एमिटी विश्वविद्यालय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में शिक्षण और अंतःविषयक अनुसंधान में उभरती प्रवृत्ति और चुनौतियां पर आॅनलाइन पाठयक्रम का शुभारंभ

 



हिंदुस्तान वार्ता, नोएडा।अनिल दूबे।

 शोधार्थियों, शिक्षकों और वैज्ञानिकों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में शिक्षण और अंतःविषयक अनुसंधान में उभरती प्रवृत्ति और चुनौतियों की जानकारी प्रदान करने के लिए एमिटी एकेडमिक स्टाफ काॅलेज, एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ फाॅरेसिक सांइस और दिल्ली सरकार की फाॅरेसिंक साइंस लैबोरेटरी के संयुक्त तत्वाधान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में शिक्षण और अंतःविषयक अनुसंधान में उभरती प्रवृत्ति और चुनौतियां विषय पर 16 से 30 जून तक 15 दिवसीय आॅनलाइन रिफ्रेशर पाठयकम का आयोजन किया गया। इस आॅनलाइन पाठयक्रम का शुभारंभ दिल्ली सरकार की फाॅरेंसिक साइंस लैबोरेटरी की निदेशिका श्रीमती दीपा वर्मा, एमिटी विश्वविद्यालय की साइंस एवं टेक्नोलाॅजी की डीन डा सुनिता रतन और कार्यक्रम के प्रोग्राम निदेशक और एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ फाॅरेसिक सांइस के एस्सीटेंट प्रोफेसर डा अमरनाथ मिश्रा द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में लगभग 300 से अधिक प्रतिभागीयों ने हिस्सा लिया।


दिल्ली सरकार की फाॅरेंसिक साइंस लैबोरेटरी की निदेशिका श्रीमती दीपा वर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में एक विषय के ज्ञान को दूसरे विषय या शोध में उपयोग किया जा रहा है इसलिए अतःविषयक या बहुविषयक दृष्टिाकोण आवश्यक है। इस कार्यक्रम के जरीए विशेषज्ञ अपने ज्ञान को साझा करेगें और आपको विभिन्न विषयों के मध्य जानकारी को विकसित करने का ज्ञान देगें। जब हम शिक्षण की प्रक्रिया में होते है तो हर घटक महत्वपूर्ण होता है। शिक्षकों का ज्ञान में इजाफा छात्रों की जानकारी बढ़ाने में सहायक होगा। कोई भी विषय, अन्य विषय की जानकारी के बगैर पूर्ण नही होता। फाॅरेसिंक क्षेत्र में शोध और कार्य के लिए जीवविज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिकी आदि का उपयोग होता है। हर क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए अंतःविषयक ज्ञान की आवश्यकता है। यह पाठयक्रम शिक्षकों, वैज्ञानिकों और शोधार्थियों के लिए अवश्य लाभप्रद होगा।


एमिटी विश्वविद्यालय की साइंस एवं टेक्नोलाॅजी की डीन डा सुनिता रतन ने संबोधित करते हुए कहा हुए कहा कि कई वैश्विक समस्याओ ंका हल बहुविषयक शोध में संयुक्त शोध और प्रयास के बिना संभव नही है। भविष्य के शोध कर्ताओं को अपने विषय के साथ अन्य विषयों की जानकारी होना आवश्यक है। एमिटी सदैव वैज्ञानिकों, शोधार्थियों को अंतःविषयक शोध और नवाचार के लिए प्रोत्साहित करता है जिससे समाज की समस्याओं का निवारण हो सके।


कार्यक्रम के प्रोग्राम निदेशक और एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ फाॅरेसिक सांइस के एस्सीटेंट प्रोफेसर डा अमरनाथ मिश्रा ने अतिथियों और प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि तकनीकी केवल एक इलेक्ट्रानिक उपकरण नही है बल्कि इसका उपयोग बहुविषयों मे ंज्ञान अर्जन, शोध, नवाचार और समस्या के निवारण के लिए किया जाता है। छात्रों के संपूर्ण विकास के लिए शिक्षण में बहुविषयक आधारित दृष्टिकोण आवश्यक है। उन्होनें कहा कि 15 दिवसीय आॅनलाइन रिफ्रेशर पाठयक्रम का उददेश्य विभिन्न विज्ञान के विषयों में बहुविषयक शोध परिपेक्ष्य को बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम में कुल 78 विशेषज्ञ जानकारी प्रदान करेगें जिसमें 59 देश और 19 विदेश के संस्थानों ंसे आॅनलाइन जुड़ेगे।


इस आॅनलाइन रिफ्रेशर पाठयकम में प्रथम दिन हरियाणा के बहादूरग़ढ स्थित पीडीएम विश्वविद्यालय के डा ए के बक्शी ने ‘‘ शिक्षकों का सशक्तीकरण - उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता, 21वी सदी में भारत की चुनौतियां और अवसर’’ पर, भारत सरकार के विज्ञान और तकनीकी विभाग के इंजिनियरिंग रिसर्च काउंसिल के सलाहकार और वैज्ञानिक डा मनोज कुमार पटैरिया ने ‘‘कोविड 19 पर ध्यान केन्द्रीत करना - विज्ञान पर जागरूकता का वर्ष और स्वास्थय लाभ’’ एन शम्स विश्वविद्यालय के फाॅरेसिक मेडिसिन के प्रोफेसर डा समर ए अहमद ने ‘‘बहुराष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान दल’’ पर और टेक्नोलाॅजी इन्र्फोमेशन फोरकास्टिंग एंड एसेसमेंट काउंसिल के पेटेंट फैसिलीटींग सेंटर की वैज्ञानिक डा संगीता नागर ने ‘‘ आईपीआर का अवलोकन’’ पर व्याख्यान प्रदान किया।


हरियाणा के बहादूरग़ढ स्थित पीडीएम विश्वविद्यालय के डा ए के बक्शी ने ‘‘ शिक्षकों का सशक्तीकरण - उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता, 21वी सदी में भारत की चुनौतियां और अवसर’’ पर जानकारी देते हुए कहा कि अगर हमें शिक्षण गुणवत्ता को बढ़ाना है तो शिक्षकों का सशक्तीकरण आवश्यक है। उच्च शिक्षा परिपेक्ष्य में शिक्षकों की तीन महत्चपूर्ण भूमिका है प्रथम छात्रों को ज्ञान प्रदान करना, शोध के मार्गदर्शन और प्रोत्साहन देना। उन्होनें कहा कि एक शिक्षक को अलग विचार करना, शोध और नवाचार करना और उसके लिए प्रोत्साहित करना आना चाहिए। शिक्षक का संचार कौशल और प्रस्तुतीकरण का कौशल बेहतरीन होना चाहिए। डा बक्शी ने कहा कि वर्तमान सूचना का युग, 21वी सदी के कौशल का पोषण, रचनात्मकता और नवाचार मस्तिष्क का आभाव आदि चुनौतियां शिक्षकों के सम्मुख है। हमें शोध प्रोत्साहन और क्षमता को बढ़ाना होगा। हमें इस प्रकार की गतिविधियां बढ़ानी होगी जो विद्यालय स्तर पर छात्रों को चुनौतियों से निपटने के लिए प्रोत्साहित करेें।


इस अवसर पर प्रश्नोत्तर सत्र में प्रतिभागियों ने विशेषज्ञों ने कई प्रश्न किये जिनके उन्होनें समुचित जवाब प्रदान किये।

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