एमिटी में विशेषज्ञों ने कहा महामारी में भी प्रकृति का रखे ध्यान



हिन्दुस्तान वार्ता, नोयडा।

पांच दिवसीय हरित तकनीकी और सतत विकास लक्ष्यों विषय पर शिक्षक विकास कार्यक्रम


एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी एकेडमिक स्टाफ काॅलेज द्वारा गुरू दक्षता फैकल्टी इंडक्शन कार्यक्रम के अंर्तगत ‘‘हरित तकनीकी और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य पर आधुनिक शिक्षण और शोध’’ विषय पर पांच दिवसीय शिक्षक विकास कार्यक्रम का आयोजन 01 जून से 05 जून तक किया जा रहा है। इस शिक्षक विकास कार्यक्रम के तृतीय दिन आज समाजिक व्यवसायी और रक्षक फांउडेशन की मैनेजिंग ट्रस्टी सुश्री चैताली दास, एमिटी स्कूल आॅफ नैचुरल रिर्सोस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट के निदेशक डा एस पी सिंह और एमिटी स्कूल आॅफ डिजाइन की ज्वाइंट कोआर्डीनेटर, डा शालीनी शर्मा ने जानकारी प्रदान की। इस कार्यक्रम का संचालन एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ एनवांयरमेंटल सांइस की ज्वांइट कोआर्डीनेटर डा रेनू धुप्पर और एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ एनवांयरमेंटल सांइस की एस्सीटेंट प्रोफेसर डा अंबरीना सरदार खान द्वारा किया गया।


इस शिक्षक विकास कार्यक्रम के तृतीय दिन आज समाजिक व्यवसायी और रक्षक फांउडेशन की मैनेजिंग ट्रस्टी सुश्री चैताली दास ने कहा कि महामारी के दौर में भी प्रकृति ध्यान रखें, प्लास्टिक की बजाय जूट का उपयोग करें जो प्रकृति को नुकसान नही पहंुचाता। सुश्री दास ने गरिमापूर्ण कार्य के संर्दभ में बताते हुए कहा कि जो कार्य किसी भी खतरे से दूर हो, प्रकृति के लिए अनुकूल हो और आपके विकास मे ंसहायक हो यह गरिमापूर्ण कार्य होता है और रक्षक फांउडेशन के तहत हम लोगो ंको गरिमापूर्ण कार्य करने और जीवन जीने में सहायता प्रदान करते है। संयुक्त राष्ट्र के 17 सतत विकास लक्ष्यों के अंर्तगत लक्ष्य 8 - गरिमापूर्ण कार्य और अर्थव्यवस्था को विकास के अंर्तगत हम महिलाओं, युवाओं, दिव्यांगजनों, प्रवासीयों आदि को प्रशिक्षण देकर उनके कौशल को विकसित करते है। उन्होनें विभिन्न व्यक्तियों का उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार लोगों को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया गया। जूट द्वारा उत्पाद बनाने के प्रशिक्षण से सतत विकास लक्ष्य के कई लक्ष्य जैसे गरिमापूर्ण जीवन, पर्यावरण संरक्षण, लैगिंक समानता, गरीबी को दूर करना, असमानता को कम करना, स्थायी खपत और उत्पादन आदि को पूर्ण करने मे ंसहायता मिलती है। जूट उत्पाद निर्माण से प्रकृति को नुकसान नही होता बल्कि संरक्षण को बढ़ावा मिलता है।


एमिटी स्कूल आॅफ नैचुरल रिर्सोस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट के निदेशक डा एस पी सिंह ने सतत विकास लक्ष्यों का अवलोकन और भारत में कार्यान्वयन पर संबोधित करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा बनाये गये 17 सतत विकास लक्ष्य, मानवता के नये लक्ष्य है। 17 लक्ष्यों के अंर्तगत 169 कार्यो को पूरा करने के लिए विश्व के 193 देश प्रतिबद्ध है। सभी लक्ष्य आपस में जुड़े हुए है और मुख्यत चार भाग समाजिक लक्ष्य, पर्यावरण, अर्थव्यवस्था , शांती का विकास और सहयोग में बंटे है। सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल राष्ट्रीय स्तर पर रणनीतियों का निर्माण किया जा रहा है। एक योजना कई सतत विकास लक्ष्यों को पूर्ण करने में सहायता करती है जैसे प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, सतत विकास लक्ष्य अच्छी सेहत और कल्याण, लैंगिक समानता और स्वच्छ उर्जा सेे जुड़ी है इसके अतिरिक्त एक सतत विकास लक्ष्य को पूर्ण करने में कई योजनायें भी सहायक है। जैसे अच्छी सेहत और कल्याण के लक्ष्य को  पूर्ण करने में स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, मिशन इद्रधनुष, इंटिग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विस और राष्ट्रीय स्वास्थय मिशन सहायक सिद्ध हो रही है। डा सिंह ने कहा केवल प्रोजक्ट या योजना निर्माण से कार्य नही चलेगा बल्कि परिणाम आधारित निगरानी आवश्यक है। उन्होनें संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों की भारत मे स्थिती को बताते हुए इनको पूर्ण करने में आने वाली चुनौतियां जैसे बड़ी जनसंख्या, सीमित संसाधन, कार्यान्वयन, रवैया, जागरूकता, अनिश्चितता, राजनीति इच्छाशक्ती, भष्ट्राचार के बारे में बताया।


एमिटी स्कूल आॅफ डिजाइन की ज्वाइंट कोआर्डीनेटर, डा शालीनी शर्मा ने ‘‘स्थायी अभ्साय - सीएसआर के रूप में स्थिरता के लिए लक्जरी होटल का अनुकूलन’’ विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि होटल द्वारा अपनाये गये स्थायी डिजाइन को पर्यावरण प्रभावी होना चाहिए और मानक के अनूरूप होना चाहिए। स्थायी होटल वह व्यापार है जिन्हे हरित बेहतरीन अभ्यास को सेवा, लाॅजिस्टिक्स, उत्पाद और आपूर्ति के रखरखाव में पर्यावरण को कम प्रभावित करना चाहिए। डा शर्मा ने कहा कि हाॅस्पीटैलिटी समूह की सीएसआर गतिविधीयां पर्यावरण स्थायीत्व कार्याकलाप और अभ्यास से प्रारंभ होती है। उन्होनें लक्जरी होटल द्वारा अधिक स्थायी अभ्यास को अपनाये जाने, स्थायीत्व और उर्जा दक्षता, को बताते हुए कम उपयोग करने, पुनः उपयोग करने और पुनर्चक्रण करने के महत्व को बताया।

इस कार्यक्रम में टीईआरआई के कांउसिल आॅफ बिजनेस सटटनेबिलिटी की कोरपोरेट एक्शन की मैनेजर सुश्री तरूना इडनानी ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर शिक्षकों ने विशेषज्ञों से कई प्रश्न किये जिनके उन्होनें जवाब भी दिये।

----------------------------------------------------

अधिक जानकारी के लिए संर्पक करें - अनिल दूबे - 9818671697