गलत प्रस्ताव, पदों की समाप्ति की आशंका से वाणिज्य कर के अधिकारी कर्मचारी एकजुट कमिश्नर को सभी संगठनों की तरफ से पत्र, आईआईएम रिपोर्ट लागू कराने की मांग

 


प्रेम शर्मा,लखनऊ। 

एक टैक्स प्रणाली को लागू हुए चार वर्ष बीत गए है। देश के अधिकाधिक राज्यों में नई टैक्स प्रणाली के अनुसार स्टेक्चर गठन कर लिया गया है लेकिन उत्तर प्रदेश में अब तक पुरानी व्यवस्था लागू है। विभाग के कतिपय अधिकारियों 59 लाख की राशि खर्च कर आईआईएम की रिपोर्ट को दरकिनार कर भेजे गए प्रस्ताव से पदों के अधिकाधिक घटाए जाने की आशंका से नाराज वाणिज्य कर विभाग के अधिकारी कर्मचारी संगठनों ने अब कमिश्नर को पत्र लिखकर आईआईएम रिपोर्ट के अनुसार रिस्टक्चरिंग के क्रियान्वयन मांग रखी है। 


उत्तर प्रदेष वाणिज्य कर विभाग के अधिकारी तथा कर्मचारी संघ ने प्रदेष के मुख्यमंत्री से अविलम्ब जीएसटी व्यवस्था के तह्त कार्य करने के लिए आईएमएम की रिपोर्ट तत्काल विभाग में लागू करेन की मांग की है। उनका कहना है किगुड्स एण्ड सर्विस टैक्स व्यवस्था को लागू हुए तीन साल से अधिक का समय बीत गया है। इसके परिपेक्ष्य में देष में केवल उत्तर प्रदेष को छोड़कर कैडर स्टिक्चरिंग हो चुकी है। ऐसा न होने से प्रदेष में लगभग 8000 कर्मचारी अधिकारी बिना कार्य आवंटन के जीएसटी अवधि में काम कर रहे है। जीएसटी वाणिज्य कर सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजवर्द्धन सिंह, वाणिज्य कर अधिकारी संघ के अध्यक्ष कपिल देव तिवारी एवं वाणिज्य कर अधिकारी सेवा संघ के महासचिव वीरेन्द्र सिंह तथा अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय डिप्टी जनरल सेक्रेटरी सुरेश सिंह यादव ने बताया कि गुड्स एण्ड सर्विस टैक्स पूरे देष में 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया है। सम्पूर्ण राष्ट्र मे जीएसटी् लागू होने के उपरान्त वर्ष 2017 मे ही केन्द्रीय विभाग (सेन्ट्रल बोर्ड ऑॅफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एण्ड कस्टमस्) द्वारा पूरे विभाग की कैडर रिस्टक्चरिंग करने के उपरान्त अधिकारी एवं कर्मचारियों के मध्य एक्ट के अनुसार कार्य का आंवटन कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त देष के अन्य राज्यों मे भी स्टेट जीएसटी विभागों मे कैडर रिस्टक्चरिंग का कार्य पूर्ण कर दिया गया है, जिसके कारण एक्ट के अनुसार केन्द्रीय एवं उन राज्य के अधिकारियों मे पद एवं दायित्व की एकरुपता स्थापित हो गयी है।उन्होने बताया कि उत्तर प्रदेष मे भी मुख्यमंत्री जी के निर्देशन मे तत्कालीन अपर मुख्य सचिव (वर्तमान चीफ सेक्रेटरी) द्वारा आईएमएम लखनऊ को कैडर रिस्टक्चरिंग हेतु विस्तृत रिपोर्ट बनाने के लिए अधिकृत किया गया था। आईएमएम ने मैनेजमेन्ट के सिद्धान्तों का प्रयोग करते हुए एक तथ्यपरक रिपोर्ट विभाग को सौपी। जिससे कि विभाग के सभी अधिकारी एवं कर्मचारियों का कैरियर प्रोग्रेशन तथा वित्तीय भार कम होना एवं अधिकाधिक राजस्व प्राप्त होना सम्भव था। आईएमएम लखनऊ की उक्त रिपोर्ट पर विभागीय कमेटी ने अनुशंसा करते हुए क्रियान्वयन हेतु शासन के समक्ष प्रस्तुत कर दिया था।उक्त रिपोर्ट पर भारी भरकम खर्च लगभग 59 लाख  रूपये  एवं समग्र अध्ययन को दरकिनार करते हुए दो वर्षो से लम्बित रखा गया है। 

वाणिज्य कर सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजवर्धन सिंह एवं वाणिज्य कर सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष कपिल तिवारी सेवा संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार सिंह एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ के महामंत्री सुरेश सिंह यादव,वाहन चालक के प्रदेश महामंत्री प्रेम प्रकाश ने चेतावनी दी है कि यदि विभाग में पदों की समाप्ति की गई तो इसके दोषी अधिकारियों के खिलाफ पूरे प्रदेश में आंदोलन होगा। उन्होंने कहा कि आईआईएम रिपोर्ट लागू न करने वाले, साजिश रचने वाले अधिकारियों की जांच होनी चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से यह विशेष अपील है कि ऐसे अधिकारियों द्वारा बनाए गए प्रस्ताव को तत्काल रोक लगाकर और जिस आप द्वारा गठित प्रस्ताव को दरकिनार किया गया है इसकी जांच होनी चाहिए।