हिन्दुस्तान वार्ता, नोइडा।अनिल दूबे।
एमिटी और प्रेरणा बायोइनोवेशन रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के मध्य समझौता पत्र हुआ हस्ताक्षर
अनुसंधान, कौशल और उद्यमिता विकास, प्रशिक्षण और अनुसंधान अवसंरचना के लिए उद्योग सहयोग करने हेतु आज एमिटी विश्वविद्यालय और संस्थान एवं गुजरात के प्रेरणा बायोइनोवेशन रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के मध्य वर्चुअल मंच पर समझौता पत्र हस्ताक्षर समारोह का आयोजन किया गया। यह समझौता संयुक्त छात्र प्रशिक्षण, इंर्टनशिप, शिक्षुता, परियोजना, कार्यशाला और सम्मेलनों आदि के लिए भी विस्तारित होगा। वर्चुअल मंच पर आयोजित समझौता पत्र हस्ताक्षर समारोह कार्यक्रम में एबीएलई के अध्यक्ष और नोवोजाइम्स साउथ एशिया प्राइवेट लिमिटेड के स्टेकहोल्डर रिलेशन के निदेशक श्री जी एस कृष्णन, भारत के प्रेरणा बायोइनोवेशन रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष एवं सीईओ डा दीपक बरोट, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला और एमिटी सांइस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती भी उपस्थित थे। इस समारोह में एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ बायोटेक्नोलाॅजी के सेंटर फाॅर बायोेटेक्नोलाॅजी एंड बायोकेमिकल इंजिनियिरिंग की प्रमुख डा निधि चैधरी और एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ बायोटेक्नोलाॅजी की एस्सीटेंट प्रोफेसर डा देबराती पाॅल भी उपस्थीत थे।
वर्चुअल मंच पर आयोजित समझौता पत्र हस्ताक्षर समारोह कार्यक्रम में एबीएलई के अध्यक्ष और नोवोजाइम्स साउथ एशिया प्राइवेट लिमिटेड के स्टेकहोल्डर रिलेशन के निदेशक श्री जी एस कृष्णन ने संबोधित करते हुए कहा कि इस समारोह का हिस्सा बन कर अत्यधिक प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। इस तरह के सहयोग छात्रों को शोध प्रोत्साहन और उद्यम प्रारंभ करने के क्षेत्र मे ंप्रोत्साहित करने के लिए विशेष भूमिका निभाते है। वर्तमान के कोरोना महामारी के दौर में बायोतकनीकी समस्याओ ंके निवारण कर रहा है। भारतीय वैक्सीन के विकास ने भारत को विश्व में अग्रणी स्थान पर खड़ा कर दिया है। देश के वैज्ञानिको द्वारा विकसित की गई वैक्सीन ने हम सभी को गौरवांवित किया है। औद्योगिक बायोटेक, एग्रीकल्चर बायोटेक आदि क्षेत्रों में शोध और उद्यम प्रारंभ करने के काफी अवसर उपलब्ध है। बायोतकनीकी एक बहुआयामी क्षेत्र है इस सहयोग से छात्रों को इंर्टनशिप के अवसर सहित विचारों, रचनात्मकता, और नवाचार पोषित होगा।
भारत के प्रेरणा बायोइनोवेशन रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष एवं सीईओ डा दीपक बरोट ने अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि एमिटी विश्वविद्यालय और संस्थानो ंके साथ इस समझौता पत्र को हस्ताक्षर करना हमारे लिए सम्मान की बात है। हम आपसी सहयोग के एक नये विश्व में कदम रख रहे है। पहले के समय में लोग अकादमिक शोध के नाम पर विदेशी संस्थानो का देखते थे लेकिन आज एमिटी जैसे संस्थान विश्वस्तर पर नये आयाम स्थापित कर रहे है। वर्तमान समय में शिक्षण संस्थान हो या उद्योग कोई भी नेपथ्य मे कार्य नही कर सकता, स्वंय के विकास, देश के विकास और छात्रों के विकास हेतु संस्थानों और उद्योगों के मध्य सहयोग होना आवश्यक है। महमारी के समय में वैक्सीन एक बड़ी खोज है। छात्रों के विकास की गती के प्रदान करने के लिए कौशल विकास अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होनें एमिटी द्वारा किये गये शोध कार्यक्रमों की सराहना की।
एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रेरणा बायोइनोवेशन पर संयुक्त सहयोग के लिए समझौता पत्र हस्ताक्षर करना हमारे लिए गौरव की बात है। यह समझौता पत्र संयुक्त छात्र प्रशिक्षण, इंर्टनशिप, शिक्षुता, परियोजना, कार्यशाला और सम्मेलनों आदि से हम सभी को लांभावित करेगा। एमिटी में हम सदैव शोध और नवोन्मेष के लिए छात्रों, वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करते है और शोध को केवल पेटेंट तक सीमीत नही रखते बल्कि उसका उत्पाद बन कर लाभ आम व्यक्ति को मिले या उनकी समस्या का निवारण हो इसके लिए तकनीकी हस्तांतरण को बढ़ावा देते है। छात्रों को स्वंय का उद्यम प्रारंभ करने के लिए प्रोत्साहित करते है जिससे देश आत्मनिर्भर भारत की दिशा में विकसित हो सके।
एमिटी सांइस टेक्नोलाॅजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने कहा कि आज हमारे और आपके मध्य एक नये सहयोग की शुरूवात हो रही है और हमें आशा ही नही पूर्ण विश्वास है कि हम संयुक्त सहयोग से आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सक्रिय कार्य करेगें। इस अवसर पर डा सेल्वामूर्ती ने एमिटी द्वारा शोध के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यो को बताते हुए कहा कि हम क्लिनिकल फार्मास्युटिकल, मेडिकल डिवाइस, काॅस्मेटिक्स, एग्रो फूड, बायोसांइसेस, नैचुरल सांइसेस, मेडिकल सांइसेस, इजिनियरिंग एडं टेक्नोलाॅजी आदि के क्षेत्र में कार्य करेगें।
इस अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ बायोटेक्नोलाॅजी लखनउ के निदेशक डा जे के श्रीवास्तवा, एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ बायोटेक्नोलाॅजी के पूर्व निदेशक डा चंद्रदीप टंडन सहित एमिटी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डा दीपशिखा कटारे, डा ए एन साही, डा सीमा भटनागर, डा सोमा पाॅल एंव डा पुनिती माथुर ने अपने विचार व्यक्त किये।
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