हिन्दुस्तान वार्ता।नोयडा
एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ रिहेबिलिटेशन सांइसेस द्वारा सेंस इंटरनेशनल इंडिया के सहयोग से ‘‘बधिर नेत्रहीनता - दृष्टि और ध्वनि से परे संचार” विषय पर दो दिवसीय ऑनलाइन अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का उददेश्य शिक्षक, प्रशिक्षुओं, छात्रों, पुनर्वास पेशेवरों और विशेष शिक्षकों के मध्य बधिर नेत्रहीन व्यक्ति के लिए शिक्षण, प्रशिक्षण और प्रबंधन हेतु प्रभावी क्षमता निर्माण करना है। इस सम्मेलन का शुभांरभ सेंस इंटरनेशनल इंडिया के संस्थापक श्री अखिल पॉल, एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ रिहेबिलिटेशन सांइसेस की निदेशिका डा जयंती पुजारी द्वारा किया गया। इस सम्मेलन में 350 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिसमें 210 विशेष शिक्षक थे। भारत के कुल 23 राज्यों सहित दुबई से भी 04 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
सेंस इंटरनेशनल इंडिया के संस्थापक श्री अखिल पॉल नें संबोधित करते हुए कहा कि बधिर - नेत्रहीन व्यक्तियों के संचार प्रशिक्षण में प्रतिभागी होना अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है जिससे इन बच्चों के सर्वागीण विकास में सहायता मिलती है। यह सम्मेलन बधिर - नेत्रहीन व्यक्तियो के प्रशिक्षण प्रबंधन के क्षेत्र में नवीनतम जानकारी प्रदान करेगा। उन्होनें लॉरा डेवी ब्रिजमैन, हेलेन केलर, ऐनी सुलवीन के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके प्रयास स हीे आस पास की दुनिया को समझने के लिए बधिर लोगों को संवाद करने और प्रशिक्षित करने की रणनीतियां प्राप्त हुई।
एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला ने संबोधित करते हुए कहा कि एमिटी विश्वविद्यालय, संवदेनशीलता, सहानुभूति, और समझ जैसे आवश्यक तीन कौशलों के महत्व को छात्रों में पोषित करती है जो कि बधिर नेत्रहीनों को प्रशिक्षित करने के लिए आवश्यक है। उन्होनें समावेशिता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह व्यक्ति को रोजगार योग्य बनाने में सहयोग करती है और हदय, मस्तिष्क और हाथ से सीखने और विकसित करने के समान अवसर प्रदान करती है
इस अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन के प्रथम सत्र में सेंस इंटरनेशनल इंडिया के क्षमता विकास की वरिष्ठ प्रशिक्षिका सुश्री रोसा वहालंाग ने जानकारी देते हुए बताया कि हम बहरेपन को क्या मानते है और बधिरता वाले बच्चों का समर्थन और सहयोग किस प्रकार करें। उन्होनें बधिरता के कारणों, विशेषताओं और संबधित परिस्थितियों के संर्दभ में जानकारी प्रदान की। सेंस स्कॉटलैंड के शोध और सहयोग के प्रमुख डा पॉल हार्ट ने बधिर नेत्रहीन व्यक्ति की प्रतिभा और सूचना को संसाधित करने के लिए व्यक्ति के संर्घष को स्वीकार करते हुए उन्होनें ऑंखों के हिस्से और बाहरी दुनिया से प्रकाश को पकड़ने और इस रेटिना पर केद्रित करने की प्रक्रिया प्रस्तुत की। सेंस इंटरनेशन इंडिया के क्षमता निर्माण के प्रमुख प्रशिक्षक डा पी श्रीनिवासन ने बधिरता और बहु विकलांगता वाले बच्चों की सुनवाई के लिए प्रारंभिक पहचान और कार्यात्मक मूल्यांकन के महत्व के बारे में बताया।
इस अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन के द्वितीय दिन द्वितीय सत्र में हेलन केलर इंस्टीटयूट ऑफ डीफ एंड डीफब्लांइड की डायरेक्टर (एजुकेशन) श्रीमती शीला सिन्हा ने कहा कि लोग बधिर नेत्रहीन बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ना चाहते है किंतु इससे पहले कई कौशलों से आपको परिपूर्ण होना होगा। बच्चे को समाजिक समावेश के लिए तैयार करना होगा। शीघ्र निदान या प्रशिक्षण अति आवश्यक है। बच्चों की क्षमता को पहचाने और उसके विकास के लिए प्रयास करें। परिवार को एकसाथ लाना आवश्यक है। विकास के मूल्यांकन के लिए विश्वास, अनुभव और गतिविधियां शामिल है। बच्चों के मन में स्वंय के लिए विश्वास को विकसित करें। सेंस इंटरनेशनल इंडिया के क्षमता निर्माण प्रमुख श्री सचिन रिज़ाल ने कहा कि बधिर नेत्रहीन और बहु विकलांग व्यक्तियों के लिए समावेशी शिक्षा को समझें। समावेश उनका अधिकार है। उन्होेने पाठयक्रम अनुकूलन, पाठयक्रम की आवश्कता, पाठयक्रम को अनुकूलन बनाने के संर्दभ चुनौतीयांे को बताया। यूएसए के बधिर नेत्रहीनता प्रशिक्षण विशेषज्ञ श्री डेविड ब्राउन ने कहा कि मस्तिष्क और शरीर के मध्य अपसी जुड़ाव को बताते हुए केन्द्रीय तत्रिका प्रणाली, प्रॉप्रोसेप्टिव सेंस के महत्व को बताया।
इस दो दिवसीय अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती, यूएसए के बधिर नेत्रहीनता प्रशिक्षण विशेषज्ञ श्री डेविड ब्राउन और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ रिहेबिलिटेशन सांइसेस की निदेशिका डा जयंती पुजारी ने अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर दिल्ली शिक्षा विभाग के श्री प्रदीप तिवारी, विशेष प्रशिक्षक सुश्री अवंतिका मिश्रा ने सम्मेलन में प्राप्त अनुभवों को साझा किया।