायी कृषि है। स्थायी कृषि, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, और समाजिक उददेश्य का एकीकरण है। उन्हानें सी बी गुप्ता पी जी काॅलेज आॅफ एग्रीकल्चर लखनउ में बनाये गये स्थायी माॅडल जिसमें स्थायी कृषि, एनिमल फार्मिंग, कुक्कुट पालन, गोबर गैस संयत्र, वर्मीकम्पोस्टींग, मधुमक्खी पालन, बकरी पालन, सहित प्रारंभ होने मछली और सूअर पालन के संर्दभ में जानकारी दी। डा शर्मा ने कहा कि स्थायी कृषि अभ्यासो से कृषकों का विकास होगा और उत्पाद भी बढ़ेगा। छात्रों को स्थायी कृषि की जानकारी होना आवश्यक है।
पांच दिवसीय शिक्षक विकास कार्यक्रम में जीआईजेड इंडिया के तकनीकी विशेषज्ञ श्री ललित शर्मा ने ‘‘ जीवन वाहन का समापन और संसाधन की कमी को कम करने में इसकी क्षमता’’ पर अपने विचार प्रस्तुत किये।
एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ एनवायंरमेंटल सांइसेस की एसीस्टेंट प्रोफेसर डा रेनू धुप्पर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस पांच दिवसीय शिक्षक विकास कार्यक्रम बड़ी संख्या में शिक्षक हिस्सा ले रहे है आशा करते है कि आपके अनुभवो ंसे हम सभी को मार्गदर्शन प्राप्त होगा। एमिटी द्वारा शिक्षकों के कौशल को विकसित करने के लिए इस प्रकार के शिक्षक विकास कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय की डा रिचा दवे नागर, डा कार्तिकेय शुक्ला सहित शिक्षकगण और अधिकारीगण उपस्थित थे।
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