हर हाल में योगी के नेतृत्व में यूपी चुनाव लड़ेगी भाजपा



प्रेम शर्मा,लखनऊ।

पिछले एक सप्ताह से उत्तर प्रदेश के राजनैतिक गलियारें में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर तरह तरह की चर्चाए और अफवाहें चल रही है। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष और उत्तर प्रदेश के प्रभारी राधामोहन सिंह के दौरे बैठके बाद उनकी वापसी के बाद जो दिल्ली से अपुष्ट लेकिन मजबूत संकेत मिले है वह इस बाॅत की तरफ पुख्ता इशारा कर रहे है कि चंद नौकरशाहों तथा कुछ ऐसे नौकरशाह जिनकी आस्था दूसरे दलों के प्रति अप्रत्यक्ष रूप से देखी जाती रही है उनके कारण जरूर योगी सरकार के कुछ कामकाज प्रभावित हुए है वरना योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में विकास के साथ कोरोना संक्रमण के दौरान बेहतर प्रदर्शन, दंगा विहीन, भ्रष्टाचार विहीन कार्यकाल उनकी  योग्यता का प्रमाण है। हाॅ ऐसी स्थिति में अगर सरकार के स्तर पर फेरबदल किया गया तो निश्चित तौर पर कुछ मंत्रियों के ताकत घटेगी तो कुछ का मौका जरूर मिल सकता है। नौकरशाह से एमएलसी बनाए गए अरविन्द शर्मा को भी अहम जिम्मेदारी मिलेगी। इसके अलावा नौकरशाहों जो बदलाव शुरू हुआ है उसका सिलसिला आगामी चुनाव तक जारी रहेगा। हालाॅकि अगले महीने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के भी राज्य के दौरे पर जाने की संभावना है। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 2022 के चुनाव में नेतृत्व की तस्वीर पूरी तरह से साफ हो जाएगी।

 भाजपा नेतृत्व ने अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए संगठनात्मक तैयारी शुरू कर दी है।आने वाले विधानसभा चुनाव 2022 में यूपी की जनता को फिर ठगने का ताना-बाना बुनकर कर तैयार कर लिया गया है।उत्तर प्रदेश में हिंदू मुस्लिम अहम मुद्दा हिंदुत्व होगा। दवाई, पढ़ाई, सिंचाई, बेरोजगारी, विकास और कानून व्यवस्था को पूरी तरह दरकिनार कर दिया जाएगा। भोली-भाली जनता के सामने हिंदू मुस्लिम का कार्ड खेला जाएगा। निश्चित तौर पर सर्वाधिक जनसंख्या और अधिकाधिक विधानसभा वाले क्षेत्र में सपा और बसपा के साथ कांग्रेस के साथ भाजपा के स्तर पर राष्ट्रीय स्तर के भी मुद्दों की चर्चा की जाएगी। विपक्षी दल इन मुद्दोे पर भाजपा को घेरेगा कि भारी संख्या में जवान शहीद हुए हैं। वह चाहे पुलवामा हमला हो या फिर गलवन घाटी के साथ ही नक्सलियों द्वारा भारी संख्या में जवान शहीद हुए हैं। यदि समय रहते सरकार गहनता से विचार करती तो शायद हमारे देश के इतनी बड़ी संख्या में जवान शहीद नहीं हुए होते। गोरखपुर में बच्चे इतनी बड़ी तादाद में असमय काल के गाल में न समाते। कोरोना महामारी में बंगाल के साथ ही पांच राज्यों के चुनाव और उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव टाल दिए गए होते और समय रहते कारगर कदम उठाए गए होते और कोरोना संक्रमित को ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, बेड और जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध कराई जाती तो शायद गंगा में इतनी बड़ी संख्या में हिंदुओं की लाशे न उतराती। हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए लकड़ी के अभाव में लाश को दफनाना या फिर बहते पानी में न फेंकना पड़ता। कोरोना कॉल में प्रवासी मजदूरों को घर तक पहुंचाने के लिए यदि साधन उपलब्ध किए गए होते तो शायद बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों को परेशानी न उठानी पड़ती और कुछ प्रवासी मजदूरों की जान भी न जाती। इसके अलावा अध्ययनरत पात्र छात्र शुल्क प्रतिपूर्ति और स्कॉलरशिप से वंचित न रह गए होते। गरीब कन्याओं के विवाह के लिए शादी अनुदान से भी काफी संख्या में पात्र छूट गए हैं। इन सबके साथ ही डीजल पेट्रोल और रसोई गैस के आए दिन बढ़ते दामों से जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। 

