एमिटी विश्वविद्यालय में खाद्य प्रसंस्करण में नवोन्मेष और स्थिरता विषय पर ‘‘नेशनल फूड टेक’’ कार्यशाला का आयोजन





हिन्दुस्तान वार्ता, नोयडा।अनिल दुबे।

छात्रों को खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में हो रहे नवाचार और शोध की जानकारी प्रदान करने के लिए एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ फूड टेक्नोलाॅजी द्वारा खाद्य प्रसंस्करण में नवोन्मेष और स्थिरता विषय पर नेशनल फूड टेक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में मदर डेयरी फु्रट एडं वेज प्राइवेट लिमिटेड के क्वालिटी एश्यारेंस के प्रमुख श्री शैलेंद्र कुमार, शेरे ए कश्मीर यूनीवर्सीटी आॅफ एग्रीकल्चर एंड साइंस के एस्सीटेंट प्रोफेसर डा तौहिद अमीन,  पंजाब एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय के फूड सांइस एंड टेक्नोलाॅजी विभाग के प्रो (श्रीमती) अमरजीत कौर सहित कई विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ फूड टेक्नोलाॅजी के निदेशक डा वी के मोदी ने अतिथियों का स्वागत किया।

मदर डेयरी फु्रट एडं वेज प्राइवेट लिमिटेड के क्वालिटी एश्यारेंस के प्रमुख श्री शैलेंद्र कुमार ने संबोधित करते हुए कहा कि फूड प्रोसेसिंग यूनिट और उपयोग में होने वाले उपकरणों की स्वच्छता हेतु डिजाइन को बताया। श्री कुमार ने कहा कई बार स्वच्छता इंजिनियरिंग के असफल होने से बड़े हादसे होने की संभावना रहती है। उन्होनें कहा कि फूड प्रोसेसिंग यूनिट, सदैव प्रदूषित पर्यावरण क्षेत्र से दूर होना चाहिए, औद्योगिक गतीविधीयों से भी दूरी होनी चाहिए, धंुए, कण, धूल, रसायनिक उत्सर्जन आदि आस पास नही होने चाहिए। बाहरी क्षेत्र के संबध में उन्होने कहा कि वनस्पतियां, कीटकों के लिए रहने का स्थान बनाती है इसलिए वनस्पतियां ना हो, प्लोर सदैव ढलान वाली हो जिससे जलनिकास होता रहे। उन्होनें कहा कि बहारी दीवारे छिद्र मुक्त हो और दरवाजों के चहूं ओर रिक्त स्थान भरें हो। श्री कुमार ने कीट बचाव के तरीके, चूहों को रोकने के आधुनिक तकनीकों, स्वच्छता प्लांट लेआउट, फूड फैक्टरी के नियंत्रण चरण, स्वच्छता के चरण, छतो और निचली मंजीलों का निर्माण, वायु संचालन प्रणाली, जलनिकास के डिजाइन, आंतरिक प्रकाश की व्यवस्था, सहित उपकरणों के स्वच्छता डिजाइन, को बताते हुए कहा कि खाद्य उपकरण का निर्माण ऐसा हो जिसे प्रभावी रूप से स्वच्छ और सैटेनाइज किया जा सके। उसका मैटेरियल क्षरण रहित, नाॅनपोरस और नाॅन अॅबसारबेंट होना चाहिए। उपकरण निरिक्षण, रखरखाव और स्वच्छता के अनुरूप सुलभ हो, उपकरण कोई भी उत्पाद, जल या उत्पाद के जल का संचय ना करें, खोखले क्षेत्र जैसे नट बोल्ट लगाने वाले स्थानों को भली भांति बंद करके सील किया जाये। उन्होनें नियंत्रण उपाय, दो तापमान सेंसर, क्लिनिंग इन प्लेस टेक्नोलाॅजी आदि के संर्दभ में भी जानकारी दी।

शेरे ए कश्मीर यूनीवर्सीटी आॅफ एग्रीकल्चर एंड साइंस के एस्सीटेंट प्रोफेसर डा तौहिद अमीन ने संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए निती निर्धारण और नियामक का निर्माण किया जाता है। उन्होनें भोज्य प्रदार्थो की मात्रा, खाद्य के पैकेजिंग और लेबलिंग, के लिए नियमों को बताते हुए कहा पैकेट पर उत्पादन की तारीख और पैकेजिंग की तारीख लिखना आवश्यक है। उन्होनें प्रिसिंपल डिस्पले पैनल, मैनर आॅफ डिक्लेरेशन के नियमों बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की।

एमिटी इंस्टीटयूट आॅफ फूड टेक्नोलाॅजी के निदेशक डा वी के मोदी ने सभी विशेषज्ञों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस कार्यशाला का आयोजन छात्रों को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के क्षेत्र मे हो रही आधुनिक प्रगती और नवाचार की जानकारी प्रदान करने के लिए किया गया है। वर्तमान समय में देश में लोगों की खाद्य संबधी मांगों को पूर्ण करने में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है ऐसे में छात्र जो कल इस उद्योग का हिस्सा बन कर देश को आत्मनिर्भर की दिशा में सहायक बनायेगे उन्हे नवीनतम जानकारीयों का होना आवश्यक है।

प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान छात्रो ंने विशेषज्ञों से रोजगार, यूनिट निर्माण संबधित कई प्रश्न किये जिनके उन्हे समुचित जवाब प्राप्त हुए।

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