वृन्दावन के संकीर्तन भवन में महाराज श्री का 136 वाँ प्रादुर्भाव महोत्सव।



वृन्दावन।वंशीवट क्षेत्र स्थित प्रख्यात सन्त प्रभुदत्त ब्रह्मचारी महाराज की भजन स्थली "संकीर्तन भवन" में महाराज श्री का 136 वां प्रादुर्भाव महोत्सव सुग्रीव किला पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी विश्वेशप्रपन्नाचार्य जी महाराज की अध्यक्षता में अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ। 

श्रीनाभापीठाधीश्वर जगद्गुरु श्री सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज, मलूक पीठाधीश्वर जगद्गुरू स्वामी राजेन्द्रदास देवाचार्य महाराज, जगद्गुरु स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज, जगद्गुरु स्वामी रामप्रपन्नाचार्य जी महाराज, श्री महन्त फूलडोल बिहारी दास,सन्त प्रवर गोविंदानंदतीर्थ महाराज, उमाशक्ति पीठाधीश्वर स्वामी रामदेवानंद सरस्वती महाराज,चार सम्प्रदायाचार्य आश्रम के महंत ब्रजबिहारी दास महाराज,संकीर्तन भवन के सेवाधिकारी विनय त्रिपाठी एवं बल्देव स्थित दाऊ जी मन्दिर के रिसीवर आर. के. पाण्डेय आदि ने श्री वंशीवट बिहारी गिरधारी महाराज व सन्त प्रवर प्रभुदत्त ब्रह्मचारी महाराज की प्रतिमाओं का वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन-अर्चन किया। 

इस अवसर पर आयोजित सन्त विद्वत सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार एवं आध्यात्मिक पत्रकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि प्रख्यात सन्त प्रभुदत्त ब्रह्मचारी जी महाराज की साधना स्थली संकीर्तन भवन अत्यंत पावन व महिमामयी स्थान है। यहां उनके परमाणु आज भी विद्यमान हैं। महाराज श्री गौसेवी,संत सेवी,परम तपस्वी, निस्पृह,वितरागी सन्त थे। प्रभु संकीर्तन में उनकी विशेष रुचि थी। वह सिद्धहस्त लेखक भी थे। उन्होंने अनेक ग्रंथो की रचना की। 

श्री वंशीवट बिहारी गिरधारी महाराज के अंगसेवी विनय त्रिपाठी ने कहा कि उनके सद्गुरुदेव प्रभुदत्त ब्रह्मचारी जी महाराज सनातन धर्म के रक्षक थे। वह प्रतिदिन अग्निहोत्र, गायत्री पुरुश्चरण व हरिनाम संकीर्तन किया करते थे। वे हनुमानजी के परम उपासक थे। उन्होंने दक्षिण भारत से विशालकाय हनुमानजी की प्रतिमा को लाकर दिल्ली स्थित अपने आश्रम में स्थापित किया था।

संकीर्तन भवन के व्यवस्थापक मंगेश दुबे ने कहा कि परम् पूज्य प्रभुदत्त ब्रह्मचारी जी महाराज ने धर्मसम्राट करपात्री जी महाराज के साथ गौ रक्षा आंदोलन का कई बार नेतृत्व किया था। धर्म रक्षा व गौ रक्षा के लिए उनका सम्पूर्ण जीवन पूर्णतः समर्पित था। उनके साथ उनका नाम नही वल्कि काम जुड़ा हुआ था। 

इस अवसर पर अखिल भारत वर्षीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पं. बिहारी लाल वशिष्ठ, संगीताचार्य स्वामी देवकी नंदन शर्मा, युवा साहित्यकार राधाकांत शर्मा, डॉ. मनोजमोहन शास्त्री,भागवताचार्य बुद्धिप्रकाश महाराज, अशोक ब्यास, विपिन बापू, वैष्णवाचार्य दिव्यांशु गोस्वामी, श्यामसुन्दर ब्रजवासी, डॉ. रामदत्त मिश्रा,गौसेवी गोपेश बाबा आचार्य बद्रीश, हरीश रावत,रासाचार्य भुवनेश्वर वशिष्ठ, रासाचार्य रामवल्लभ शर्मा  एवं आचार्य पीठाधिपति यदुनंदनाचार्य आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। साथ ही राधा-कृष्ण की महिमा से ओत प्रोत भजनों का संगीत की मधुर स्वर लहरियों के मध्य गायन किया गया। संचालन पंडित बिहारी लाल वशिष्ठ ने किया। 

रिपोर्ट-डॉ. गोपाल चतुर्वेदी