उधर नए तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान विगत लगभग 7 माह से दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। इस बीच लगभग 700 निर्दोष किसान सरकार की हठधर्मिता के कारण शहीद हो गए हैं। इन शहीद किसानों में बड़ी संख्या में हिंदू सिख ईसाई और मुस्लिम भी शामिल हैं। लेकिन इस तरह के आरोप विपक्ष लगातार लगा भी रहा है  लेकिन विपक्ष इन कमियों को जनता को समझाने में कामयाब हो पाएगा या फिर पिछले चुनाव की तरह अपने काम की बात ही कहते रह जाएंगे। हालाॅकि सत्ता पक्ष में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर फिलहाल तमाम अटकलों पर विराम लग गया है।  चुनाव नजदीक है ऐसे में संगठन और सरकार में नेतृत्व परिवर्तन का कोई जोखिम नहीं उठाया जा सकता। मंत्रिपरिषद में बदलाव की जरूरत है इसमें जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों के हिसाब से नए चेहरों को जिम्मेदारी देने का सुझाव के साथ ही विधानसभा चुनाव तक स्थिति दुरुस्त करने के लिए कई अहम सुझाव भी दिए गए। इसके बावजूद माना यहां तक जा रहा है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह अगले माह से उत्तर प्रदेश में चुनावी कमान संभालेंगे।

 यह चुनाव तक नियमित रूप से राज्य में प्रवास करेंगे।

 2022 के करीब आने के साथ ही अब आयोगों, निगमों के खाली पद इसी महीने भरने शुरू हो जाएंगे। सरकार व संगठन में विधानसभा चुनाव तक हर महीने लगातार समन्वय बैठकें होंगी। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों को अब बहुत ज्यादा समय नहीं है। देश का सबसे बड़ा राज्य होने के कारण तैयारियों के लिए पार्टी को ज्यादा समय भी चाहिए। कोरोना के चलते फिलहाल कोई दल चुनावी तैयारियां पूरी गति से नहीं की जा सकती हैं। इस समय सरकार और पार्टी की प्राथमिकता कोरोना संक्रमण पर अंकुश लगाना और लोगों को राहत देना है। इसके साथ-साथ चुनावी तैयारियों को भी आगे बढ़ाया जाएगा। यही वजह है कि भाजपा नेतृत्व में पिछले आठ-दस दिनों के अंदर राज्य की इस स्थिति को लेकर व्यापक विचार-विमर्श भी किया है। अंदरूनी स्तर पर कई बैठकें भी की गई है।राष्ट्रीय महासचिव संगठन बीएल संतोष ने लखनऊ का दौर कर राज्य सरकार के मंत्रियों, संगठन के प्रमुख नेताओं से व्यापक फीडबैक लेने के बाद स्पष्ट तो नही लेकिन उनकी चुप्पी यह इशारा जरूर कर गई कि आगामी चुनाव का नेतृत्व भी आदित्य नाथ योगी कर सकते है संगठन में फेरबदल को नकारा नही जा सकता। हालांकि यह कहा जा रहा है कि अब चुनाव के लिए ज्यादा समय नहीं है, ऐसे में सरकार और संगठन में शीर्ष स्तर पर किसी तरह का बदलाव होने की कोई संभावना नहीं है। 

पार्टी मौजूदा नेतृत्व के साथ ही चुनाव मैदान में जाएगी। जहाॅ तक मुख्यमंत्री योगी की बाॅत करे तो वे उत्तर प्रदेश बीमारू राज्य की श्रेणी से उभरकर देश की सबसे बड़ा अर्थव्यवस्था के रूप में उभारने,उत्तर प्रदेश की आबादी सर्वाधिक थी, लेकिन जब अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर निवेश अनुकूल वातावरण बनाने जैसे मुद्दों के लेकर जन्ता के बीच जाएगे। पिछली उपलब्धि में  उत्तर प्रदेश के प्रति व्यक्ति आय की बात आती थी, तो इसमें हम लोग प्रथम तीन स्थानों में कहीं नहीं टिकते थे।निवेश अनुकूल वातावरण बनाने में पूरी तरह सफल रहा। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस यानि व्यवसाय की सुगमता में देश में 2015-16 में जो रैंकिंग हमारी 14वें स्थान पर थी, आज वह दूसरे स्थान पर है। देश की 2015-16 में उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था जो पांचवीं-छठी स्थान पर थी, वह देश में दूसरे अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। चार वर्ष के कार्यकाल में रोजगार की व्यापक संभावनाओं को आगे बढ़ाया, प्रदेश में हर सेक्टर के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर, लोक कल्याण, एमएसएमई या कृषि क्षेत्र में जो कार्य हुए हैं,  उसका परिणाम है कि प्रति व्यक्ति आय भी दुगुने से अधिक मात्र चार वर्ष में देखने को मिली है।केंद्र सरकार की सभी योजनाएं प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना, प्रधानमंत्री उजाला योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना सहित जितनी भी योजनाएं थीं, इन सभी योजनाओं में उत्तर प्रदेश जहां पहले बहुत पीछे हुआ करता था, किसी में 23वें नंबर पर किसी में 27वें स्थान पर, उन सब में उत्तर प्रदेश अपनी एक बेहतर कार्य पद्धति के कारण पहले स्थान पर है। खाद्यान्न उत्पादन में भी उत्तर प्रदेश ने बेहतर प्रदर्शन दिखा चुका है।