तभी अंकुश लगेगा, व्यभिचार पर। स्वाती जिन्दल

हिन्दुस्तान वार्ता।

आये दिन अबोध बालिकाओं, किशोरियों, युवतियों,महिलाओं के साथ दुराचार की घटनाएं हो रहीं हैं।इन्हें रोकने के लिए सरकार ने सख्त से सख्त कानून भी बनाये हैं,फिर भी ऐसी घटनाएं रुक नहीं रहीं हैं।

इसका मूल कारण वर्तमान में बढ़ती भोगवादी प्रवृत्ति एवं घटती नैतिकता और सामाजिक, पारिवारिक रिश्तो के स्तर में गिरावट है। एकल और बिखरते परिवार सहशिक्षा ,दूरस्थ महानगरों में एक साथ नौकरी, बढ़ती उम्र में शादी एवं विभिन्न जनसंचार माध्यमों द्वारा परोसी जा रही अश्लीलता, कामुकता युवक-युवतियों को पथभ्रष्ट कर रही हैं। साथ ही युवा पीढ़ी में तरह तरह के मादक पदार्थो का सेवन का बढ़ता चलन ,उनके विवेक को शून्य कर देता है,परिणाम स्वरूप कामुकतावश ऐसे लोग अबोध बच्चियों को भी नहीं बख्शते। 

विशेष रूप से निठल्ले महिला-पुरूष ,युवक-युवतियां मोबाइल फोन पर पोनोग्राफी एवं गैर जरूरी सामग्रियों देखने वाले,ये गलत दिशा में मुड़ जाते हैं।इस यौनाचार के लिए ये लोग तरह तरह के प्रलोभन ,झूठ फरेब ,लोभ लालच का सहारा लेते हैं।इसके लिए कमोबेश रूप से दोनों ही पक्ष दोषी हैं।इनके छल फरेब की घटनाएं आये दिन होती हैं,फिर भी युवतियां इनके लालच में फंस जाती हैं।

इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए भोगवादी प्रवर्ति के स्थान पर सदाचार, नैतिकता,सामाजिक सम्बन्धों,रिश्तों के महत्व को बढ़ावा देना होगा। समाज को अश्लीलता आदि पर रोक लगानी होगी।ऐसे व्यभिचारियों को दण्डित करने के लिए शासन-प्रशासन, पुलिस, न्यायालयों और समाज को संगठित होकर आगे आना होगा।