जहाँ हर रोग मिट जाएं,जहाँ सूनी गोद भर जाएं। वे देवी माँ के दर,हरि धाम, चैन के पुरवा आएं।। मुख्य देवी भक्त- श्री श्री बाल योगी हरिओम जी महाराज।



हिन्दुस्तान वार्ता(धर्मेन्द्र कु.चौधरी)

कालिन्दी तट के समीप,वो पावन भूमि ....हरि धाम, चैन के पुरवा ( भोगनीपुर के पास)जनपद-कानपुर देहात।

जो अपने आप में धन्य हो गयी है, क्योंकि यहाँ श्री श्री बाल योगी हरीओम जी महाराज की जन्म एवं कर्म स्थली है।

महाराज जी की भक्ति में जो शक्ति है। वो हर किसी को अचम्भित कर देती है।महाराज जी का कहना है.. कि

इस पावन भूमि पर महाकाली देवी माँ की कला जगी है।चैन के पूरवा, में एक नीम के पेड़ पर ही महाकाली देवी माँ का शक्तिपात हुआ है।

    इसीलिए उस महाशक्ति देवी महाकाली ...को  "देवी माँ चैन के पुरवा वालीं " के नाम से जानते-मानते हैं ,जो वहाँ विराजमान हैं।

वहाँ नागदेवता(शेष नाग )भी विराजमान हैं।

सूत्र बताते हैं कि महाराज जी पर मुख्य रूप से देवी विराजमान ,होने के साथ साथ नागदेवता ,आदिशक्ति विराजमान होतीं हैं।

ततपश्चात वे दीन दुखियों के दुःख दूर करने के लिए... जल -लौंग पढ़ते हैं। जल में फूंक अर्थात फुंकार मारते हैं। उस जल के आचमन-पीने से गम्भीर रोग ,अर्थात असाध्य रोगों का निवारण हो जाता है।

महाराज जी से हमारा परस्पर वार्तालाप हुआ। तब उन्होंने बताया कि माता के दरबार में  भारी संख्या में केन्सर ,टीवी आदि असाध्य रोगों के मरीज शर्तिया ठीक हो रहे हैं।

जिन माता-बहिनो की गोद सूनी हैं,उनकी गोद ,माँ चैन के पुरवा वालीं भर देतीं हैं।

देवी माँ का लौंग-जल अमृत है।इसके सेवन ,आचमन करने से गम्भीर रोगों से निजात पा सकते हैं।  

भक्त निरन्तर निरोगी होकर , माता के दरबार से जाते हैं।

उनकी माँगी मुराद भी पूरी होती है।

एक प्रश्न के उत्तर में महाराज जी ने कहा कि ये तीसरी लहर ..उत्तर प्रदेश में नहीं आएगी।

भविष्य में संसार में जल से ही प्रलय होगी , और जल से ही पीड़ित भक्त उबर रहे हैं।अर्थात देबी मां के अमृतमयी जल से असाध्य रोगों से निजात पा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हमारा राष्ट्र को यही संदेश है कि सभी भक्त सदाचारी बनें एवं देवी की भक्ति करें। 

वे ही सब कष्टों को हरने वाली हैं।

उनकी लीला अपरम्पार है।

जय माता की।।