एमिटी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक द्वारा विकसित अवधारणा ने जीता डीआरडीओ द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार

हिन्दुस्तान वार्ता, नोएडा।अनिल दूबे।

शारीरिक मापदंडों के आधार पर व्यक्ति की एआई आधारित पहचान की अवधारणा हुई विकसित


एमिटी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक अपनी अनूठी और बेहतरीन शोध और नवोन्मेष के आधार पर विश्व स्तर पर पहचान बना रहे है। इसी क्रम मंें एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ स्पेस सांइस एंड टेक्नोलाॅजी की डा शिवानी वर्मा द्वारा नवाचार अवधारणा ‘‘ शारीरिक मापदंडो के आधार पर व्यक्ति की एआई आधारित पहचान’’ जो कि डेटा और सूचना संलयन के नवीन तरीके के साथ शारीरिक मापदंडो का उपयोग करने वाले व्यक्ति की पहचान पर आधारित को प्रस्तुत किया गया। यह अवधारणा डीआरडीओ द्वारा आयोजित ‘डेयर टू ड्रीम 2.0 इनोवेशन प्रतियोगिता में जीवन विज्ञान प्रौद्योगिकी डोमेन के तहत प्रस्तुत की गई थी जिसमें 60 प्रतियोगियों के मध्य प्रतियोगिता में व्यक्तिगत श्रेणी में 5 लाख रूपये का प्रथम पुरस्कार जीता है। विदित हो कि भारत सरकार के प्रधानमंत्री द्वारा अगस्त 2020 घोषित ‘‘ आत्मनिर्भर भारत’’ के अंर्तगत रक्षा मंत्रालय द्वारा में इस डेयर टू ड्रीम 2.0 नवाचार प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। यह प्रतियोगिता 15 नवंबर 2020 को बंद हुई थी।

प्रोजेक्ट के संबंध में जानकारी -

समकालीन समाज के विकास के साथ, प्रभावी प्रमाणीकरण और मानव पहचान मान्यता की आवश्यकता अधिक हो रही है। सुरक्षा के उददेश्य और पहचान के लिए बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। हालांकि कभी कभी संर्पक आधारित जैविक पहचान प्रणाली जैसे फिंगरप्रिंट, आईरिस स्कैन आदि का उपयोग करना संभव नही हो पाता। चेहरे की पहचान, संर्पक रहित होने के कारण, भीड़ में किसी व्यक्ति की पहचान करने के लिए बुद्धिमानी का उपयोग किया जा रहा है हालांकि अधिकांश बार बदमाशों या आंतकवादियों ने अपने चेहरे को काफी हद तक ढक लिया होता है केवल आंख का हिस्सा खुला होता है ऐसे में पहचान करना मुश्किल या असंभव होता है

एमिटी की वैज्ञानिक डा शिवानी वर्मा ने एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ स्पेस सांइस एंड टेक्नोलाॅजी के निदेशक डा एम एस प्रसाद के मार्गदर्शन में उच्च सटीकता के साथ एक व्यक्ति के शारीरिक मापदंडो के आधार पर एक बुद्धिमान अनुमान प्रणाली विकसित की है। यह स्केलेटल डाटा, गैट, आॅक्यूलूडेेड फेस रिकाॅगनिशन और मूवमैंट पैरामीटर जैसे मापदंडों के विलय का नवोन्मेषक समाधान है जिससे व्यक्ति भले ही अंधेरे में घूम रहा हो उसकी पहचान की जा सकती है। किसी भी प्रकार का वेश चाहे वह जानबूझकर लंगडा कर चल रहा हो या चेहरे को ढका हो या उंगलियों के निशान में हेरफेर किया हो, कोई भी तरीका असमाजिक तत्व को बचने में सहायता नही कर सकता। खुफिया एजेंसियों, रक्षा संगठनों, पुलिस और अन्य संगठनों द्वारा किसी व्यक्ति की पहचान करने के लिए सटीक अनुमान प्रदान करेगा।

डा वर्मा के बताया कि अब टीडीएफ (डीआरडीओ) ने परियोजना प्रस्ताव के विवरण की मांग की है जिसमें टीडीएफ योजना के अंर्तगत वे विचार को तकनीक में विकास हेतु प्रौद्योगिकी अनुदान सहायता प्रदान करने पर विचार करेगें, टीडीएफ योजना के अनुसार एक बार अनुमोदित होने के बाद डीआरडीओ, तकनीकी विकास के 90 प्रतिशत अनुदान सहायता प्रदान करेगा या परियोजना मूल्य जो कि 24 माह की अवधि में 10 करोड़ प्रदान करेगा। इसके लिए डा वर्मा ने एमिटी इंक्यूबेशन सेंटर के तहत एक स्टार्ट अप को पंजीकृत करने की अपनी प्रक्रिया पहले से शूरू कर दी है और उन्हे उम्मीद है इस परियोजना को निर्धारित समय सीमा के अदंर पूर्ण कर लेगीं।